यशवंत सिंह-
…. और कहते हैं कि ठाकुरों को विलेन बना बनाकर दिखा दिखाकर बॉलीवुड ने इस जाति को बड़ा बदनाम किया है!
एमबीबीएस डॉक्टर के पैर में ड्रिल मशीन से छेद का आइडिया अभी तक किसी फ़िल्म डायरेक्टर के दिमाग़ में न आया होगा…
खेत में घुसने की सजा में दो दर्जन गधों का हाथ पाँव बांध ट्रेन पटरी पर लिटा कर कुल्हाड़ी से संहार भी बहुत मौलिक आईडिया है…
मेरे अनुमान से हर दूसरे या तीसरे ठाकुर के घर में भगवान एक सनकी, क्रूर और मानसिक रूप से बीमार ठाकुर का निर्माण करता है…
ठाकुर न्याय प्रिय होते हैं। ड्रिल मशीन से छेद करना पड़े तो भी ये कष्ट उठा कर ऐसा कालजयी न्याय करते हैं।
इस परम जातिवादी दौर में अपनी जाति को गरिया लेना भी न्यायप्रियता का प्रतीक है। इससे फाइनली सिद्ध हुआ कि ठाकुर न्यायप्रिय होता है।



#Rajput #kshatriya #Thakur


मैंने AMU में छात्र संघ में एक भाषण दिया था। भाषण का सार यह था बॉलीवुड ने ठाकुरों को क्या नहीं बनाया। लेकिन जीपी सिप्पी ने एक कटे हाथ वाले ठाकुर की मर्दानगी, प्रतिशोध, बुद्धिमत्ता और व्यूह रचना पर कालजई फिल्म बनाई। ठाकुर को लोग हारते नहीं देखना चाहते। त्रेता युग में श्रीराम क्षत्रिय थे और उन्होंने अत्याचारी ब्राह्मण रावण का विनाश किया। अहंकारी ब्राह्मण परशुराम का अभिमान मिट्टी में मिलाया। द्वापर में श्रीकृष्ण को भले ही अहीरों ,ने पाला लेकिन थे वे भी ठाकुर ही। उन्होंने भी ना केवल एक अत्याचारी ठाकुर, अपने सगे मामा को मिटाया। बल्कि जब सत्य और असत्य की जंग हुई तो निर्बल क्षत्रियों का साथ खुद दिया और अंततः अपने ही वंश के तमाम कौरव वीरों को मारने का माध्यम भी बने। ठाकुरों के बूते ही हिंदुस्तान ने मुगल अत्याचारों की आंधी में भी वजूद नहीं खोया। –अशोक कुमार शर्मा
ठाकुर शासक रहा है इसलिए न्यायप्रियता उसके खून में है। ठाकुर के नाम पर मूर्खता का कितना समर्थन और क्यों किया जाय। –जेपी सिंह