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मोदी की गारंटी का ‘प्रचार’ और विधायकी जाने की ‘खबर’ में चैनलों पर जुर्माना!

हरियाणा सरकार को हाईकोर्ट का सख्त निर्देश, राम रहीम को हमारी इजाजत के बिना पैरोल न दी जाये – सिर्फ नवोदय टाइम्स में लीड है 

संजय कुमार सिंह

आज के अखबारों में रोज की तरह मोदी की गारंटी का प्रचार तो है ही, पांच साल के लिए निर्वाचित विधायकों की सदस्यता पहले ही खत्म होने की खबर भी प्रमुखता है। विधायकों ने कहा है कि वे विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को चुनौती देंगे पर पुराने मामले गवाह हैं कि अदालत के फैसले से पहले सरकारी बंगला खाली करना होता है। कई बार हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलती है और सुप्रीम कोर्ट भी जाना पड़ता है। जहां जमानत की सुनवाई दो-दो साल नहीं हो पाती है और जहां प्रैक्टिस करने वाले को राज्यसभा में नहीं जाने-देने के कारण गारंटी के बावजूद ये स्थितियां पैदा हुई हैं।

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भविष्य में जो हो, अभी तो गारंटी काम नहीं आई और व्हिप नहीं मानने का नुकसान हो ही गया। पांच साल के लिए चुने जाने वाले विधायकों को वेतन-भत्तों के साथ कार्यकाल समाप्त होने पर पेंशन भी मिलने का रिवाज है। ऐसे में इन विधायकों को क्या नुकसान हुआ उसका पता शीर्षक से नहीं चलता है। खबरों  में ढूंढ़ने से शायद मिल जाये पर अभी वह मुद्दा नहीं है। मुद्दा यह है कि गारंटी के प्रचार के बीच असंतोष व्यक्त करने का नुकसान हुआ और विधायकों को सदस्यता चली गई। इसके जो अन्य नुकसान होंगे उनकी चर्चा भी नहीं है।

यही नहीं, गारंटी का प्रचार चाहे जितना हो, न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने तीन टेलीविजन चैनल पर दिखाए गए नफरती शो पर कार्रवाई करते हुए उन पर जुर्माना और वीडियो हटाने का निर्देश जारी किया है। श्रद्धा वालकर मर्डर केस और रामनवमी हिंसा पर दिखाए गए शो के लिए टाइम्स नाउ नवभारत पर एक लाख और न्यूज 18 इंडिया पर 50 हजार का जुर्माना लगाया गया है। आज तक को चेतावनी दी गई है। तीनों चैनलों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से विवादित वीडियो को सात दिन में हटाने के लिए कहा गया है। हालांकि, जुर्माने की जगह इस खबर को दिखाने के लिए कहा गया होता तो ज्यादा प्रभावी रहता लेकिन वह दूसरा मुद्दा है।

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खबरों के अनुसार, एनबीडीएसए के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एके सीकरी ने कहा है कि हर अंतरधार्मिक विवाह को लव जिहाद कहना गलत है। मुझे यह खबर आज किसी अखबार के पहले पन्ने पर नहीं दिखी। जाहिर है, मोदी की गारंटी जो हो, प्रचार जितना हो, हालात ऐसे हैं कि प्रचार करने वाले अपने और साथी के साथ हुई कार्रवाई का प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं। पत्रकारिता का बुनियादी सिद्धांत सबकी खबर लो और सबको खबर दो है, तब भी। मन की बात करने वाली सरकार अपनी बात विज्ञापनों के जरिये कहती है और उस पर सवाल नहीं उठाये जा सकते हैं। पार्टी लाइन से हटर समर्थन करने वालों को सजा मिली ही गई।

