: बड़े-बड़े मीडिया हाउसों के लिये पैसा ही सब कुछ : कानपुर। शहर में अवैध गुटखा बनाने वालों के खिलाफ डीएम के निर्देशानुसार चलाये जा रहे अभियान में पुलिस व वाणिज्य कर विभाग ने प्रमुख गुटखा फैक्ट्रियों पर छापामारी की. इसके बाद छापेमारी से संबंधित खबरों को सूचना विभाग कानपुर ने सभी अखबारों को भेजा. सूचना विभाग की प्रेस रिलीज में पूरे ब्योरे के साथ गुटखा कंपनियों के नाम, गड़बड़ियों के विवरण आदि भी थे लेकिन इन सभी मीडिया हाउसों ने विज्ञापनों के चक्कर में शहर की जनता के सेहत के साथ खिलवाड़ किया.
इन मीडिया हाउसों ने अवैध गुटखा कंपनियों और इनके जहरीले धंधे को सपोर्ट किया. तभी तो इन मीडिया हाउसों ने गुटखा कंपनियों के नामों का प्रकाशन तक नहीं किया. अब तो सबको यकीन हो गया है कि ये मीडिया हाउस गुमराह करते हैं. मीडिया हाउस सिर्फ अपनी बैलेंस सीट बढते देखते हैं. जनता को इन मिलावट खोरों के बारे में जानना चाहिये. लेकिन अखबार मिलवाटखोरों का नाम पता पहचान छुपाकर इस अवैध कारोबार को संरक्षण दे रहे हैं.
नोटों की गड्डियों के लिए अखबार अब जहर के कारोबारियों के पक्ष में खड़े हो गए हैं. चंद कागज के टुकडो के लिये शहर के खास अखबार दैनिक जागरण ने उन गुटखा कंपनियों का नाम छाप दिया जिनसे विज्ञापन नहीं मिलता है लेकिन जिनसे विज्ञापन आता है उनका नाम नहीं छापा. हिन्दुस्तान अखबार ने तो किसी का नाम तक नहीं छापा. अगर किसी प्राइवेट कालेज में अपराध होता है तो खबरों में कालेज का नाम छिपा दिया जाता है क्योंकि इन कालेजो से विज्ञापन आता है. ये है आज के अखबारों की नैतिकता. नाम बडे दर्शन छोटे.