Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया वेज बोर्ड केस में जवाब देने से भाग रहा अमर उजाला, कोर्ट ने दिया आखिरी मौका

यशवंत सिंह-

अयोध्या में अमर उजाला के ब्यूरो चीफ/ चीफ सब एडिटर धीरेंद्र सिंह की ओर से दायर मजीठिया वेज बोर्ड केस में अमर उजाला प्रबंधन को अपना जवाब देते नहीं बन रहा है। पिछले 6 महीने से कभी क्षेत्राधिकार तो कभी जवाब दाखिल करने के लिए बार-बार समय की मांग से आजिज आकर श्रम न्यायालय ने 11 जनवरी को आखिरी मौका दिया है, अब जवाब दाखिल नहीं हुआ तो वादी को तारीखी खर्च देने के साथ 36 लाख रुपए बकाए की आरसी की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। 

आमतौर पर नौकरी करते वक्त बगैर किसी विवाद के कोई भी पत्रकार अपने संस्थान से वेज बोर्ड मांगने की हिम्मत नहीं जुटा पाता, लेकिन धीरेंद्र सिंह ने दैनिक हिंदुस्तान में 11 साल के कार्यकाल में सोनभद्र, मऊ और बलिया का ब्यूरो चीफ रहने के दौरान भी वेज बोर्ड के रिकमेंडेशन की मांग की थी जिसे प्रबंधन को स्वीकार करना पड़ा और भुगतान भी करना पड़ा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

2013 में अमर उजाला ज्वाइन करने पर मजीठिया वेज बोर्ड देने का पत्र जारी करने के बाद भी प्रबंधन भुगतान नहीं कर रहा था। अलबत्ता बीते डेढ़ साल से अमर उजाला के स्टाफ को रिजाइन करा कर संवाद न्यूज़ एजेंसी में आधे वेतन पर ज्वाइन करने के लिए सभी यूनिटों में अभियान चल रहा था। इसके लिए दूरदराज के इलाकों में ट्रांसफर का आदेश जारी किया जा रहा था, फिर मजबूर कर्मचारियों से समझौता करके उन्हें संवाद में ज्वाइन कराया जा रहा था।

अयोध्या के ब्यूरो चीफ धीरेंद्र सिंह का ट्रांसफर भी इसी उद्देश्य से जनवरी 2022 में शिमला ब्यूरो में किया गया लेकिन प्रबंधन की चाल को समझते हुए धीरेंद्र सिंह ने उप श्रम आयुक्त कोर्ट से स्थानांतरण के खिलाफ स्टे आदेश ले लिया। बाद में प्रबंधन ने मजीठिया वेज बोर्ड देने का आश्वासन देते हुए कोर्ट में समझौता किया। इसके बाद भी मार्च माह में स्थानांतरण आदेश को बदलते हुए आगरा यूनिट में कर दिया लेकिन वहां जाने पर भी मजीठिया वेज बोर्ड देने की जगह दिखाया गया कि आगरा के आसपास के सभी जिलों के ब्यूरो चीफ स्टाफर को संवाद में नहीं शामिल होने पर हटा दिया गया है। दूसरे को संवाद एजेंसी से ब्यूरो प्रभारी बनाया गया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सच्चाई का दम भरने वाले और कर्मचारियों के हित की बात करने वाले अमर उजाला के मालिकान की ऐसी अनीति और धोखाधड़ी सभी यूनिटों के जिलों में देखते हुए धीरेंद्र सिंह ने प्रबंधन के आगे झुकने के बजाय मजीठिया वेज बोर्ड के तहत करीब 3600000 बकाया को लेकर बीते जून माह में श्रम आयुक्त न्यायालय अयोध्या में मुकदमा दायर किया।

इसके बाद घबराए प्रबंधन ने क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठाते हुए लिखित जवाब दिया कि यह केस आगरा में हो सकता है, अयोध्या में नहीं। प्रत्युत्तर में धीरेंद्र सिंह की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि क्षेत्राधिकार दिल्ली, लखनऊ आगरा और अयोध्या चारों जगह है, लेकिन धीरेंद्र सिंह ने अपने मजीठिया वेज बोर्ड की मांग अयोध्या के कार्यकाल के दौरान 9 साल 6 माह का बकाया मांगा है इसलिए अयोध्या में ही इसकी सुनवाई हो सकती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दरअसल अमर उजाला प्रबंधन ने क्षेत्राधिकार का मुद्दा उठाने के पीछे षड्यंत्र रचा था कि कोर्ट इसे खारिज करती है तो हाईकोर्ट में मामले को लटका देंगे लेकिन विद्वान न्यायाधीश ने अमर उजाला प्रबंधन से मूल केस का जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि क्षेत्राधिकार का मुद्दा वाद के अंतिम निस्तारण में तय करेंगे। इसके बाद अमर उजाला प्रबंधन मेरिट पर जवाब देने से भाग रहा है। पिछली 15 दिसंबर की तारीख पर अमर उजाला ने जवाब नहीं तैयार होने की लिखित माफी मांगते हुए और वक्त मांगा तो कोर्ट सख्त हो गई और चेतावनी देकर अगली तारीख 11 जनवरी को जवाब देने का आखिरी मौका दिया है। अब यदि अमर उजाला ने जवाब नहीं दिया तो मामले में एकतरफा आदेश पारित हो सकता है।

मजीठिया के दो दर्जन और मुकदमे जल्द दाखिल होंगे

Advertisement. Scroll to continue reading.

रातो रात अमर उजाला से हटाकर संवाद न्यूज़ एजेंसी में ज्वाइन कराए जा रहे स्टाफ की ओर से सिर्फ लखनऊ में दो दर्जन से अधिक मुकदमे मजीठिया वेज बोर्ड के तहत दाखिल होने जा रहे हैं। अमर उजाला की कई यूनिटों से भी अयोध्या केस की कॉपियां मगाई गई हैं। दरअसल वेज बोर्ड का मुकदमा करने के बाद अमर उजाला न ट्रांसफर कर सकता है न ही निकाल सकता है। सावधानियां बरतनी है कि औद्योगिक विवाद की जगह केवल मजीठिया वेज बोर्ड की 17(1) के तहत मुकदमा दाखिल किए जाए। उद्योग विभाग विवाद का मामला लंबा चलता है और ट्रिब्यूनल में जाने के बाद लटक जाता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वेज बोर्ड का बकाया का केस जिला स्तरीय ए एल सी कोर्ट में दाखिल हो सकता है और वहीं से संक्षिप्त सुनवाई के बाद ही आरसी जारी होने का प्रावधान है। इस सच्चाई को जानने वाले पत्रकारों में अब मजीठिया वेज बोर्ड मांगने का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। यह केस करने के बाद प्रबंधन की कोई भी परेशान करने वाली कार्रवाई कोर्ट के निगरानी में आ जाएगी।

भड़ास एडिटर यशवंत से संपर्क- [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement