LETTER TO RAMAN RAHEJA

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शायद स्पोर्ट्स फ़्लैशेज़ के संस्थापक और सीईओ रमन रहेजा से बकाया पैसे के लिए मीडियाकर्मी ने लिखा पत्र… पढ़ें….

प्रिय रमन रहेजा,

मैं पिछले 10 महीनों से अपनी 32 दिनों की सैलरी और 7 महीने के कटे हुए TDS के पैसों के लिए न जाने कितना मेल और फ़ोन किया होगा, पर आप जैसे महान इंसान के पास समय कहां है जो फ़ोन या मेल चेक कर पाएं। यहां तक कि आपके एडमिन हेड लहिरी जी और एचआर पायल भी दुनिया के सबसे बड़े मीडिया हाउस में अपने कर्मचारियों के लिए इतने व्यस्त रहते हैं कि किसी को समय ही नहीं मिल पाता। इसलिए मैंने सोचा कि मुझ जैसे टटपूंजिए पत्रकारों की आवाज़ भड़ास के ज़रिए आपको एक चिट्ठी लिखी जाए, तब शायद आपकी नज़र भी इस चिट्ठी पर पड़ जाए।

रमन जी, मैं मानता हूं कि आप बहुत बड़े दिग्गज हैं जिसने कभी वर्ल्ड कबड्डी लीग की शुरुआत की थी, लिहाज़ा आपके लिए कुछ हज़ार या लाख रुपयों की क्या बिसात। लेकिन महोदय, हम जैसे छोटे पत्रकारों के लिए ये मेहनत की कमाई होती है और इससे ही हम अपने परिवार का पेट चला पाते हैं। अगर 32 दिनों की सैलरी आप 10 महीनों में भी न दें तो सोच सकते हैं हमारा क्या हाल होगा। उपर से आपके विश्वव्यापी संगठन में जितने महीने काम किए उसमें भी हर महीने TDS के नाम पर अच्छी ख़ासी रक़म काट कर मिलती थी और कहा गया कि ये TDS कट रहा है और सरकार को जमा कर दिया जाएगा, ताकि आप रिटर्न फ़ाइल में क्लेम कर सकें। लेकिन आप और आपके अकाउंट हेड बेचारे इतने व्यस्त रहते थे कि सरकार को भी जमा करने का समय नहीं मिल पाया। लेकिन सरकार थोड़े ही आपकी तरह व्यस्त रहती है उसने तो मुझपर ही धोखाधड़ी और झूठ का आरोप मढ़ दिया कि आप कहते हैं कि TDS कटता है लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं है।

जब मैंने इन बातों को आपसे और आपकी एच आर, और एडमिन हेड लहिरी जी से साझा किया तो पहले तो मुझे तारीख़ पर तारीख़ मिली, लेकिन चूंकि मैं सैयद हुसैन हूं सनी देओल नहीं इसलिए धैर्य से ही काम लिया। पर अक्तूबर 2017 के बाद से फ़ोन उठाना भी आपकी ओर से बंद, मेल का भी कोई जवाब नहीं, मैं समझ गया कि आप लोग बड़े इंसान हैं और व्यस्त रहते हैं। चूंकि ये कंपनी बेहद बड़ी और दुनिया की उतकृष्ठ है लिहाज़ा सोशल मीडिया पर काफ़ी सक्रिय रहती है, आए दिन कंपनियों की उपलब्धियों की आसमान छूती फ़ेहरिस्त से लिंक्डइन से लेकर फ़ेसबुक और ट्विटर भरा पड़ा रहता था। मैं समझ गया था कि बड़े लोग इन्हीं जगहों पर व्यस्त रहते हैं इसलिए मैंने भी अपनी बात आपके कानों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।

जिसका फ़ायदा भी हुआ, और वह ये कि मुझे जवाब आया और वह भी रमन जी आपका ही। मैं ख़ुश हुआ क्योंकि महोदय आपने मुझे न सिर्फ़ अपनी तरफ़ से बल्कि पुलिस का भी साथ दिलाने की बात कही। उनके मेल की स्क्रीन शॉट भी आप नीचे देख सकते हैं, जिसमें आप ने ही रमन जी लिखा था कि साइबर क्राइम का केस कर चुका हूं आप पर और अब पुलिस ही इस पर करेगी। रमन जी, दुनिया की कोई भी अदालत शायद ऐसी नहीं होगी जो कर्मचारी को अपना पैसा मांगने की बजाए सज़ा दे। बहरहाल, मैं मुंबई में हूं वरना लेबर कोर्ट का सहारा तो मैं भी ले सकता था।

महोदय, अगर यहां इस चिट्ठी पर नज़र पड़ी हो तो आपसे निवेदन है कि अपनी व्यस्तता में से थोड़ा सा समय निकालते हुए अब महीनों से चली आ रही परेशानी का समादान करें। क्योंकि कुछ ही दिनों में ये साल में बदल जाएगी, मैं तो छोटा मोटा पत्रकार हूं लिहाज़ा मेरी इतनी बिसात भी नहीं कि कुछ कर सकूं न ही मेरा कोई साथ देगा क्योंकि साथ देने वालों पर पैसा ख़र्च करने के लिए पैसे भी नहीं है। इसलिए आपसे ही गुज़ारिश है विश्वव्यापी संगठन के दिग्गज संस्थापक साहब कि अब मेरी मानसिक परेशानियों को समझिए, मैं नहीं चाहता कि लेबर कोर्ट मेरी परेशानियों में टांग अड़ाए वरना 32 दिन की सैलरी और 7 महीनों के TDS के साथ साथ वह इसमें ख़ामोख़ां मानसिक प्रताड़ना की भी मेहनत का इज़ाफ़ा कर देगा।

उम्मीद है कि इस प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए विश्वव्यापी मीडिया हाउस के सबसे व्यस्त लोगों में से एक तक ये चिट्ठी ज़रूर पहुंच जाएगी।

शुक्रिया

सैयद हुसैन

एक छोटा मोटा पत्रकार



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