विष्णु नागर-
प्रधानमंत्री जी,सुनते थे और देखा भी कि आप बहुत सख्त और शक्तिशाली हैं।कम से कम निरपराधों को सताने और दंडित करने में आपने अपनी शक्ति और सख्ती बहुत अधिक दिखाई है।इस मामले में आपका कोई जवाब नहीं। मगर हम देख रहे हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अपनी शक्ति और सख्ती दिखाने में आप उतने ही निर्बल दिख रहे हैं, जैसे आपकी पार्टी के ये सांसद भी चीन हों, न कोई घुसा था, न घुसा हुआ है, टाइप हों!
आज टेलीग्राफ अखबार में पढ़ा कि एक महिला पहलवान ने आपसे मिलकर दो साल पहले शिकायत की थी,इन सांसद साहब के यौन दुर्व्यवहार के बारे में बताया था और आपने तब उन्हें आश्वस्त भी किया था कि खेल मंत्रालय इस शिकायत पर ध्यान देगा और जल्दी ही मंत्रालय से फोन आएगा।
जब देश का प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से आश्वस्त करे तो क्यों न भरोसा किया जाए और आप पर भरोसा किया भी गया।
आज दो साल हो गए और देश का प्रधानमंत्री न केवल इस मामले में चुप हैं बल्कि’ बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ’ का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री ने इन बेटियों से जंतर-मंतर पर धरना देने का अधिकार भी छीन लिया।बचाने की बजाय उनके साथ दिल्ली पुलिस ने शर्मनाक व्यवहार किया।वे इंडिया गेट पर धरना देना चाहती थीं तो वहां नहीं बैठने देने की कड़ी हिदायत दी गई और जब ये हताश -निराश महिला पहलवान गंगा में अपने मेडल फेंकने पहुंच गई तो भी आपके होंठ सिले रहे!
क्यों? क्या बृजभूषण शरण सिंह इस देश के प्रधानमंत्री से भी ताकतवर है? क्या वह प्रधानमंत्री पर भी दबाव डाल सकता है? सारी दुनिया में देश की सरकार की थू- थू हो रही है,इसकी भी आपको परवाह नहीं?खबर है कि लोग गृहमंत्रालय को फोन करके पूछा रहे हैं कि सरकार कुछ कर क्यों नहीं रही है?
कुछ दिनों में आप अमेरिका में होंगे। वहां कोई कुछ कहे न कहे मगर आप वहां क्या मुंह दिखाएंगे? भारतवंशी और भारतीय समुदाय आप और आपकी सरकार के बारे में क्या सोच रहा होगा?
और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को तो छोड़ो, भाजपा के पचास सांसदों के पास क्या इतनी भी हिम्मत नहीं है कि एक पत्र प्रधानमंत्री को इस बारे में लिखें? और क्या राजपूत समुदाय पर इतना विश्वास नहीं कि उसमें भी सत्य और न्याय के पक्ष में भी लोग होंगे? और इन बाबाओं से क्या डरना,जो खुद भी सत्ता के आगे डरे- डरे से,झुके झुके से रहते हैं?
One comment on “मोदी इतने कमजोर तो कभी नहीं दिखे!”
अच्छा? जो टेलीग्राफ का पता चला,वो देश में किसी और को नहीं पता? ये भी एक्सक्लूसिव हो गया? कोर्टों के काम भी प्रधानमंत्री करे? तो कोर्टों का तामझाम क्यों भैय्ये?
भारतीय ओलंपिक संघ की जांच का इंतजार किया? हर विवादास्पद चीज का फैसला धरने से हो जाया करें? जनता की बड़ी समझ है आपको। जनता समर्थन में क्यों नहीं आ रही? क्यों कांग्रेसियों , जाटों और बाकी आंदोलनजीवियों को बुलाना पड रहा है? नये संसद भवन उद्घाटन पै स्टंट क्यों करना पड़ रहा है?