मदन मोहन सोनी-
इजरायल और हमास की जंग में न जाने कितने लोग मारे गए, न जाने कितने परिवार तबाह हो गए, हजारों घर नेस्तनाबूद हो गए। छोटे छोटे मासूम बच्चे बम की जद में आकर असमय दुनिया छोड़ गए। इसके बावजूद अभी भी जंग के खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इजरायल की एक ही जिद है कि जब तक हमास को पूरी तरह से खत्म नहीं कर देगा तब तक ये जंग जारी रहेगी। इस बीच बड़ी संख्या में पत्रकार और उनके परिवार भी इजरायली बम गोलों से अछूते नहीं हैं।
पिछले महीने ही अल जजीरा के एक पत्रकार के घर पर इजरायल ने हमला कर दिया। इस हमले में उनके निर्दोष बच्चे मारे गए। इनके अलावा दर्जन भर पत्रकारों ने इस जंग के दौरान अपनी जान गंवा दी। कई ऐसे पत्रकार रहें जिनका घर मकान सब कुछ तबाह हो गया।
ऐसी ही एक पत्रकार हैं खावला अल खालिदी। इस जंग के शुरु होने के बाद से ही वो पिछले 08 अक्टूबर से अपने घर नहीं जा सकी हैं। खावला ने इस जंग में अपना घर खो दिया। रिपोर्टिंग के दौरान असुरक्षा को देखते हुए अल खालिदी को अपने बच्चों को खुद से दूर करना पड़ा। इसके बावजूद वो अल अक्सा शहीद अस्पताल से लाइव रिपोर्टिंग कर रही हैं। अल खालिदी फिलिस्तीन टीवी के लिए काम करती है।
खावला अल खालिदी पिछले 11 साल से पत्रकारिता कर रही हैं। फिलिस्तीन टीवी में काम करने से पहले वो अल हदथ और अल अरबिया जैसे चैनलों में काम कर चुकी हैं।
जंग शुरु होने के पहले ही इजरायल ने गाजा में इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी है। बेहद कठिन परिस्थितियों में पत्रकारों को अल अक्सा शहीद अस्पताल के पास ही रह कर काम करना पड़ रहा है।
पत्रकार खावला अल खालिदी ने इस जंग मंे अपना घर गंवा दिया है। उनके सपनों का संसार इजरायली हमले का शिकार हो गया है। पति और चार बच्चों के साथ उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा। इतने बड़े नुकसान के बावजूद अल खालिदी के हौंसले बुलंद हैं। वो कहती हैं कि मेरे से भी ज्यादा दुख से बहुत सारे लोग गुजर रहे हैं।
अल जजीरा के मुताबिक अल खालिदी निरंतर अपने बच्चों के साथ संपर्क में रहती है। बच्चे इन दिनों अपने दादा दादी के साथ रह रहे हैं। अल खालिदी जहां से रिपोर्टिंग कर रही हैं, वहां पर पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था भी नहीं है। खौफ और दहशत का माहौल भी है। इसके बावजूद अल खालिदी बहादुरी के साथ अपना काम कर रही हैं।
अल खालिदी और उनके पति रोजाना सुबह जगते हैं। साथ नमाज अदा करते हैं और फिर अस्पताल जाकर रिपोर्टिंग का काम शुरु हो जाता है। अल खालिदी दिन भर में कई बार लाइव आती हैं और कई कई लोगों का फोन पर ही इंटरव्यू करती हैं। अल खालिदी के साथ उनके पति हमेशा मौजूद रहते हैं। पति की मौजूदगी को अल खालिदी सूकून और गर्व की बात कहती हैं।
इतनी चुनौतियों और व्यक्तिगत नुकसान के बावजूद खावला अल खालिदी अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वहन कर रही हैं। उनका बस एक ही सपना है कि एक दिन लाइव रिपोर्टिंग करते हुए वो कह सकें कि अब फिलिस्तीन आजाद हो चुका है।