मोहम्मद कामरान-
(लिख रहा हूँ मैं जो आज अपनी पत्रकार समिति के हाल,
पढ़ लेना, आज नही तो कल इन्किलाब ज़रूर आयेगा)
हर रोज अपनी ही बातो को बदलने लगें सरकार यहां,
तमाशा है या फिर तानाशाह कोई बताए एक बार यहां।
उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव में एकजुटता और अखंडता के लिए सोशल मीडिया पर कलम बहुत चल रही है लेकिन उस एक व्यक्ति के सामने सर उठाने की हिमाकत कोई नही कर पा रहा है जिस व्यक्ति के दम्भ, अहंकार, स्वार्थ के चलते सैकड़ों व्यक्तियों का स्वाभिमान, मान, मर्यादा, अखंडता बली पर चढ़ती नज़र आ रही है।
इतिहास गवाह है अहंकार के चलते बल, बुद्धि और वंश सबका विनाश हुआ और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण कौरव, रावण और कंस के रूप में देखने को मिलता है, सिर्फ यही तीन ही नही ऐसे अनेक महान लोग हुए हैं, जिनका अहंकार के कारण सब कुछ नष्ट हो गया। लेकिन जिसकी बुद्धि ही भ्रष्ट हो गयी हो उसको कौन समझाए, न कोई नौकरी, न चाकरी उसपर राजसी ठाट बाट, इन सबकी महिमा है यही समिति का पद और साथ मे बड़ा सा मकान।
इससे जो रुतबा बढ़ा है उसे देखकर कोई भी आवाज़ उठाने की हिमाकत करे तो शिकायतीं पत्रों का अंबार लग जाता है और सम्मानित गण दुबक कर सोशल मीडिया पर सिर्फ अपने दर्द का इज़हार करते नज़र आते हैं।
अगर ऐसा ही डर है तो काहे का चुनाव और काहे की मान्यता समिति, उसको बने रहने दो, माल कमाने दो, वैसे भी मान्यता समिति का इतिहास है , उसके काबिज़ रहते, सब पद बेकार है, वही अध्यक्ष, वही उपाध्यक्ष, वही सचिव और वही कोषाध्यक्ष है, हालात तो ये हैं कि वही चुनाव आयोग है और वही चुनाव समिति, जैसे चाहे गठन करता है, न कोई आम सभा, न समिति की कोई बैठक सिर्फ उसका फरमान और चुनाव समिति का गठन हो जाता है और समिति का भी उद्देश्य, एजेंडा बाटों और राज करो के दिशानिर्देश को ही पालन करता है।
बड़े बड़े सूरमा भोपाली सोशल मीडिया पर लिख कर एकता, अखंडता की बात करते है, स्वर्णिम।अक्षरों में नया इतिहास लिखने की बात करते है, मठाधीशों को सबक सिखाने की बात करते है, लेकिन मठाधीशों के मठाधीश के दरबार मे सर झुका कर महँगी ब्रांड का सेवन करते है और वाह वाही करते नज़र आते है। ब्लैक डॉग का खिलाड़ी पुराना है लेकिन अब तो विदेशी कुत्तों का भी चस्का मस्का दिखता है, विदेश भ्रमण की लॉलीपाप हरदम अपने दरबारियों को दिखाता है, ऐसे में सूरमा भोपाली सिर्फ सोशल मीडिया पर कलम चला कर अपना दर्द ज़ाहिर करते हैं और एक समिति एक।चुनाव का राग अलापते है, कौन नही जानता, कौन नही समझता, एक समिति और एक चुनाव न होने का किसका फैलाया ये रायता है फिर भी अपनी अपनी ढफली है, अपना अपना तराना है।
लगे रहो, जो चाहे करते रहो, हदे पार भी दिखे तो बर्दाश्त करते रहो, भूगोल बदलने की बात सिर्फ सोशल मीडिया पर अच्छी दिखती है, बदलाव लाना है तो लिखने से ही नही आगे बढ़कर ऐसे इंसान को बेनकाब करके आईना दिखाना होगा तभी इंक़लाब आएगा और एक चुनाव, एक समिति का ये नारा धरातल पर दिखाई देगा।
कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों.,
डॉ मोहम्मद कामरान
स्वतंत्र पत्रकार
Asheesh K Agarwal
March 14, 2021 at 9:59 pm
बस केवल सच बोलना है। कोई नाराज़ होए तो होए !