Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

पत्रकार दोस्‍त इफ्तिख़ार गिलानी बोले- आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा!

Abhishek Srivastava : परसों प्रेस क्‍लब में दोपहर के खाने के दौरान पत्रकार दोस्‍त इफ्तिख़ार गिलानी मिले थे। किसी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से लौटे थे। कह रहे थे कि आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा। तब भी नहीं, जब 2002 में इसी एनडीए की सरकार में उनके साथ वह हुआ था जो किसी के साथ कभी नहीं होना चाहिए। गिलानी का सदा मुस्‍कराता हुआ चेहरा देखकर एनडीटीवी की नीता शर्मा (तब एचटी में) का तल्‍ख़ चेहरा बरबस याद हो आता है, जिन्‍हें अपने धतकर्म की सज़ा कभी नहीं मिली। इसी दिल्‍ली में एक कश्‍मीरी पत्रकार का इंसाफ़ आज तक अधूरा पड़ा है, लेकिन विडंबना देखिए कि उसका अपराधी पुरस्‍कार पर पुरस्‍कार बटोरे जा रहा है जबकि कश्‍मीर के हितैशी पत्रकार सेमिनार किए जा रहे हैं।

<p>Abhishek Srivastava : परसों प्रेस क्‍लब में दोपहर के खाने के दौरान पत्रकार दोस्‍त इफ्तिख़ार गिलानी मिले थे। किसी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से लौटे थे। कह रहे थे कि आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा। तब भी नहीं, जब 2002 में इसी एनडीए की सरकार में उनके साथ वह हुआ था जो किसी के साथ कभी नहीं होना चाहिए। गिलानी का सदा मुस्‍कराता हुआ चेहरा देखकर एनडीटीवी की नीता शर्मा (तब एचटी में) का तल्‍ख़ चेहरा बरबस याद हो आता है, जिन्‍हें अपने धतकर्म की सज़ा कभी नहीं मिली। इसी दिल्‍ली में एक कश्‍मीरी पत्रकार का इंसाफ़ आज तक अधूरा पड़ा है, लेकिन विडंबना देखिए कि उसका अपराधी पुरस्‍कार पर पुरस्‍कार बटोरे जा रहा है जबकि कश्‍मीर के हितैशी पत्रकार सेमिनार किए जा रहे हैं।</p>

Abhishek Srivastava : परसों प्रेस क्‍लब में दोपहर के खाने के दौरान पत्रकार दोस्‍त इफ्तिख़ार गिलानी मिले थे। किसी प्रेस कॉन्‍फ्रेंस से लौटे थे। कह रहे थे कि आजकल शहर में जितना डर लगता है, उतना जि़ंदगी में कभी नहीं लगा। तब भी नहीं, जब 2002 में इसी एनडीए की सरकार में उनके साथ वह हुआ था जो किसी के साथ कभी नहीं होना चाहिए। गिलानी का सदा मुस्‍कराता हुआ चेहरा देखकर एनडीटीवी की नीता शर्मा (तब एचटी में) का तल्‍ख़ चेहरा बरबस याद हो आता है, जिन्‍हें अपने धतकर्म की सज़ा कभी नहीं मिली। इसी दिल्‍ली में एक कश्‍मीरी पत्रकार का इंसाफ़ आज तक अधूरा पड़ा है, लेकिन विडंबना देखिए कि उसका अपराधी पुरस्‍कार पर पुरस्‍कार बटोरे जा रहा है जबकि कश्‍मीर के हितैशी पत्रकार सेमिनार किए जा रहे हैं।

आज शाम को उर्मिलेशजी की किताबों के लोकार्पण में कश्‍मीर पर हुई चर्चा के दौरान कुलदीप नैयर ने हुर्रियत से लेकर यासीन मलिक, शब्‍बीर शाह, सैयद अली शाह गिलानी आदि एक के बाद एक सभी को जिस तरह अप्रासंगिक ठहरा दिया, उससे थोड़ी हैरत हुई। नैयर साहब यदि 1947 की स्थिति तक पीछे लौटने के फॉर्मूले के पैरोकार हैं, तब इस प्रक्रिया में वे तमाम लोग प्रासंगिक होने चाहिए जो कश्‍मीर के संदर्भ में कभी न कभी हमारी स्‍मृति का हिस्‍सा बने होंगे। कभी सोचा है कैसा लगता होगा गिलानी को, जब वे कश्‍मीर पर आयोजित ऐसे किसी प्रोग्राम को कवर करने जाते होंगे और उन्‍हें अहसास होता होगा कि लोग उनका प्रकरण ही भूल चुके हैं? नैयर साहब कश्‍मीर का समाधान ऐसे कृतघ्‍न पत्रकारों-बुद्धिजीवियों के ऊपर सोचने को छोड़ देते हैं! ये वही नाकारा कौम है जो इफ्तिखार की अपराधी नीता शर्मा से बीते चौदह साल में एक अदद माफ़ीनामा नहीं मंगवा सकी!

Advertisement. Scroll to continue reading.

गिलानी अकेले नहीं हैं, कश्‍मीर से जुड़ी स्‍मृतियों की कम से कम दिल्‍ली में तो कमी कभी नहीं पड़ती- आकाशवाणी भवन; जूड़े में गजरा लगाए कोई सांवली औरत; इंडिया गेट; शाहरुख़ खान; कैब में बजता एफएम और दोस्‍तों के किस्‍सों में तीखे गोश्‍ताबे का जि़क्र! कश्‍मीर का जि़क्र आते ही ‘दिल से’ निकलती है एक ही धुन: ”हे कुरुवनिक्किलिये/ कुकुरु कुरुकुरु कूकी कुरुकी कुन्‍नीमरातिल उय्यल आड़ी/ कोडुम ओरिके कूटु विलिकुन्‍ने/ मारन निने कूकी कुरुकी कोटु विलिकुन्‍ने ए…।” दरअसल, कश्‍मीर की बदकिस्‍मती वही है जो एआर रहमान की इस कम्‍पोज़ीशन की है- अंडबंड चाहे जैसे भी हो रटा तो है, लेकिन समझ में कुछ नहीं आता। हमने समझने की कभी कोशिश ही नहीं की। शायद इसीलिए कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक सब धान बाईस पसेरी है… मने एक है!

दिल्ली के पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट अभिषेक श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement