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काले धन के खिलाफ मुहिम को झटका, काली कमाई वालों के सामने सरकार ने घुटने टेके

नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोटों की बंदी कर कालेधन और भ्रष्टाचार पर जो चोट की थी उससे काले धन के खिलाफ एक उम्मीद जगी थी। बड़े काले धन के कुबेरों और उद्योगपतियों के दबाव में मोदी सरकार ने जो नया निर्णय लिया है वह घुटने टेकने वाला है। इस निर्णय के तहत 50 फीसदी टैक्स देकर अघोषित आय को जमा करने के बाद ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सकता है। यह निर्णय देश के उन करोड़ों गरीबों का अपमान है जिनके वाजिब हक़ पर डाका डालकर भ्रष्टाचार के जरिये ये काली कमाई की गयी थी। सरकार इस तरह से काली कमाई को सफ़ेद करने का एक मौका पहले भी दे चुकी है जो कि नहीं देना चाहिए था।

<p>नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोटों की बंदी कर कालेधन और भ्रष्टाचार पर जो चोट की थी उससे काले धन के खिलाफ एक उम्मीद जगी थी। बड़े काले धन के कुबेरों और उद्योगपतियों के दबाव में मोदी सरकार ने जो नया निर्णय लिया है वह घुटने टेकने वाला है। इस निर्णय के तहत 50 फीसदी टैक्स देकर अघोषित आय को जमा करने के बाद ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सकता है। यह निर्णय देश के उन करोड़ों गरीबों का अपमान है जिनके वाजिब हक़ पर डाका डालकर भ्रष्टाचार के जरिये ये काली कमाई की गयी थी। सरकार इस तरह से काली कमाई को सफ़ेद करने का एक मौका पहले भी दे चुकी है जो कि नहीं देना चाहिए था।</p>

नरेंद्र मोदी ने 1000 और 500 के नोटों की बंदी कर कालेधन और भ्रष्टाचार पर जो चोट की थी उससे काले धन के खिलाफ एक उम्मीद जगी थी। बड़े काले धन के कुबेरों और उद्योगपतियों के दबाव में मोदी सरकार ने जो नया निर्णय लिया है वह घुटने टेकने वाला है। इस निर्णय के तहत 50 फीसदी टैक्स देकर अघोषित आय को जमा करने के बाद ब्लैक मनी को व्हाइट किया जा सकता है। यह निर्णय देश के उन करोड़ों गरीबों का अपमान है जिनके वाजिब हक़ पर डाका डालकर भ्रष्टाचार के जरिये ये काली कमाई की गयी थी। सरकार इस तरह से काली कमाई को सफ़ेद करने का एक मौका पहले भी दे चुकी है जो कि नहीं देना चाहिए था।

इसका मतलब तो यह हुआ कि यदि कोई चोर 1000 रुपये की चोरी करता है और स्वयं उसका खुलासा कर उस पर 50 फीसदी टैक्स दे देता है तो उसको 500 रुपये कानूनी तौर पर दे दिया जाएगा, भले ही यह रकम 4 साल बाद लॉक इन अवधि के बाद दी जायेगी। हवाला दिया जा रहा है कि काली कमाई की इस हिस्सेदारी के कुछ हिस्से को सरकार गरीबी उन्मूलन की योजनाओं में निवेश करेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अब सरकार भी अपनी तमाम योजनाओं में इस कालेधन का उपयोग करेगी।

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सरकार को चाहिए तो यह था कि सरकार इन काले धन वालों को सजा देती और उनके काले धन को समूल नष्ट करती जिससे भविष्य में कोई भी भ्रष्टाचार के जरिये काला धन जमा करने की जुर्रत नहीं करता। मेरे विचार से सरकार का यह कदम काला धन को बढ़ावा देने वाला है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और अब यदि किसी को 100 रुपये काला धन पैदा करना है तो वह 200 रुपये का काला धन जमा करेगा और उसकी स्वयं घोषणा कर 100 रुपये व्हाइट मनी में बदल लेगा। मुझे मोदी सरकार का अर्थशास्त्र कोई समझाए कि आखिर क्या मजबूरी रही कि काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली सरकार काले धन में हिस्सेदारी मांग रही है और उस काली कमाई की हिस्सेदारी से गरीबों के विकास की योजनायें चलाने जा रही है। गरीबों के लिए योजनायें चलाने के लिए काले धन का प्रयोग करने के अलावा क्या सरकार के पास कोई भी विकल्प नहीं बचा था? ऐसी स्थिति में काले धन वाले धन कुबेरों और काले धन में हिस्सेदारी मागने वाली मोदी सरकार में क्या अंतर है?

सरकार के इस निर्णय से पिछले 20 दिनों से बैंकों में लाइन लगाए धैर्य पूर्वक काले धन के खिलाफ सरकार की लड़ाई में सहयोग करने वाले गरीब किसानों, मजदूरों, नौजवानों और समाज के जागरूक करोड़ों लोगों का भी अपमान है। साफ़ है कि मोदी का काले धन के खिलाफ जो क्रांतिकारी निर्णय था, उसकी इस निर्णय से हवा निकल गयी है। मोदी सरकार को यदि इसी प्रकार से भ्रष्टाचार के काले धन को सफ़ेद करना था तो फिर पिछले 20 दिनों से पूरे देश में काले धन के खिलाफ मुहिम का दिखावा क्यों किया गया? सरकार का यह निर्णय काले धन और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है।  सरकार से मेरी मांग है कि सरकार को इस मनी बिल आयकर संसोधन विधेयक को तुरंत वापस लेकर काले धन वाले धन कुबेरों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर उनको जेल भेजकर कड़ी सजा दें ताकि भ्रष्टाचार के जरिये कमाए जाने वाले काले धन को पूरी तरह से रोका जा सके। यदि सरकार को यही सब कुछ करना था तो 1000 और 500 की नोट बंदी का नाटक कर पूरे देश को क्यों गुमराह किया गया?

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राकेश भदौरिया
पत्रकार
एटा
उत्तर प्रदेश
[email protected]

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