पुण्य प्रसून बाजपेयी के नाम एक दर्शक का खत….
पुन्य प्रसून बाजपेयी जी,
‘आज तक’ आपके बिना सूना सूना नजर लग रहा है… रोजाना सुबह से रात तक बस एक ही प्रोग्राम का इंतजार रहता था, आपके ‘दस्तक’ का… बेबाक अंदाज, बेखौफ वर्णन, सच्चाई और निष्पक्षता से युक्त आपका कार्यक्रम जो सुनने-देखने के दौरान सीख-जान पाता था, उसे अब मिस कर रहा हूं… वो अब नहीं दिख रहा.. पत्रकारिता का अनुभव मुझे कम है, लेकिन इतना तो जानता हूं कि आप चाटुकारिता नहीं करते और इसी का हर्जाना आपको देना पड़ा…..