ऐसे में मोदी की गारंटी के विज्ञापन के अपने मायने हैं और सरकार इसी भरोसे 400 पार की उम्मीद कर रही है। द हिन्दू ने आज इस खबर को लीड बनाया है। उसकी खबर का शीर्षक है, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के छह बागी विधायक अयोग्य ठहराये गये। इसका उपशीर्षक है, राज्य सभा में इनलोगों ने कांग्रेस का विधायक होने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाले थे। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इस खबर को ली़ड बनाया है। शीर्षक है, बागी विधायक अयोग्य करार दिये गये; सुक्खू सरकार के लिए राहत। इंडियन एक्सप्रेस में इस खबर का शीर्षक है, कांग्रेस ने फिलहाल हिमाचल में संकट टाल दिया है, छह बागी अयोग्य ठहराये गये।

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तीन अखबारों की यह लीड खबर इंडियन एक्सप्रेस में आज सिंगल कॉलम में है। यहां मोदी की गारंटी के विज्ञापन के साथ जीडीपी विकास तेज होने की खबर लीड है। इसके अनुसार, वित्त वर्ष 24 में जीडीपी 7.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी आज इस सरकारी दावे की खबर को लीड बनाया है और शीर्षक है, तीसरी तिमाही के भारत के 8.4% जीडीपी ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ा। कुल मिलाकर, पार्टी लाइन छोड़कर भाजपा का समर्थन करने वाले कांग्रेस के विधायकों के लिए मोदी की गारंटी किसी काम नहीं आई। आगे कुछ हुआ तो अखबारों में खबर आयेगी ही।

फिलहाल, द टेलीग्राफ ने संदेशखाली खुशी से झूमा शीर्षक से लीड खबर छापी है। आप जानते हैं कि संदेशखाली को लेकर अखबारों में कितना हंगामा था। भाजपा ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना रखा था। अब जब तृणमूल पार्टी के विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया है, जमानत नहीं मिली है और पार्टी ने छह साल के लिए उनकी सदस्यता खत्म कर दी है तो अखबारों में यह खबर नहीं है या छोटी सी है। पहले तृणमूल पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगा जबकि फरार अपराधी को ढूंढ़ने में समय लगता ही है और भाजपा समर्थित अपराधी जब वर्षों नहीं मिलते हैं तो इन्हें 55 दिन में गिरफ्तार कर लिया जाना सामान्य कहा जा सकता है और उसके बाद सदस्यता निलंबित करना बड़ी कार्रवाई है जो भाजपा अपने लोगों के साथ आम तौर पर नहीं करती है तो यह सूचना शीर्षक में नहीं है। और मोदी की गारंटी तो पैसे दे-लेकर छप ही रही है।   

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आज नवोदय टाइम्स में एक और खबर लीड है, “राम-रहीम को पैरोल से पहले पूछें:हाईकोर्ट”। आदेश में कहा गया है कि 10 मार्च तक जेल में समर्पण करें। कुल मिलाकर, हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को सख्त निर्देश दिया है कि, राम रहीम को अब हमारी इजाजत के बिना पैरोल न दी जाए। उल्लेखनीय है कि राम रहीम को जुलाई 2017 में यौन शोषण मामले में सजा हुई थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद पंचकूला में भारी तोड़-फोड़ हुई थी (या होने दिये गये थे)। इसके बाद उसे एक पत्रकार व डेराकर्मी की हत्या के मामले में भी दोषी ठहराया गया और उसे उम्र कैद की सजा हुई। बिलकिस बानो के बलात्कारियों के प्रति गुजरात की भाजपा सरकार की उदारता और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह के मामले में केंद्र की सरकार का कवच बन जाना आप जानते ही हैं।

