जनता के पैसे पर ऐश कर रही अखिलेश सरकार और सपा परस्त अफसरों के चेहरों पर तब एक बार फिर कालिख पुत गई जब फोरेंसिक रिपोर्ट में मोहनलालगंज की निर्भया के साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई. इस तरह एक-एक कर कई खुलासे होते गए और साबित होता गया कि सपा सरकार की सपाई पुलिस किन्हीं बड़े बड़ों के इशारे पर कुछ बड़े बड़े रेपिस्टों मर्डररों को बचा रही है. फोरेंसिक जांच रिपोर्ट से गैंगरेप की पुष्टि होने के बाद आईपीएस अफसरों सुतापा सान्याल, नवनीत सिकेरा और प्रवीण कुमार की फर्जी कहानी की पोल दुनिया के सामने खुल गई.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के फर्जीवाड़े की पुष्टि दो-दो किडनी होने संबंधी रिपोर्ट से हो गई, जबकि निर्भया अपनी एक किडनी अपने पति को दान कर चुकी थी. निर्भया के परिजन सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हुए हैं और लखनऊ में हजरतगंज पर गांधी प्रतिमा के नीचे धरना दे रहे हैं. कई आईपीएस अफसरों की तरह कई बड़े अखबारों के क्राइम रिपोर्टर भी सपा के एजेंडे पर काम कर रहे हैं और पूरे प्रकरण की लीपापोती में लगे हैं. इन तमाम छीछालेदर से परिपूर्ण स्थितियों के बीच उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने आज लखनऊ के मोहनलालगंज निर्भया प्रकरण की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी.
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मृतका के परिजन की इच्छा का ख्याल रखते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर मोहनलालगंज कांड की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई है. इस सिलसिले में गह विभाग द्वारा पत्र भेजा गया है. मोहनलालगंज कांड की शिकार महिला के परिजन ने सीबीआई जांच की मांग सम्बन्धी पत्र करीब छह दिन पहले पंजीकृत डाक से भेजा था. गौरतलब है कि गत 17 जुलाई को मोहनलालगंज के बलसिंह खेड़ा गांव में एक प्राथमिक स्कूल परिसर में एक महिला का निर्वस्त्र शव बरामद किया गया था.
सपा सरकार की सपाई पुलिस ने इस मामले के खुलासे का दावा करते हुए रामसेवक नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. हालांकि परिजन इस खुलासे से खुश नहीं थे और प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग को लेकर पिछले पांच दिन से लखनऊ में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने कल रात से अनशन भी शुरू कर दिया था. इसके अलावा विभिन्न राजनीतिक दलों तथा सामाजिक संगठनों ने भी मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी.
परिजन का कहना था कि उनकी बेटी के साथ हुई वारदात में कई लोग शामिल रहे होंगे और पुलिस इसमें किसी का बचाव कर रही है. उसके शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके दोनों गुर्दे सलामत होने की बात कही गई है जबकि वह अपना एक गुर्दा अपने पति को दान कर चुकी थी. शुरू में घटना को कई लोगों द्वारा अंजाम दिए जाने की आशंका जाहिर करने वाली अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल ने गत 20 जुलाई को संवाददाताओं को बताया कि वारदात को सिर्फ एक ही आदमी ने अंजाम दिया था और महिला से बलात्कार नहीं हुआ था. हालांकि फोरेंसिक जांच में महिला के साथ बलात्कार होने तथा उसके नाखूनों में एक से ज्यादा व्यक्तियों की कोशिकाएं पाए जाने की पुष्टि हुई.
यूपी की सपाई पुलिस ने इस कांड में कई फर्जी कहानियां बनाई और सुनाई. विभाग के अफसरों के विरोधाभासी बयानों ने ही सबसे पहले इस पर सवाल खड़े कर दिए. इसमें सबसे पहला नाम आता है एडीजी ईओडब्ल्यू सुतापा सान्याल का. एडीजी के दो बयान, पहला यह कि वारदात में एक से ज्यादा लोग शामिल हैं और दूसरा यह कि पीड़िता के शव को अभी प्रिजर्व रखा जाएगा लेकिन ये दोनों ही बयान गलत साबित हुए. पुलिस ने जब खुलासा किया तो एक ही आदमी की भूमिका बताई और पीड़िता के शव का एडीजी के बयान देने के कुछ घंटो बाद ही आनन-फानन में अंतिम संस्कार कर दिया गया. शव के अंतिम संस्कार में पुलिस ने जिस तरह की हड़बड़ाहट दिखाई उससे शक और बढ़ गया.
पुलिस ने आरोपी रामसेवक यादव को गिरफ्तार करने के बाद जब कत्ल के हथियार के रूप में चाभी का नाम लिया तो किसी को हजम नहीं हुआ. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चोट पहुंचाने के लिए लंबे, कठोर भोथरे चीज से वार करने की बात सामने आई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सवालों के घेरे में है. छह डॉक्टरों के पैनल द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में दो किडनी, कम उम्र समेत कई झोल हैं. पोस्टमॉर्टम के दौरान जो धुंधली विडियो रिकॉर्डिंग की गई है वह और कई सवाल खड़े कर रही है. जिन वैज्ञानिक जांचों को पुलिस आरोपियों के लिए फंदा बनाने की तैयारी कर रही थी वही अब पुलिस के दावों को झुठलाने लगी हैं. जैसे हत्या में इस्तेमाल चाभी की फॉरेंसिक रिपोर्ट और मृतका के नाखूनों की डीएनए रिपोर्ट जिसमें आया है कि नाखूनों के सैंपल में रामसेवक के अलावा और कई लोगों का डीएनए भी है.
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