लोकतंत्र का चौथा सतम्भ प्रेस मीडिया पूरी तरह से अब संवेदनहीन हो गया है. ये न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले एवं देश के संविधान को ठेंगे पर रखने लगा है, बल्कि देश में अराजक स्थितियां भी पैदा करने लगा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों को 11 नवंबर 2011 से 31 मार्च 2014 तक एरियर का भुगतान करते हुए अप्रैल 2014 से नया वेतनमान लागू करना था.
मीडिया घरानों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को ठेंगे पर रख दिया. जमशेदपुर, धनबाद प्रभात खबर में नए सिरे से ज्वॉइनिंग कराने के नाम पर खाली फॉर्मेट में कर्मचारियों से हस्ताक्षर कराया जा रहा है. इसके बाद प्रभात खबर के अन्य यूनिट में यह हस्ताक्षर कराया जायेगा. नैतिकता की दुहाई, गरीबों का मसीहा, समाज की आवाज बनने का दंभ भरने वाला प्रभात खबर आज अपने ही कर्मियों के शोषण में जुट गया है.
प्रभात खबर में प्रधान संपादक की हैसियत से कार्य करने वाले राज्यसभा सांसद हरिवंश को सब पता है. लोकतंत्र की मंदिर राज्यसभा में वह भले ही नैतिकता की दुहाई देते हों लेकिन इनका भी चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो चुका है. ऐसे में देश को बाहरी दुश्मनों से नहीं, इस प्रकार के दोहरे चरित्र वालों से ही खतरा ज्यादा है.
ये सब देखकर एक पुरानी कहानी याद आ गई……एक कुत्ता मंदिर के पास चबूतरे पर बैठा रहता था, मंदिर में लोगों को पूजा करते देख कुत्ता भी भगवान की भक्ति करने लगा। भगवान कुत्ते की भक्ति से प्रसन्न हुए और बोले – मांगो तुम्हें क्या चाहिए ? कुत्ता – प्रभु मुझे अगले जन्म में कुत्ता ही बनाना । भगवान – हम तुम्हें दो बार कुत्ता नहीं बना सकते कुछ और मांगो। कुत्ता – तो प्रभु मुझे अगले जन्म में अख़बार का मालिक बना देना। भगवान – चालाकी नहीं !!! कहा ना कि दो बार कुत्ता नहीं बना सकते !!
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित