पुन्य प्रसून जी, आपके बिना ‘आजतक’ सूना-सूना नजर आ रहा है

पुण्य प्रसून बाजपेयी के नाम एक दर्शक का खत….

पुन्य प्रसून बाजपेयी जी,

‘आज तक’ आपके बिना सूना सूना नजर  लग रहा है… रोजाना सुबह से रात तक बस एक ही प्रोग्राम का इंतजार रहता था, आपके ‘दस्तक’ का… बेबाक अंदाज, बेखौफ वर्णन, सच्चाई और निष्पक्षता से युक्त आपका कार्यक्रम जो सुनने-देखने के दौरान सीख-जान पाता था, उसे अब मिस कर रहा हूं… वो अब नहीं दिख रहा.. पत्रकारिता का अनुभव मुझे कम है, लेकिन इतना तो जानता हूं कि आप चाटुकारिता नहीं करते और इसी का हर्जाना आपको देना पड़ा…..

LETTER TO RAMAN RAHEJA

शायद स्पोर्ट्स फ़्लैशेज़ के संस्थापक और सीईओ रमन रहेजा से बकाया पैसे के लिए मीडियाकर्मी ने लिखा पत्र… पढ़ें…. प्रिय रमन रहेजा, मैं पिछले 10 महीनों से अपनी 32 दिनों की सैलरी और 7 महीने के कटे हुए TDS के पैसों के लिए न जाने कितना मेल और फ़ोन किया होगा, पर आप जैसे महान …

भंसाली को स्वरा की चिट्ठी… आपकी फिल्म देखकर ख़ुद को मैंने महज एक योनि में सिमटता महसूस किया

प्रिय भंसाली साहब,

सबसे पहले आपको बधाई कि आप आखिरकार अपनी भव्य फिल्म ‘पद्मावत’- बिना ई की मात्रा और दीपिका पादुकोण की खूबसूरत कमर और संभवतः काटे गए 70 शॉटों के बगैर, रिलीज करने में कामयाब हो गए. आप इस बात के लिए भी बधाई के पात्र हैं कि आपकी फिल्म रिलीज भी हो गई और न किसी का सिर उसके धड़ से अलग हुआ, न किसी की नाक कटी. और आज के इस ‘सहिष्णु’ भारत में, जहां मीट को लेकर लोगों की हत्याएं हो जाती हैं और किसी आदिम मर्दाने गर्व की भावना का बदला लेने के लिए स्कूल जाते बच्चों को निशाना बनाया जाता है, उसके बीच आपकी फिल्म रिलीज हो सकी, यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है. इसलिए आपको एक बार फिर से बधाई.

यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया से दुखी व्यक्ति ने पीएम को लिखा पत्र

मान्यवर,
सेवा में,
माननीय प्रधान मंत्री,
नई दिल्ली ।

विषय :- यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया की बिहारशरीफ शाखा के बैंककर्मियों द्वारा छह माह तक दौड़ाने के बाद भी मुद्रा लोन नहीं देने तथा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराए जाने के सम्बन्ध में।

मान्यवर,

प्रभात खबर देवघर संपादक के नाम खुला पत्र

संपादक जी!

मैं अपने इस पत्र की शुरुआत जॉन एलिया की इस पंक्ति कि ”बहुत से लोगों को पढ़ना चाहिए मगर वो लिख रहे हैं” के साथ करना चाहता हूँ। आपकी मौजूदगी, जानकारी और सहमति के साथ इन दिनों प्रभात खबर देवघर संस्करण जिस रास्ते की ओर चल रहा है, उस बाबत आपको यह पत्र लिखने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। बड़े लोग कहते है सबसे मुश्किल होता है सत्य की रक्षा करना और आज के समय में सबसे आसान होता है अपने आप को दलाल बना लेना।

‘भक्तों’ से जान का खतरा बताते हुए पीएम को लिखा गया रवीश कुमार का पत्र फेसबुक पर हुआ वायरल, आप भी पढ़ें

Ravish Kumar : भारत के प्रधानमंत्री को मेरा पत्र…

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी,

आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप सकुशल होंगे। मैं हमेशा आपके स्वास्थ्य की मंगल कामना करता हूं। आप असीम ऊर्जा के धनी बने रहें, इसकी दुआ करता हूं। पत्र का प्रयोजन सीमित है। विदित है कि सोशल मीडिया के मंचों पर भाषाई शालीनता कुचली जा रही है। इसमें आपके नेतृत्व में चलने वाले संगठन के सदस्यों, समर्थकों के अलावा विरोधियों के संगठन और सदस्य भी शामिल हैं। इस विचलन और पतन में शामिल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अनराग द्वारी ने बीबीसी ज्वाइन करने से ठीक पहले एनडीटीवी के साथियों के नाम ये अदभुत पत्र लिखा

Anurag Dwary : नवसंवत्सर — एनडीटीवी परिवार ने 10 साल मुझे मेरे गुण-दोष के साथ पाला-पोसा, अब नये सफर की शुरुआत होगी बीबीसी के साथ … साथियों के लिये मेरे आख़िरी मेल का हिस्सा जो संस्थान में शायद इसे ना पढ़ पाएं हों … जो दोस्त फेसबुक से साथ जुड़े हैं उनकी शुभकामनाओं के लिये भी …

दैनिक भास्कर ने अपने कर्मियों से कहा- ”10 लाख नए पाठक जोड़ने हैं, प्रति पाठक 150 रुपये मिलेंगे!”

