यह कोई प्रयुक्ति पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी है जो अपने सेवा करार में बताती है कि कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय के तहत पंजीकृत है। यह लोगों को नौकरी पर रखती है तो उनसे “सेवा करार” करती है। इसमें यह नहीं बताया गया है कि सेवा के बदले क्या दिया जाएगा पर यह प्रमुखता से लिखा है कि बांड की तारीख एक साल (12 महीने) नौकरी जरूर करूंगा। यही नहीं, इसमें यह भी लिखा है कि अगर बांड पर दस्तखत करने वाला ऐसा नहीं कर पाया तो उसे एक लाख रुपए बतौर पेनल्टी देना होगा।
अभी और सुनिए, इसके लिए कोई दस्तावेज नहीं दिए जाएंगे। वैसे तो ऐसी कंपनी में काम करने के रिलीज लेटर और अनुभव प्रमाणपत्र का क्या मतलब होगा पर कंपनी ने खुल्लम खुल्ला यह एलान कर रखा है कि अगर आपने एक साल नौकरी नहीं की तो कोई सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा। कंपनी की मनमानी और एकतरफा सोच इतनी ही नहीं है। कंपनी अपने यहां सेवा देने वालों से यह भी लिखवा लेती है कि वह कंपनी या कंपनी के अधिकारियों को किसी भी ढंग से बदनाम नहीं करेगा और अगर ऐसा कुछ किया गया तो यह भी सेवा शर्तों का उल्लंघन होगा। इन शर्तों पर नौकरी करने वाले लोगों को कंपनी से कुछ शिकायत थी जिसकी सूचना Bhadas4Media.com पर प्रकाशित हुई तो कंपनी ने अपनी इन सेवा शर्तों को सार्वजनिक किया जैसे इनकी कोई कानूनी अहमियत हो। और इसी आधार पर कंपनी ने बताया है कि उसने किसे किस कारण से नौकरी से निकाल दिया। आइए, एक नजर उसपर भी डालें…
”…As per the story you mentioned some names for whom we didn’t paid dues…let me talk about it Mr Varun Aryan took Laptop from the Company & 5,000 rupees from employee fund till the date he didn’t returned his assets though we cleared his dues with single paisa..”
कंपनी दावा कर रही है कि 5,000 रुपए और लैपटॉप ‘सेवक’ के पास होने के बावजूद उसके बकाया का भुगतान कर दिया गया। जो पहली नजर में ही अविश्वसनीय प्रतीत हो रहा है। अंग्रेजी इतनी शानदार है कि कंपनी की ओर से दावा करने वाले की योग्यता का खुलासा हो जा रहा है और समझ में आ रहा है कि कोई भी समझदार आदमी ऐसी बातें नहीं करेगा। फिर भी यह एक रजिस्टर्ड कंपनी है।
”…Then Coming to Mr Rajshekhar Mishra, is the one who is not ready to respect the boss more over not ready to work till edition gets finalised what is the use ?? we said him to get lost & he was with us for more days on his wish and we cleared all his dues, let us send the copy to you…”
कंपनी खुद ही कह रही है, we said him to get lost इसके बावजूद कर्मचारी अपनी इच्छा से ज्यादा समय तक बना रहा फिर भी हमने पैसे दिए। भइया कंपनी चला रहे हो या खैरात बांट रहे हो?
Now Turn Mr Sachin Choudhary, when we are ready to launch he took leave by saying his wife is ill & when we terminated him he is saying my wife is not ill and I said lie, then when we terminate one person how can we clear his dues, moreover he is having his one year employment bond with us.
पत्नी बीमार थी तो नौकरी से निकाल दिया। अब वह कह है कि मैंने झूठ बोला। पत्नी की बीमारी नौकरी छुड़ा देगी तो बचाने के लि झूठ बोलना ही पड़ेगा। क्या चाहते हो – नौकरी छोड़ दे। तो यही बोलो। पत्नी बीमार होने का उपयोग करोगे तो कर्मचारी बेचारा क्या करे?
Last but not the least Mr Sajjan Choudhary, same with him, when he signed one year bond & all of sudden he told he is resigning then management took time to approve his resignation and its not even a month, then how come you say that we are spoiling their career. They spoiled our PRAYUKTI CAREER without any knowledge.
और कर्मचारी के इस्तीफा देने से कंपनी का कैरियर चौपट हो गया।
Last but not the least, last time we are warning before publishing try to know the facts, and delete that news immediately if not I will publish about your deeds in my paper & at the same time I will proceed with legal actions. I don’t spare wrong things when we are right.
और अंत में खिलाफ खबर छापने वाले को अंतिम चेतावनी। कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ अपने अखबार में छापने की धमकी। भाई जान कह रहे हैं कि हम गलत चीज को नहीं छोड़ते जब हम ठीक हों। समझ में आए तो मुझे भी बताइए कहना क्या चाह रहे हैं। सड़क पर निपटेंगे या अदालत में? मूल खबर पढ़ना चाहें तो लिंक ये रहा : http://www.bhadas4media.com/print/10520-pryukti-letter
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से. संजय जनसत्ता अखबार में लंबे समय तक काम कर चुके हैं और सोशल मीडिया पर अपने बेबाक लेखन / टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं. उनका यह लिखा उनके एफबी वॉल से लिया गया है.
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‘प्रयुक्ति’ में पत्रकारों की हालत को लेकर छपी खबर पर अखबार प्रबंधन ने भड़ास को ये पत्र भेज कर अपना पक्ष रखा
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अंकित द्विवेदी
August 24, 2016 at 3:16 pm
सर एक ग्रामीण भारत बुलंद आवाज के नाम से चैनल आ रहा है जो हर एक रिपोर्टर को सैलरी देने की बात कर रहा है। इसके साथ ही हर जिले में डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर एवं हर ब्लाक में ब्लाक कोऑर्डिनेटर नियुक्त कर रहा है जिसके लिए प्रत्येक से 3000 रुपये जमा कराये जा रहे हैं। लेकिन सैलरी तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद मिलने की बात कही जा रही है । 6 महीने पहले मैं जुड़ा था और सभी ब्लाक की भी टीम बनाई थी सभी के पैसे भी जमा किये लेकिन अभी तक कुछ भी नही हुआ है । इसके अलावा योग्यता का मापदंड 12th पास रखा है। आपसे निवेदन है की इसकी भी सच्चाई सामने लाएं। कहि यह मीडिया के नाम पर ठगी तो नही हो रही है। इसकी बेवसाइट http://www.graminbharattv.com है।
अंकित द्विवेदी 08004105636 झाँसी
yogi
August 24, 2016 at 7:02 pm
इस समाचार पत्र के स्वामी,प्रकाशक,संपादक एवं मुद्रक श्रीमान संपत कुमार सुरापाग्गरी भारत सरकार की वर्तमान में नौकरी करते है। और वह भी कॉरपोरेट अफेयरर्स मिनिस्ट्री में? तो ऐसे में आरएनआई एवं भारत सरकार की सेवा शर्तो में क्या यह वर्णित है की सरकारी कर्मचारी किसी समाचार पत्र का संपादक बन सकता है?