
Deepankar Patel : IIMC प्रशासन ने बेहद कायराना हरकत की है. कोई तुक नहीं बनता 11 बच्चों को सस्पेंड करने का, ये सस्पेंशन आर्डर वापस वापस होना चाहिए.
स्पॉन्सर्ड आयोजन था, IIMCAA महज एक NGO है. आयोजन के लिए पैसा IIMC के नाम पर इकट्ठा किया जाता है. जो लोग आयोजन में आते हैं, संस्थान से जुड़े हैं, उनको भी ये मालूम होना चाहिए कि संस्थान की फीस बेतहाशा बढ़ गई है, मिडिल क्लास परिवार से आने वाले बच्चे के लिए मीडिया की पढ़ाई मुश्किल हो गई है.
संस्थान से जुड़े हुए सभी स्टेकहोल्डर्स को ये बात मालूम होनी चाहिए और उनको बताने का ये भी एक अवसर था, इसलिए छात्रों के विरोध प्रदर्शन को कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए.
IIMCAA का ये आयोजन कोई संस्थान में आने वाली बारात नहीं है कि आप विरोध करेंगे तो विवाह में खलल पड़ जाएगा, बदनामी होगी.
विरोध कर रहे छात्र संवैधानिक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उनके पोस्टर्स को हटाने की कोशिश की गयी थी उसका वीडियो देखकर भी मन दुखी था. आनंद प्रधान अपने छात्र जीवन के दौरान काफी स्टूडेंट प्रोटेस्ट का हिस्सा रहे होंगे.
छात्रों के प्रोटेस्ट पर वो जिस तरह भड़के हुए थे वो देखकर अच्छा नहीं लगा.
और अब छात्रों के सस्पेंशन का आर्डर आ गया था, ये और भी अच्छी बात नहीं है.
“नामी गिरामी” प्रोफेसर्स को चाहिए कि वो छात्रों के विरोध प्रदर्शन को अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का सवाल ना बनाएं. ये उनकी प्रतिष्ठा को ख़राब ही करेगा.
छात्रों का सस्पेंशन खत्म होना चाहिए और छात्रों को नोटिस थमाने की कार्रवाई को संस्थान के इतिहास से भी हटा देना चाहिए.
ये संस्थान की “प्रतिष्ठा” पर धब्बा है.
अजीब हाल कर के रखा है संस्थान का. एक महीना होता नहीं, दो पोस्ट लिखनी पड़ जाती है.
युवा पत्रकार दीपांकर पटेल की एफबी वॉल से.
Hrishikesh Sharma : सस्पेंशन के साथ फीस का सर्कुलर भी आ गया। हमने जिस सर्कुलर पर प्रॉटेस्ट कॉल ऑफ़ किया था उसका ये वॉयलेशन है। सस्पेंशन के डर से छात्र इसके ख़िलाफ़ न बोलें इसलिये सही समय पर लाया गया है। क्रोनोलॉजी समझते जाइये अब…

संस्थान के भीतर एफोर्डेबल एजुकेशन पर एक टॉक शो आयोजित करने के “जुर्म” में मुझे और मेरे साथियों सहित 11 छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया है। भारत के सर्वोच्च मीडिया संस्थान का लोकतंत्र उन्हें “सस्ती शिक्षा” पर भी बात करने का अधिकार नहीं देता।
तानाशाह आकर जाएंगे
हम मिलकर धूल चटायेंगे
हम कारण नहीं बताएंगे
हम कारण नहीं बताएंगे
IIMCAA के प्रोग्राम में कल दारू सुट्टा अपने चरम पर था, नशे में लोगों ने रैश ड्राइविंग की। प्रोफेसर और IIMCAA सरगना साथ बैठकर कैंपस में दारू पिये लेकिन ये जुर्म नहीं है। जुर्म है संस्थान में “सस्ती शिक्षा” पर बात होना।
कुपढ़ तबकों में कपड़े से पहचानने का एकमात्र टैलेंट बस आनंद प्रधान के पास है। IIMC में छात्रों के सबसे प्रिय शिक्षक के बारे में कुछ किस्से सुनिये। हमारे सबसे प्रिय शिक्षक कहते हैं कि देश की 70% जनता निजीकरण के पक्ष में खड़ी है इसलिये एफोर्डेबल एजुकेशन पर बात करना हास्यास्पद है। पूछिये जरा इनसे कि ये कौन से सर्वे का आंकड़ा है? जो प्रदर्शन कर रहे छात्रों को ये कहते हैं कि उन्हें बड़े कार्यक्रमों को एटेंड करने की तहजीब नहीं है। प्रधान जी के अनुसार जो एफोर्डेबल एजुकेशन पर बातचीत करते हैं उन्हें कोट पेंट पहनकर अनुशासन में रहना नहीं आता। प्रोग्रेसिव तबके का पहला आदमी जो कपड़ों से आपकी पहचान करता है। कुछ सीनियर जब हमारे लिए आते हैं तो हमें शो कॉज़ नोटिस झेलना पड़ता है और जब उनके लिए आते हैं तो हमें फ्रिंज एलिमेंट बताकर बाउंसर्स बुलाया जाता है और हमारे पोस्टर्स बैनर जबर्दस्ती हटवाये जा रहे हैं। एफोर्डेबल एजुकेशन पर हमारी बातचीत के विरोध में आज आनंद प्रधान प्रशासन का नेतृत्व कर रहे हैं। लगातार हमें एफआईआर और सस्पेंशन की धमकी दी जा रही है। मुबारक हो भारत के सर्वोच्च मीडिया संस्थान का लोकतंत्र जहाँ आपके मुँह सिलने का कारोबार होता है।
आईआईएमसी स्टुडेंट ऋषिकेश शर्मा की एफबी वॉल से.