
बाप बड़ा न भईया..सबसे बड़ा रूपइया. ये जितनी पुरानी कहावते हैं..जाने-अनजाने सत्य और सटीक साबित होती रहती हैं. आज यही कहावत एक बार फिर सही साबित हुई लखनऊ के मृतक चन्द्र भूषण मिश्रा पर. पता चला कि वे लखनऊ के जिस मेडिकल स्टोर पर भरोसा कर पिछले 15 साल से दवा ला रहे थे, वो हिसाब किताब में तगड़ी गड़बड़ कर रहा था. मिश्राजी के सामने से दुकानदार की इस लूट का पर्दा हटा, तो उनने माथा पीट लिया.
लखनऊ के डालीगंज क्रासिंग, त्रिवेणीनगर, सीतापुर रोड निवासी चन्द्र भूषण मिश्रा अब दुनियां में नहीं रहे. चन्द्र भूषण जब जीवित थे तो कैसरबाग चौराहा स्थित, मेडिसिन शॉप किशोर एण्ड कम्पनी से पिछले 15 वर्षों से अपने लिये दवाइयां खरीद रहे थे. बाद में उन्हें मालूम चला कि दुकानदार छपे हुये मूल्य से अधिक मूल्य अपने कैशमेमो में दिखाकर उनसे अधिक धनराशि वसूल कर रहा है. मामला पकड़ में आते ही उन्होंने और बिल चेक किए तो पाया, कि 25 अप्रैल 2020 के बिल में सैलजिन दवा का छपा मूल्य 65/-रू0 था, जबकि मेडीसीन शॉप ने अपने बिल में इसे 165/-रू0 का दिखाया.
इसी तरह प्रेमीप्रेक्स टेबलेट .25 का छपा हुआ मूल्य 79/-रू0 था, जब कि दुकानदार ने अपने बिल में इसे 179/-रू0 दिखाकर पैसे वसूले. इसके अलावा अन्य कई दवाओं के मूल्यों में हेराफेरी की गई. और तो और कई दवाओं के कैशमेमो में एक ही दवा, दो या उससे अधिक दिखाकर उनसे अवैध धन वसूला गया.
पूरी तरह पुष्टि कर लेने पर चन्द्र भूषण ने राज्य उपभोक्ता आयोग के समक्ष एक परिवाद दाखिल किया. जिसमें राज्य उपभोक्ता आयोग में पीठासीन जज राजेन्द्र सिंह और सदस्य विकास सक्सेना द्वारा मामले की सुनवाई की गई. पीठासीन जज राजेन्द्र सिंह ने इस मामले में पाया कि कैसरबाग चौराहा स्थित किशोर एण्ड कम्पनी द्वारा गलत तरीके से दवाओं पर अंकित मूल्य से अधिक मूल्य पीड़ित से लिया जा रहा था।
सुनवाई के दौरान, मेडिकल शॉप किशोर एण्ड कम्पनी ने यह तर्क दिया कि यह कम्प्यूटर की भूल से हुआ, किन्तु राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, ‘कम्प्यूटर में वही फीड होता है जो उसमें फीड किया जाता है और इसे मनुष्य ही फीड करता है न कि मशीन स्वयं फीड कर लेती है. राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि दवाओं के मूल्यों में हेराफेरी समाज के प्रति अपराध है और विशेष तौर से बीमार व्यक्तियों के प्रति जो अपनी बीमारी के प्रति मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजरता है.’
उपभोक्ता आयोग की तरफ से मामले में विचार कर आदेश दिया गया कि विपक्षी किशोर एण्ड कम्पनी 20,00,000/-रू0 (बीस लाख रू0) परिवादी को 30 दिन के भीतर अदा करेगा. साथ ही यह आदेश भी दिया गया कि 30 दिन के अंदर रूपये ना देने की स्थिति में देय तारीख तक 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देना होगा. इसके अलावा आयोग ने यह भी कंडीशन रखी की 30 दिन से अधिक होने के बाद वार्षिक ब्याज की दर बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगी. आयोग ने यह आदेश 16 जून 2020 से लागू किया है.
इसके अतिरिक्त मेडिकल संचालक को आदेश दिया गया कि वह मानसिक यंत्रणा, अवसाद के मद में 1,00,000/-रू0 (एक लाख रू0) एवं वाद व्यय के रूप में 1,00,000/-रू0 (एक लाख रू0) का अतिरिक्त भुगतान करेगा. आयोग ने यह भी साफ किया है कि इस धनराशि में वही कंडीशन चलेगी जो उपर के 20 लाख हर्जाना में लागू की गई हैं.