Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

योगेंद्र और प्रशांत को निपटाने के लिए जी-जान से जुटे केजरी कैंप के नेता

  • ‘आप’ के अंदरखाने एक दूसरे को नीचा दिखाने की जबरदस्त राजनीति चल रही है
  • सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी का चरित्र खास राजनीतिक पार्टियों जैसा हो गया है
  • योगेंद्र और प्रशांत को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकालने के लिए लामबंदी

आम आदमी पार्टी के अंदरखाने जबरदस्त खेल चल रहा है. केजरीवाल के इशारे पर उनके भक्त नेता गण प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं और इसी रणनीति के तहत चालें चल रहे हैं. पूरे मामले को समझने के लिए आपको अंदर के खेल को समझना होगा. टीवी व अखबारों पर जो दिख रहा है, जो छप रहा है, वह बता रहा है कि सब कुछ ठीक रास्ते पर जा रहा है. लेकिन अंदर की कहानी कुछ अलग है. आइए एक एक कर मामले को समझते हैं.

<ul> <li><span style="font-size: 14pt;">'आप' के अंदरखाने एक दूसरे को नीचा दिखाने की जबरदस्त राजनीति चल रही है</span></li> <li><span style="font-size: 14pt;">सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी का चरित्र खास राजनीतिक पार्टियों जैसा हो गया है</span></li> <li><span style="font-size: 14pt;">योगेंद्र और प्रशांत को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकालने के लिए लामबंदी</span></li> </ul> <p>आम आदमी पार्टी के अंदरखाने जबरदस्त खेल चल रहा है. केजरीवाल के इशारे पर उनके भक्त नेता गण प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं और इसी रणनीति के तहत चालें चल रहे हैं. पूरे मामले को समझने के लिए आपको अंदर के खेल को समझना होगा. टीवी व अखबारों पर जो दिख रहा है, जो छप रहा है, वह बता रहा है कि सब कुछ ठीक रास्ते पर जा रहा है. लेकिन अंदर की कहानी कुछ अलग है. आइए एक एक कर मामले को समझते हैं.</p>
  • ‘आप’ के अंदरखाने एक दूसरे को नीचा दिखाने की जबरदस्त राजनीति चल रही है
  • सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी का चरित्र खास राजनीतिक पार्टियों जैसा हो गया है
  • योगेंद्र और प्रशांत को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकालने के लिए लामबंदी

आम आदमी पार्टी के अंदरखाने जबरदस्त खेल चल रहा है. केजरीवाल के इशारे पर उनके भक्त नेता गण प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं और इसी रणनीति के तहत चालें चल रहे हैं. पूरे मामले को समझने के लिए आपको अंदर के खेल को समझना होगा. टीवी व अखबारों पर जो दिख रहा है, जो छप रहा है, वह बता रहा है कि सब कुछ ठीक रास्ते पर जा रहा है. लेकिन अंदर की कहानी कुछ अलग है. आइए एक एक कर मामले को समझते हैं.

अरविंद केजरीवाल के दिल्ली लौटने पर प्रशांत भूषण ने उनसे मिलने का समय मांगा. प्रशांत भूषण ने ये बात मीडिया में सार्वजनिक कर दी कि उन्होंने मिलने का समय मांगा है. केजरी कैंप का कहना है कि ये मिलने की बात उनको मीडिया में कहने की क्या जरूरत थी? केजरीवाल कैंप ने इसको प्रशांत भूषण की दबाव में लाने वाली चाल के तौर पर देखा क्योंकि अगर अरविंद मना करते हैं तो बुराई उनके नाम पर जाती और संदेश ये जाता कि प्रशांत तो मामला सुलझाना चाहते हैं, लेकिन अरविंद अपनी जिद पर अड़े हैं.

प्रशांत भूषण के दांव के जवाब में केजरी कैंप के चार नेता संजय सिंह, कुमार विश्वास, आशुतोष और आशीष खेतान देर रात तीन घंटे योगेंद्र यादव से मिलकर आए. इन चारों ने इसे मीडिया में खूब प्रचारित किया. इससे केजरी कैंप ने ये संदेश दिया कि देखो हम कितने आतुर हैं मामला सुलझाने को. आमतौर पर ऐसी देर रात होने वाली मुलाकातें गुपचुप होती हैं. जब मामला फाइनल हो जाता है तो कोई सूत्र खुलासा करता है. लेकिन यहां तो सब खुल्लम-खुल्ला रहा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

विवाद सुलझाने की ‘कोशिश’ के तहत केजरी कैंप के चार नेताओं (कुमार विश्वास, संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान) की तरफ से आशीष खेतान ने प्रशांत भूषण से मिलने का समय मांगा, लेकिन प्रशांत भूषण ने मिलने से इनकार कर दिया। अगर प्रशांत वाकई मामला सुलझाना चाहते हैं तो आखिर क्यों मना कर दिया मिलने से? हो सकता है आशीष खेतान प्रशांत के सामने बहुत जूनियर नेता हैं और हाल ही में उन्होंने पूरे भूषण परिवार पर टिप्पणी की थी, जिसके लिए उन्होंने बाद में माफी मांगी थी. तो जब ऐसा था तो क्या बाकी के वरिष्ठ नेताओं में से कोई समय नहीं मांग सकता था? या फिर ऐसा जानबूझकर किया गया?

प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल को मैसेज भेजकर मिलने का समय मांगा था. इसको प्रशांत भूषण ने सार्वजनिक किया. इसके जवाब में अरविंद ने मैसेज भेजकर कहा- ‘हम जल्द मिलेंगे.’ सवाल है कि आखिर अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण से जल्द ही मिलकर मामले को निपटा क्यों नहीं दे रहे?

Advertisement. Scroll to continue reading.

कहने वाले कहते हैं कि पुरानी दोस्ती पर जब राजनीति की धूल पड़ जाती है तो यही होता है. कुल मिलाकर मामला सुलझाने की नौटंकी चल रही है. असल खेल दूसरे को नीचा दिखाने और खुद की इमेज ठीक रखने की है. यह सब कुछ केजरी के इशारे पर हो रहा है. सूत्र कहते हैं कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को 28 मार्च की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया जाएगा. दोनों गुट परिषद के सदस्यों की लामबंदी में लगे हैं.

ये संभव है कि दोनों गुट थोड़े थोड़े झुक जाएं और ऐसा फारमूला निकल आए जिससे केजरी कैंप की बात भी रह जाए और योगेंद्र-प्रशांत भी मान जाएं. कुल मिलाकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि जो लोग दूसरों को राजनीति सिखाने आए थे, वे खुद अपने ही लोगों की टांग खींचने और छवि खराब करने में जुट गए हैं. इससे पता चलता है कि सत्ता पाते ही आम आदमी पार्टी का चरित्र खास राजनीतिक पार्टियों जैसा हो गया है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास तक खबर सूचनाएं जानकारियां मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement