मजीठिया वेज बोर्ड का ख़ौफ़ मीडिया जगत में किस क़दर व्याप्त है, इसका अंदाज़ा इसी से लगा लीजिए कि दैनिक भास्कर को अपने तमाम कर्मचारियों से डिक्लेयरेशन साईन करवाना पड़ रहा है। इसमें लिखा है कि वे मजीठिया या अन्य कोई वेज बोर्ड नहीं माँगेंगे।
कर्मचारी बेचारे क्या न करते। जब नौकरी करना है, गुलामी करना है तो आदेश तो मानना ही होगा। सबने चुपचाप साइन कर दिया है।
मीडिया कंपनियां कबकी सरोकार व संवेदना की गला घोंट चुकी हैं। मीडिया कंपनियां अब कोरपोरेट कंपनियों की तरह संचालित हो रही हैं। यहां कर्मचारियों का भयंकर शोषण होता है। हायर फायर का कोई वक्त नहीं होता। इन कारपोरेट मीडिया कंपनियों में कार्यरत कर्मचारी हर वक्त प्रबंधन के निशाने पर होता है। यहां सबसे आसान काम होता है कर्मचारियों का भरपूर शोषण।
शोषणकारी मीडिया संस्थानों में दैनिक भास्कर अव्वल है। पहले तो मजीठिया वेज बोर्ड दिया नहीं। जिसने मांगा, उसे निकाल दिया या ट्रांसफर कर दिया। जो लोग लड़ भिड़कर ले पाए, वे गिनती के हैं। अब बाकियों से साइन कराया जा रहा है कि वे कोई वेज बोर्ड नहीं मांगेंगे।
मीडिया के मालिक भयंकर लाभ में जीते हैं। इनके नए नए भव्य आफिस हर साल नए नए इलाकों में खड़े किए जाते हैं। पर ये मीडिया मालिक अपने लाभ में कभी भी कर्मचारी को हिस्सेदारी नहीं बनाते। ये कर्मचारियों को हमेशा तनाव दबाव में रखते हैं। बहरहाल मीडिया जगत में काम की कमी है और लोग आधे पैसों में भी काम करने को तैयार हैं।
आशीष चौकसे
पत्रकार और ब्लॉगर
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anu chauhan
February 9, 2020 at 4:22 pm
aur hum divya himachal wale sochte the ki soshan hmari jaisi chhoti akhbaro me hi hota hai…. kuch log apni mlai ke liye dusron ke hito ka gla ghont rhe hain..