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उत्तर प्रदेश

हिंदुस्तान को माइक लगाकर गरियाने की अनुमति मांगने वाले शख़्स ने भड़ास से क्या कहा? पढ़ें..

पिछले दो दिन से यूपी के प्रतापगढ़ जिले से एक पत्र सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. जो भी इस पत्र को पढ़ रहा है वह हंसते हुए पत्र लिखने वाले की तारीफ कर रहा है.

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प्रतीक सिन्हा

दरअसल प्रतापगढ़ के दहिलामऊ निवासी प्रतीक सिन्हा ने जिले के SDM को प्रार्थना पत्र भेजकर 15 जनवरी 2024 की दोपहर 12 बजे हिंदुस्तान अखबार के भंगवाचुंगी स्थित कार्यालय के सामने माइक लगाकर ब्यूरो चीफ और रिपोर्टर को दो घंटे तक गरियाने की अनुमति मांगी है.

भड़ास से हुई बातचीत में प्रतीक सिन्हा कहते हैं कि, ‘मेरी एक पर्सनल, फ्रेश जमीन है, उस जमीन में मैने रास्ता वगैरा बनवा दिया था. कुछ 2-4 लाख रूपया भी खर्च किया था. अब लीगल है या नहीं मुझे नहीं पता. 8 जनवरी को हिंदुस्तान अखबार ने, “नाले-नालियां छोड़िए, नहर और नदियों की भूमि पर अवैध प्लॉटिंग” नामक शीर्षक से खबर छापी जिसमें जमीन को सरकारी बताकर मुझे भू-माफिया घोषित कर दिया.

ये खबर जब अफसरों ने पढ़ी तो बिना कोई नोटिस दिए 9 जनवरी को वो रास्ता या जो छोटा निर्माण बनवाया-कराया था, उसे प्रशासन ने ढ़हा दिया. इस बात को अन्य अखबारों ने जो सच्चाई थी, वो छापी. लेकिन हिंदुस्तान अखबार ने उस जमीन को सरकारी बताकर मुझे भू-माफिया लिखकर मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दिया.

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इसके बाद मैने अखबार के मालिकों को अपना खंडन भेजा. मैने पूछा कि आपने किस आधार पर मुझे भू-माफिया घोषित कर दिया? लेकिन जवाब देने की बजाय इन्होंने 10 जनवरी को मुझे चिढ़ाने के लिए फिर से असर कहकर, “चिलबिला में अवैध प्लॉटिंग पर चला बुलडोजर” शीर्षक लगाकर खबर छाप दी. अब बताइये ये जज तो हैं नहीं, जो मन आएगा वो छाप देंगे. आपको ये अधिकार किसने दिया?

फिर मेरा विरोध का जो तरीका था वो मैने अप्लाई किया. मैने 11 जनवरी को SDM को संबोधित ये पत्र लिखकर वायरल करा दिया. मुझे तो पता था अनुमति नहीं मिलेगी. लेकिन हम मांग सकते हैं. इच्छामृत्यु तक मांग सकते हैं. एक टीवी इंटरव्यू में मुझसे पूछा कि लेटर लिखने की क्या जरूरत पड़ी? तो मैने जवाब दिया कि भगत सिंह को बम फेंकने की क्या जरूरत थी. वो भी पत्र लिखकर चपका सकते थे!

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भाई मेरा जो संवैधानिक तरीका था, मैने किया. आप पत्र पढ़िए इसमें आपको भगत सिंह और गांधीजी की खुशबू भी आएगी. मैं इन दोनों को मानने वाला आदमी हूं. हालांकि मैं गाली नहीं देता. न जूते से मारता. हालांकि इच्छा बहुत है.. लेकिन सब की मां-बहन का सम्मान है.. करना चाहिए.. जरूरी है.’

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1 Comment

1 Comment

  1. dilip singh

    January 14, 2024 at 4:47 pm

    badlaav bahut achcha hai yashwant sir
    shubhkamnaye

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