अयोध्या। न्यूज़1इंडिया के पत्रकार राघवेंद्र शुक्ल उर्फ़ ‘मिंटू‘ के खिलाफ उनकी सहयोगी रही ज्योति जायसवाल ने त्यागपत्र दे कर मोर्चा खोल दिया है।
पत्रकार ज्योति जायसवाल ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए शिकायती प्रार्थना पत्र देकर एस०एस०पी० अयोध्या, क्षेत्राधिकारी अयोध्या से की शिकायत…
देखें शिकायती पत्र-
इन आरोपों पर टीवी पत्रकार राघवेंद्र शुक्ला का पक्ष पढ़िए-
मेरे विरुद्ध कई गंभीर आरोप लगे, इस बात का दुःख नही है। दुःख है तो इस बात का कि धोखेबाज और अपराधिक मानसिकता रखने वाले लोग नवयुवाओ का गलत इस्तेमाल कर उन के माध्यम से लोगों के जहन में अपनी दहशत पैदा करने की नाकाम कोशिश करते हैं। मेरे विरुद्ध ज्योति जायसवाल नामक एक इंटर्न पत्रकार के माध्यम से कई प्रार्थना पत्र अधिकारियों को दिलवाए गए हैं जिनमें अलग-अलग तरह से आरोपों को लिखा गया है। मुझे लगता है उन सभी को पढ़ने मात्र से ही सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा। फिर भी भड़ास मीडिया एक विश्वासनीय संस्थान है लोग भरोसा करते हैं, ऐसे मे आपके सवालों का जवाब विस्तृत रूप से देना आवश्यक है जो मैं आपको बता रहा हूँ….
1 – पहले आरोप में मुझ पर ज्योति जायसवाल के प्रति गलत धारणा रखने का आरोप है जिस पर इतना कहूंगा कि आउटडोर रिपोर्टिंग करने जाते वक्त बार-बार उसके आग्रह किए जाने के बावजूद भी एक नहीं दस बार से अधिक सिर्फ उसे यह कहकर मैं साथ नही लें गया कि तुम्हें अकेला न तो साथ ले चल सकता हूँ और न ही अकेला भेज सकता हूँ। जिस तरह एक परिवार का गार्जियन अपनों की जिम्मेदारी समझता है वैसे ही मैं समझता हूँ। यही शब्द मैंने उससे हमेशा ही कहे। यूं तो मुझे इस बात को नहीं कहना चाहिए लेकिन फिर भी आवश्यकता पड़ने पर मैं इसकी काल रिकॉर्डिंग उपलब्ध करवा सकता हूं।
2 – दूसरे आरोप में ज्योति जायसवाल द्वारा कहा गया है कि मैंने लोगों की स्टिंग करवा कर अवैध वसूली की। कुछ एक जगहों के नाम भी प्रार्थना पत्र में दिए गए हैं। मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं इन लोगों से कभी मेरी कोई बात हुई हो या इन लोगों के बारे में कभी मैंने कोई खबर ही कहीं किसी भी संस्थान मे चलवाई हो या फिर कभी ऐसा हुआ हो जिसमें आपको लगे कि खबर में मेरे द्वारा कहीं भी समझौता हुआ है तो निश्चित मैं आपसे इस आरोप को हंसते-हंसते कबूल कर लूंगा।
3 – तीसरा आरोप ज्योति जयसवाल द्वारा यह लगाया है कि मेरे द्वारा उसे ₹10000 मासिक तनख्वाह के रूप में देने का वादा किया था। बड़ी ही हंसी आती है इस बात को सुनकर। सिर्फ उससे एक सवाल मैं पूछना चाहता हूं। इसके बदले में वह हमारे ऑफिस में क्या करती थी ? दूसरा जब मैं इसको तनख्वाह नहीं पूरी देता था तो मेरे द्वारा कालेज में फीस आदि के लिए कुछ दिये हुए उधार रुपये वापस मांगे जाने पर वापस करने की बात को क्यों दोहराया था जिसकी व्हाट्सएप चैट और फोन कॉल रिकॉर्ड मेरे पास मौजूद है।
4 – एक महत्वपूर्ण सवाल डॉ इंद्रभान विश्वकर्मा से सांठगांठ के बारे में लगे मेरे विरुद्ध आरोप पर किया हुआ है जिसके बारे में स्पष्ट तौर पर इतना कहना मुनासिब होगा कि मेरे विरुद्ध जिस ऑडियो को काट छांट कर ज्योति जायसवाल और उसके सहयोगियों ने वायरल किया है सिर्फ उसे ही अगर खुद से सुन लिया होता तो शायद पूरे जीवन यह आरोप नहीं लगाते। दरअसल डा इंद्रभान विश्वकर्मा अयोध्या के सरकारी अस्पताल में बतौर एमबीबीएस एमडी करने के बाद चिकित्सक/ पैथ प्रभारी के पद पर