जूही गुप्ता का मामला…
- चार दिन पहले तक प्रबंधन जूही गुप्ता को डराने के लिए कह रहा था कि तुम्हें किसी कीमत पर नहीं मिलेगा पैसा
- लेबर कोर्ट नहीं गया था मामला, 17-1 में सुनवाई के बाद DLC ने जारी की थी RRC
- DLC ने WJA के Sec 13 का दिया था हवाला
- HC में मजीठिया मामलों में बनी थी दो सदस्यीय विशेष खंडपीठ
- माननीय सुजॉय पॉल की इस खंडपीठ ने RRC को माना था सही
- SC में भी हारी थी राजस्थान पत्रिका की लीगल टीम
- RRC की वसूली मामले में 6 Oct को थी HC में सुनवाई
- जूही गुप्ता के पेश 6,11,298 रुपये के दावे को DLC ने माना था सही
- जूही असिस्टेंस एचआर के पद पर थी तैनात
- यह खबर उन लोगों के मुँह पर करारा तमाचा है जो कहते हैं कि अखबार मालिकों से आप अपने हक की एक दमड़ी भी नहीं ले सकते हैं
- इस चेक ने साबित कर दिया कि जो लड़ेगा वो अपना हक लेकर रहेगा
- ये खबर उन साथियों के लिए भी सबक है, जो थक कर केस को बीच में छोड़ कर बैठ गए हैं
सत्य के लिए युद्ध FIGHT FOR RIGHT में हमें आठ साल में पहली निर्णायक विजय प्राप्त हुई है। इस जीत के लिए मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साथी विजय शर्मा और जितेंद्र जाट को साधुवाद।
दरअसल तीन साल पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हमारी भोपाल की साथी जूही गुप्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पत्रिका को मजीठिया का बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था। पत्रिका ने इसकी पालना करने की जगह, आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां भी पत्रिका को करारी हार का सामना करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट में हारने के बावजूद पत्रिका ने भुगतान नहीं किया तो विजय शर्मा के सहयोग से जूही ने एक बार फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय से नोटिस जारी होने के बाद श्रम अधिकारी ने पत्रिका प्रबन्धन को भुगतान करने के लिए कहा, इस पर पत्रिका ने जवाब दिया कि बकाया भुगतान राशि का चेक हमने जबलपुर भेज दिया है जो 6 अक्टूबर को कोर्ट में पेश कर दिया जाएगा।
पत्रिका के इस जवाब पर श्रम अधिकारी ने कहा कि ठीक है, मैं पत्रिका का बैंक अकाउंट फ्रीज करने का और कुर्की का आदेश आज ही जारी कर देता हूँ। श्रम अधिकारी के ये तेवर देखकर पत्रिका प्रबन्धन घबरा गया और बुरी तरह फंसने के बाद पत्रिका के वरिष्ठ प्रबंधक गोपाल शर्मा ने कल तहसीलदार कार्यालय में जाकर जूही को बकाया राशि के भुगतान के रूप में चेक सौंपा।
राजस्थान से एक वरिष्ठ पत्रकार साथी की कलम से
Sanjay saini
September 30, 2023 at 11:14 pm
इसे कहते है 100 जूते भी खाओ ओर प्याज भी खाओ। इस केस को जीतने के लिये पत्रिका प्रबंधन ने वकीलों को ओर अपने पल्लेदारों को कई लाख रुपये खर्च करने पड़े होंगे। इसके बाद भी 6 लाख देने पड़े।
अब भी शायद अक्ल आ जाये पत्रिका प्रबंधन को।