एक चैनल था एबीपी न्यूज. था, इसलिए क्योंकि कभी इस पर तटस्थ पत्रकारिता होती थी. सिस्टम की बखिया उधेड़ने वाली पत्रकारिता होती थी. लेकिन अब यह भगवा रंग में रंग गया है. शाजी जमां के जाने के बाद या यूं कहिए को शाजी जमां को भगवा लाबी द्वारा जबरन हटवाए जाने के बाद जो संपादक मिलिंद खांडेकर इसे देखकर रहे हैं, लगता है उन्होंने सारे आंख कान नाक बंद कर लिए हैं. वे बस ये देखते हैं कि ये खबर मोदी के पक्ष में है या खिलाफ. साथ ही ये भी देखते हैं कि ये खबर केजरीवाल के पक्ष में है या खिलाफ.
अगर खबर मोदी के पक्ष में है तो चलेगी. अगर खबर केजरीवाल के खिलाफ है तो भी चलेगी. इसी फार्मूले पर एबीपी न्यूज में उन्होंने एक खबर चलवा दी. सोशल मीडिया और ह्वाट्सएप पर जबरन दौड़ाए जाने वाली भगवा ब्रिगेड की ढेर सारी अफवाह खबरों में से एक को सच मान मिलिंद खांडेकर ने चला दिया. आखिरकार इस चैनल को थूक कार चाटना पड़ा और माफी मांगनी पड़ी.
नीचे वो वीडियो है जिसमें एबीपी न्यूज चैनल माफीनामा चला रहा है. लेकिन सवाल इस बात का है कि आप बीस घंटे झूठ चलाओ और पांच सेकेंड के लिए माफी मांग लो तो सारी खून माफ? ये कैसी गंदी पत्रकारिता है भाई. पहले केवल एक था. जी न्यूज. सारे मानक पैमाने सरोकार एक तरफ फेंककर यह दागी चैनल लगातार मोदी का चरण चापन दिखा रहा था. अब एबीपी न्यूज इसी रास्ते पर चल पड़ा है और जल्द ही मिलिंद खांडेकर अगर सुधीर चौधरी को मात देते हुए दिखें तो इसमें किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : https://www.youtube.com/watch?v=DnuHXqPHkV0
भड़ास को एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.