Sushil Upadhyay-
मेरे पिता तुल्य गुरु प्रो. कमलकांत बुधकर जी ने आज सुबह अपने गृहनगर हरिद्वार में अपनी जीवनयात्रा पूरी कर ली। मेरे लिए केवल शिक्षक ही नहीं थे, पिता से बढ़कर थे, जीवन के हर पहलू के मार्गदर्शक थे। शब्द नहीं हैं इससे ज्यादा कुछ कह पाने के लिए।