Navneet Mishra : जैसे आज जस्टिस सीकरी को लेकर अनर्गल कनेक्शन जोड़े जा रहे, वैसे रंजन गोगोई जब चीफ जस्टिस बने थे तो बीजेपी वालों को साँप सूंघ गया था- अरे ये तो कांग्रेसी मुख्यमंत्री रहे शख्स के बेटे हैं। सरकार के लिए जरूर परेशानी खड़ी करेंगे, काग्रेस के नमक का क़र्ज़ अदा करेंगे…. वहीं मोदी विरोधियों को लगा कि जो काम विपक्ष नहीं कर पाई वह काम सीजेआई साहब कर देंगे। अब तो समझो सरकार गयो…
उसी कांग्रेसी पिता के सीजेआई बेटे ने राफेल सहित कई फैसले सुनाए, जो कांग्रेस के ही खिलाफ जाते दिखे। बहुचर्चित प्रेस कांफ्रेंस के बाद जिन गोगोई साहब के लिए प्रशांत भूषण एंड कंपनी क्रांति की उम्मीद किए बैठी थी, उन्हीं गोगोई ने कुर्सी संभालते ही एक केस मेंप्रशांत भूषण को भी झिड़क दिया, कहा- आपके कहने से हम अर्जेंट सुनवाई करेंगे, इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण केसों की फ़ाइल डंप है। कौन केस जरूरी है, अदालत अपने स्वविवेक से फ़ैसला लेगी। भूषण जैसे मारक वकीलों को गोगोई ने आईना दिखाना शुरू किया।
पहले प्रशांत भूषण का चेहरा देखकर ही जज साहबान अर्जेंट हियरिंग की अपील मंज़ूर कर लेते थे। दीपक मिश्रा की अदालत में तो मेडिकल कॉलेज वाले मामले में भूषण भिड़ ही गए थे। पिछले साल हुआ नोकझोंक चर्चा-ए-खास थी। कांग्रेसी परिवार हो और उसी पार्टी से पिता सीएम रहा हो फिर भी गोगोई ने ज़्यादातर वही फ़ैसला सुनाया, जिसकी नियम-क़ायदे और सुबूत इजाजत देते थे।
बीजेपी वालों के शुरू में फैलाए गए प्रपंच, गोगोई के फ़ैसलों से चकनाचूर हो गए। यही जस्टिस सीकरी ने जब कर्नाटक में विश्वासमत को लेकर अपना फ़ैसला सुनाया और येदियुरप्पा को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी तो ईमानदार थे, अब जरा सा एक वोट संयोगवश सरकार के पक्ष में चला गया तो बेईमान हो गए। पक्ष में फ़ैसला आए तो ईमानदार और विरोध में आए तो बेईमान।
लखनऊ के तेजतर्रार पत्रकार नवनीत मिश्रा की एफबी वॉल से.