तैनात हैं। ज्योति जयसवाल महज इंटर्न रिपोर्टर थी जिसके द्वारा एक खबर असाइनमेंट पर भेजी गई थी कि श्रीराम अस्पताल मे बैठा ‘इंद्रभान विश्वकर्मा अपने आपको बताता है एमबीबीएस डॉक्टर, करता है उगाही’, जिसके बारे में पूछे जाने पर मैंने यह जरूर कहा था कि वे MBBS MD डॉक्टर हैं और किसी भी डिग्री धारक व्यक्ति के विरुद्ध इस तरह से अपमानजनक खबर को प्रसारित करना मुझे लगता है कि ठीक नहीं और शायद इतना कहने के बाद ही वह खबर ड्रॉप हो गई थी। इसकी जानकारी मिलते ही बौखलाहट में ज्योति जायसवाल ने काफी कुछ अनाप-शनाप अपनी सोशल मीडिया से मेरे विरुद्ध वायरल किया था। बहरहाल यह सिर्फ उसका बचपना है।
5- एक अंतिम आरोप में उसने कहा है कि मैं जहां भी न्यूज़ चैनल ज्वाइन करने जाती हूं मुझे वहां से निकलवा दिया जाता है या फिर ज्वाइन नहीं करने दिया जाता है। हो सकता है उसके साथ शायद ऐसा ही हो रहा हो। इतना जरूर कहूंगा कि यह महज एक संयोग है ना कि पर्सनल तौर पर किसी भी तरह से कुछ और। पत्रकारिता धर्म को बखूबी मैं समझता भी हूँ और पालन भी करता हूँ आगे भी बगैर किसी ईर्ष्या द्वेष के मैं इस धर्म का पालन करता रहूंगा।
अब सबसे बड़ा सवाल आपके मन में यह जरूर होगा कि जब सब कुछ सही ही था तो ज्योति जायसवाल ने आखिर यह सब आरोप लगाए ही क्यूँ ? अयोध्या में पत्रकारिता के नाम पर अपराधियों का एक बहुत बड़ा रैकेट चल रहा है और जिस का सरगना है महेंद्र त्रिपाठी। अयोध्या में अधिकांश अपराधी पुलिस से बचने को लेकर इस रैकेट में जुड़ जाते हैं। राम मंदिर आंदोलन के वक्त के फोटोग्राफर महेंद्र त्रिपाठी कई गंभीर मामलों में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद आज रसूखदार पत्रकारों का अपने आपको अध्यक्ष बताता फिरता है। कभी अपने आपको अशोक चिन्ह से नवाजे जाने की बात करता है तो कभी परमवीर चक्र का हकदार बताता है और अयोध्या के मासूम साधु संत या जनता इसकी इन्हीं बातों से फस जाते हैं। कुछ एक मुकदमों में वादी को महेंद्र त्रिपाठी द्वारा इतना धमका दिया गया है कि वह अयोध्या की सीमा में प्रवेश करने से भी डरते हैं। अदालत से कई बार नोटिस भेजी जाती हैं फिर भी वह हाजिर डर की वजह से नहीं हो रहे हैं। इस मुद्दे को मैंने कई बार मीडिया की सुर्खियों में रखा है। हाल में ही जेल से रिहा हुआ महेंद्र त्रिपाठी का गुर्गा अंशुमान तिवारी है जिसने रायगंज मोहल्ले में हुए एक मंदिर बम कांड के आरोपियों को कई दिनों तक घर में पनाह दी थी। बाद में महेंद्र त्रिपाठी और अंशुमान के पिता जय गोविंद तिवारी समेत कई लोगों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज हुआ था। मेरे द्वारा उस वक्त उपरोक्त खबर को इंडिया न्यूज़ चैनल में प्रसारित किया गया था। महेंद्र त्रिपाठी के विरुद्ध मेरे द्वारा अंतरराष्ट्रीय मीडिया सेंटर पर फर्जी तरह से कब्जे दारी करने के प्रयास का एक मुकदमा भी कोतवाली नगर में पंजीकृत कराया गया था। इन्हीं सब बातों का बदला और मुकदमों में सुलह का दबाव बनाने के लिए अंशुमान के साथ कॉलेज में पढ़ाई करने वाली महिला मित्र ज्योति जयसवाल को मोहरा बनाया गया है। साक्ष्य के तौर पे कुछ फोटो रिकार्डिंग आदि मैं आप को अलग से भी दे रहा हूँ किन्तु इन्हें वायरल न करने की सिफारिश करता हूँ क्यूंकि मैं उन लोगों के भविष्य की हमेशा ही फिक्र में रहता हूँ जिनके अन्दर कुछ सकारात्मक ऊर्जा हो। ज्योति वर्तमान समय में गलत संगत में है और गलत संगत व निगेटिव मानसिकता सिर्फ और सिर्फ पश्चाताप करवाती है।