Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

सकते में आए ईटीवी प्रबंधन ने ग्रामीण इन्फामरमरों को किया बहाल

लखनऊ। ईटीवी की टीआरपी गिरने से सहमे प्रबंधन ने 15 दिन पूर्व अपने हटाए गए ग्रामीण इनफारमरों को तत्काल बहाल कर दिया है। विधान सभा स्तर पर ईटीवी ने पिछले 5 साल से अपने इनफारमर रखे थे और उन्हें आईकार्ड देकर पत्रकार का दर्जा दिया था। कईयों को ईटीवी की तरफ से Logo भी दे दिया गया था। 25 दिसंबर के बाद अचानक सभी ग्रामीण विधान सभा के इनफारमरों को हटाने की घोषणा कर दी गई और सबको सूचित कर दिया गया।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>लखनऊ। ईटीवी की टीआरपी गिरने से सहमे प्रबंधन ने 15 दिन पूर्व अपने हटाए गए ग्रामीण इनफारमरों को तत्काल बहाल कर दिया है। विधान सभा स्तर पर ईटीवी ने पिछले 5 साल से अपने इनफारमर रखे थे और उन्हें आईकार्ड देकर पत्रकार का दर्जा दिया था। कईयों को ईटीवी की तरफ से Logo भी दे दिया गया था। 25 दिसंबर के बाद अचानक सभी ग्रामीण विधान सभा के इनफारमरों को हटाने की घोषणा कर दी गई और सबको सूचित कर दिया गया।</p>

लखनऊ। ईटीवी की टीआरपी गिरने से सहमे प्रबंधन ने 15 दिन पूर्व अपने हटाए गए ग्रामीण इनफारमरों को तत्काल बहाल कर दिया है। विधान सभा स्तर पर ईटीवी ने पिछले 5 साल से अपने इनफारमर रखे थे और उन्हें आईकार्ड देकर पत्रकार का दर्जा दिया था। कईयों को ईटीवी की तरफ से Logo भी दे दिया गया था। 25 दिसंबर के बाद अचानक सभी ग्रामीण विधान सभा के इनफारमरों को हटाने की घोषणा कर दी गई और सबको सूचित कर दिया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ईटीवी से हटाए गए ग्रामीण पत्रकारों को बृजेश मिश्र के नए चैनल ‘यूपी टीवी’ में रखने काम शुरू किया गया। इससे ईटीवी का प्रबंधन सकते में आ गया। ईटीवी की टीआरपी भी भयंकर गिरने लगी। इससे घबराए ईटीवी प्रबंधन ने पुनः दो दिन पूर्व फोन कर सभी इनफारमरों को कोड सहित बहाल करने की सूचना देकर उन्हें न्यूज भेजने को कह दिया। चर्चा है कि चुनाव के बाद फिर ऐसे इन्फारमरों को हटा दिया जाऐगा। फिलहाल चाहे जो हो, इस समय ईटीवी की दिशा और दशा दयनीय हो गई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब तक ईटीवी का जो जलवा था, वह काफी कम हुआ है। दर्शक भी ईटीवी के स्थान पर यूपी टीवी और न्यूज स्टेट के मुरीद हो रहे हैं। ईटीवी की हटाने और बहाल करने की नीति से लगता है कि प्रबंधन कुछ भी सोच समझ नहीं पा रहा है। सवाल ये है कि आखिर चुनाव से पहले किसके कहने पर ग्रामीण पत्रकारों को हटाया गया और किसके कहने पर फिर रख लिया गया है।

एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement