शम्भूनाथ शुक्ला-
हेमंत की होली! पिछले साल की होली कोरोना की भेंट चढ़ गई थी। और होली बस ‘हो’ ही ली थी। लेकिन इस वर्ष होली का आग़ाज़ हो गया। कल रंगभरी एकादशी अपने मित्र श्री Hemant Sharma के नोएडा, सेक्टर 44 स्थित आवास पर पूरे जोशों-खरोश के साथ मनी।
हेमंत जी में एस्थेटिक सेंस और चीजों को परखने की उनकी कला अद्भुत है। वे बनारसिया हैं इसलिए हर ठाठ बनारसिया था। भंग से लेकर तरंग तक, हर चीज़ में बनारस की ख़ुशबू थी। अपनी-अपनी श्रद्धा से ‘जोइ-सोइ कछु गावे!’ जैसा दृश्य था। रसरंजन (बार काउंटर) में अलग क्राउड था तो पंचरतन (भंग की तरंग) में अलग। षड-रस में मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त, कषाय समेत समस्त प्रकार के रस विद्यमान थे।
कोई भी भोजन हो, इन छहों रसों की उपस्थिति होनी चाहिए। तब ही भोजन परिपूर्ण होता है। अवध से लेकर ब्रज तक और राजस्थान से लेकर ओडीसा तक तथा दक्षिण की थाली में ये सब रस होते हैं। बिना इन रसों के भोजन निष्प्रयोजन माना जाता है। हेमंत जी ने सबका इंतज़ाम किया था। और ये सब सामग्री बनाने के लिए बनारस के नामी हलवाइयों को बुलाया गया था। होली के रंग थे और राग़ भी।
मालिनी अवस्थी, मनोज तिवारी से ले कर कुमार विश्वास तक सब ने होली पर होरी सुनाई तो राजीव शुक्ला से लेकर राम गोपाल यादव और नोएडा विधायक पंकज सिंह तक सबने होली के मुनक्का छाने! वेद प्रताप वैदिक, Rahul Dev, आशुतोष जैसे संपादकों की अपनी छटा में थे तो अकु श्रीवास्तव, शीतल, सतीश के सिंह, राम कृपाल और राज किशोर अपनी अदा में। ख़ास बात कि अजय गुरु ने चकाचक बनारसी की जो कविताएँ सुनाईं, उन्हें सुन कर लगा कि बनारस नोएडा में आ गया।
मैं तो शाम छह बजे वहाँ पहुँच गया था। मेरे साथ Anil Maheshwari भी थे और किसी को भी उनका परिचय देने की ज़रूरत नहीं पड़ी। सब ने कहा, अच्छा यही आपके साथ झारखंड गए थे! वहाँ पहुँचते ही सब को टोपी पहनाई गई और अँगरखा भी उनकी प्रवृत्ति के अनुकूल रंग का ओढ़ाया गया।
मसलन सेकुलर को हरा, भाजपा की हवा में बहने वालों को पीला, मध्यमार्गियों को गुलाबी तथा कुछ को नीला। अबीर भी इसी नज़र से!
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