दैनिक भास्कर ग्रुप ने ऑफिशियल लेटर जारी कर अपने कर्मियों को इस साल 10 लाख नये पाठक जोड़ने का टारगेट बताया है और इसके लिए उसने अपने कर्मियों को ऑफर दिया है कि वे नये पाठक जुड़वायें जिसके लिए उन्हें प्रति पाठक 150 रुपये का कमीशन या प्रोत्साहन राशि मिलेगी। बहरहाल इस ऑफर के बाद कुछ कर्मी यह सोच रहे हैं कि क्या अब पत्रकारिता “टारगेट जॉब” तो नहीं बन जायेगी? हो सकता है कस्टमर न लाने वालों का इंक्रीमेंट/प्रमोशन भी कंपनी रोक दे।

आइसा छात्र नेता नितिन राज ने जेल से भेजा पत्र- ‘रिश्वत देकर रिहाई कतई कुबूल नहीं’

सरकारों का कोई भी दमन और उनके भ्रष्टतंत्र की कोई भी बेशर्मी और बेहयाई क्रांतिकारी नौजवानों के मंसूबों को तोड़ नहीं सकती……

साथियों,

आज शायद भारतीय छात्र आन्दोलन अपने इतिहास के सबसे दमनात्मक दौर से गुजर रहा है, जहाँ छात्रों को अपनी लोकतान्त्रिक माँगो को लेकर की गई छात्र आन्दोलन की सामान्य कार्यवाही के लिए भी राजसत्ता के इशारे पर महीनों के लिए जेल में डाल दिया जा रहा है. छात्र आन्दोलन से घबराई योगी सरकार, जो कि इसे किसी भी शर्त पर कुचल देना चाहती है, हमें इतने दिनों तक जेल में रख कर हमारे मनोबल को तोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन हम क्रान्तिकारी परम्परा के वाहक हैं हमारे आदर्श भगतसिंह और चंदू हैं, सावरकर नहीं, जो जेल के भय से माफ़ीनामा लिखकर छूटे और अंग्रेजों की दलाली में लग गए. हमें अगर और दिनों तक जेल में रहना पड़ा तब भी हम कमजोर पड़ने वाले नहीं हैं.

बजरंद दल वाले स्टिंग पर वीएचपी ने रिपब्लिक टीवी के संपादक अरनब गोस्वामी को लिखा पत्र, पढ़ें

To,
Mr Arnab Goswami
Republic TV
Mumbai

Sub: Contents shown on Republic TV  with the intention to malign Bajrang Dal’s image.

Dear Arnab,

This has reference to the fake sting operation telecasted on your news channel ‘Republic Tv’ under the caption of ‘Hindu Fringe Exposed’ on 5th June 2017 with prime time debate No. 2 at 10.10 PM ( https://www.youtube.com/watch?v=f-8rMhrNk-c ) and its repeat telecasts thereafter, with a sole intent to defame, malign and tarnish the image of our youth wing ‘Bajrang Dal’. Your channel Republic Tv, under the garb of ‘sting’ has attempted to portray our dedicated self-less nationalist cadres in bad light.

पत्रकार राजीव रंजन नाग की सामंती मानसिकता और घटिया हरकत से नाराज विपिन धूलिया ने लिखा खुला पत्र, पढ़ें

Mr. Rajiv Ranjan Nag

President

Press Association, New Delhi

Lounge, P.I.B., Shastri Bhavan, New Delhi

Dear Friend

अमेरिका से काटजू ने मोदी को लिखा पत्र- ‘न विकास हुआ, न अच्छे दिन आए’

To

The Hon’ble Shri Narendra Modi

Prime Minister of India

Dear Modiji,

I would have liked to personally deliver this letter to you, but unfortunately ( or fortunately ) I am presently in America, and likely to be here for some time. So I am posting it on fb, with the hope that someone will forward it to you.

इंडिया टीवी के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के नाम खुला ख़त…

जमशेद क़मर सिद्दीक़ी


प्रिय अभिषेक उपाध्याय

बीते एक हफ्ते में आपने फेसबुक पर जो कुंठा ज़ाहिर की है, उससे अब घिन आने लगी है। सुना है आपने खाना-पीना छोड़ दिया है। खुद को संभालिये, आप ‘वो’ नहीं बन सकते इस सच को जितनी जल्दी स्वीकार लेंगे आपको आराम हो जाएगा। लकीर को मिटाकर बड़ा नहीं बन सकते आप, आपको बड़ी लकीर खींचना सीखना होगा, अपने सीनियर्स से सीखिये उन पर कीचड़ मत उछालिये। हालांकि इस मामले में आपकी चुस्ती देखकर मुझे अच्छा भी लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे ‘स्वर्ग की सीढ़ियां’, ‘नाग-नागिन का डांस’ और ‘क्या एलियंस गाय का दूध पीते हैं’ जैसी स्टोरीज़ में अब आपकी दिलचस्पी कम हो गई है। ये अच्छा संकेत है, मुबारकबाद।