-दीपांकर पटेल-
दरअसल, पोस्टल बैलेट से भरा बॉक्स रद्द कराना बेहद आसान है….
पान खाकर थूकने जितना आसान है….
अरे सच में…
पान खाकर ही थूकना होता है…
पहले आमतौर पर होने वाली बूथ कैप्चरिंग को जिसने आंखों के सामने देखा होगा उसे मालूम होगा, कि कैसे बैलेट बॉक्स में स्याही डाल दी जाती थी या पान खाकर थूक देते थे…..
बक्सा बर्बाद…
बहरहाल, हिलसा विधानसभा सीट की मतगणना के दौरान क्या हुआ है, मुझे नहीं मालूम…
-मनीष सिंह रीबोर्न-
ये रिजल्ट रिजेक्ट करता हूँ। मुझसे ग्रेसफुल बनकर हार को स्वीकार करने की अपील मत कीजिये। मशीन पर खीझ निकालने के टॉन्ट, या ग्राउंड रियलिटीज को पहचानने की अपील भी मत कीजिये।
इसलिये कि जो नंगी आंखों से दिखता है, उसे देखने के लिए खुर्दबीन नही लगाई जाती। जो तापमान शरीर महसूस करता है, उसके लिये थर्मामीटर का सर्टिफिकेट नही चाहिए। पसीना पोंछते हुए आप टेम्परेचर 3 डिग्री होने का यकीन कर सकते हैं क्या? खुद पर यकीन कीजिये, इंस्टिक्ट और आंखों देखी पर जाइये।
देखिये की पुष्मम प्रिया को अपने बूथ पर जीरो वोट कैसे मिले। पोस्ट उनके पेज पर फ्लैश हो रही है। मशीन की गवाही है कि लन्दन रिटर्न ग्रेजुएट ने खुद को भी वोट नही किया। शायद वह NDA की लहर में इतनी दीवानी थी, कि होश न रहा हो। या फिर उसे खुद फ्री वैक्सीन का लालच गलती करवा गया।
ऐन चुनाव में शक्लों पर शक्लों पर उड़ती हवाइयां, तमाम मुख्य धारा के एग्जिट पोल,तमाम ग्राउंड रिपोर्ट को भी आप खारिज कर दीजिए। मशीनों से निकले जिन्न का भरोसा कीजिये। आपको यकीन है कि नॉन एग्जिस्टेंट मीम 5 सीटें ले जाती है, और कांग्रेस 50 हार जाती है। बस एक काम कीजिये… हर सीट पर टोटल पोल के 10 से 12% रिवर्स कन्वर्ट कीजिये। आपको एग्जिट पोल के आंकड़े मिल जाएंगे।
दिल्ली में 6 से 8% नाकाफी हुआ। इस बार गलती सुधार ली गयी। मगर वह भी काफी नही पड़ा। मामला नजदीकी हुआ, तो केचुआ आखरी टेक दे रहा। साइट पर विजयी घोषित जमीन पर हारे घोषित हो रहे हैं। आप चाहते हैं कि इसका कारण शराबबंदी से प्रसन्न महिलाओं को माना जाए। आप मानिए।
मुझे नही पता कि क्या करना चाहिए। मैं यह भी नही जानता कि कांग्रेस समेत कोई दल इस व्यवस्था के विरुद्ध सीधे कोई स्ट्रांग स्टेटमेंट क्यो नही देता। क्यो नही कोर्ट और जमीन पर उतरता। जिन्हें सत्ता चाहिए, वे खुद इसके लिए लेवल प्लेइंग फील्ड के बगैर लड़ने को तैयार है, तो किसी और को क्या गरज है?
मगर एक 1350 सीसी की क्रेनियल कैपेसिटी वाला होमो सेपियन होने के नाते मैं अपनी इंटेलिजेंस का अपमान करने से इनकार करता हूँ।
मैं ये परिणाम रिजेक्ट करता हूँ।
-असरार खान-
वोटों की गिनती में बड़े पैमाने पर हुई धांधली के नतीजों को हम किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते …
भले ही NDA को 124 या 125 सीट पर विजयी घोषित कर दिया गया हो लेकिन ईमानदारी से काउंटिंग हुई होती तो 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाते …
गौरतलब है कि पूरे बिहार में बदलाव की लहर थी और यही कारण है कि महागठबंधन के पक्ष में 9% का बड़ा उछाल देखा गया … जिसे फर्जी विजेता किसी अदालत में चुनौती नहीं दे सकते न ही बिहार की जनता इस असंभव नतीजों को कबूल कर पाएगी …उसकी नज़र में महागठबंधन ही विजेता है …
सत्ताधारी गठबंधन को 6% से अधिक का घाटा और विपक्ष को 9% का फायदा फिर भी उसकी सीटें 110 पर कैसे सिमट सकती हैं …एग्जिट पोल में भी महागठबंधन को भारी जीत का अनुमान लगाया गया था …
बावजूद इसके राजद को सबसे अधिक 75 सीटें मिली हैं जबकि दूसरी तरफ गिनती में धांधली + मोदी + पूरे देश की भाजपा और उसके जनसंगठन + राम मंदिर निर्माण+सीता माता की नैहर जैसे नैतिक बातें और तरीके अपनाए गए …फिर भी इसे जीत कहा जा रहा है और उसका अभद्र प्रदर्शन किया जा रहा है …यह सब देखकर देश की जनता और लोकतंत्र आज बहुत निराश और शर्मिंदा है …
महागठबंधन ने धांधली के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा दिया है … वामपंथी पार्टियां 16 सीटें जीतने में इसलिए कामयाब रहीं क्योंकि उनके काउंटिंग एजेंट बड़ी मुस्तैदी से डटे रहे और धांधली करने का बहुत कम मौका दिए वर्ना 5 सीट भी न जीत पाते?
मेरा ख्याल है कि कांग्रेस के काउंटिंग एजेंटों ने अपनी लापरवाही से 15 सीटें गवां दिया और राजद ने भी 1 दर्जन सीट इस तरह से गंवाया है ..?