इसके बावजूद मोदी सरकार की गारंटी का जो विज्ञापन आज छपा है वह विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना की गारंटी है और दुनिया के सबसे लंबे समुद्री पुल अटल सेतु का उदाहरण भी। इसके बारे में मैंने लिखा था कि इस पुल या सड़क पर चलने का खर्च आठ रुपये किलोमीटर के आस-पास बैठता है जबकि देश में आम सड़क पर चलने के लिए11 रुपये प्रति किलोमीटर के भाव टैक्सी आराम से मिल जाती है। मोदी की गारंटी वाली इस विश्व स्तरीय संरचना के उपयोग के लिए उसी टैक्सी पर आठ रुपये फी किलोमीटर का अतिरिक्त खर्च आयेगा। आप जानते हैं कि अटल सेतु के निर्माण पर 17,840 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए हैं और उसका खर्च निकालने के लिए उपयोग का जो शुल्क रखा गया है वह अपनी गाड़ी से आठ रुपये किलोमीटर है जबकि देश भर में आम सड़क पर चलने के लिए टैक्सी का खर्च 11 रुपये किलोमीटर है।

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ऐसे में यह खर्च कितना जायज है और जरूरी इसपर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि सरकार ना जनता की राय लेती है ना जनता को जवाब देती है। ऐसे में मित्र, विनोद चंद ने लिखा है, आईआईएम कोष में 15,000 करोड़ का दान यह सुनिश्चित कर सकता है कि किसी भी आईआईएम छात्र को कभी भी कोई शुल्क देने की आवश्यकता नहीं होगी। अगर यह दान एक साल के लिए हो तो एक साल और कुछ साल के लिए हो तो उतने समय आईआईएम में पढ़ने वालों के पैसे नहीं लगेंगे और लोग निशुल्क ज्ञान व डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। पैसे वैसे ही बचे रहेंगे। बिना सोचे-समझे संरचना बनवाकर प्रचार और गारंटी तो दी जा सकती है पर उससे फायदा बहुत कम लोगों को है। कमीशन, भ्रष्टाचार में उसका बड़ा हिस्सा खर्च हो गया हो सो अलग। उसे वापस रुपये में नहीं बदला जा सकता है।

फिर भी सरकार ऐसा कर रही है और उसके विज्ञापन पर पैसे खर्च कर रही है तो इसीलिए कि उसके किये का विरोध अदालत में हो तो भी अखबार खबर नहीं छापते हैं। और मोदी जी अबकी बार 400 पार का नारा लगा रहे हैं। गणित कहता है कि यदि किसी को 15000 करोड़ का दान करना हो और इसे प्रति वर्ष 8% रिटर्न पाने वाली सावधि जमा में रखा जाए, तो ब्याज के रूप में लगभग 1200 करोड़ प्राप्त होंगे। देश भर के आईआईएम में कुल 5100 एमबीए सीटें हैं। फीस 16 लाख से 27 लाख तक है। इसका औसत निकालने पर फीस 21.5 लाख बनती है। इसे 5100 से गुणा करें और आपको 1096.5 करोड़ मिलेंगे।

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यह राशि सभी छात्रों की एक साल की फीस को कवर करने के लिए पर्याप्त है और फिर भी कुछ पैसे बच जायेंगे। लेकिन सरकार लोगों को पढ़ाने की बजाय संरचना बनवा रही है जो बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था कर रहा वह जेल में है। यह व्यवस्था है और मोदी के जीतने पर जो गारंटी है वह इसकी भी है। आप अपने स्तर पर जांच समझ लें। बुलडोजर राज में सरकारी रवैये और व्यवस्था के मद्देनजर आज एक और बड़ी खबर है जिसे अखबारों में वैसी प्रमुखता नहीं मिली है जैसी सरकारी प्रचार और जीडीपी बढ़ने की खबर को। इस खबर के अनुसार, सिविल और क्रिमिनल मामलों में लगा स्टे खुद रद्द नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसके कारण गिनाने और तब  सुनाया फैसला। मुख्य न्यायाधीश, डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली वाली पांच जजों की पीठ सुप्रीम कोर्ट के 2018 के उस फैसले से सहमत नहीं हुई जिसमें कहा गया था कि निचली अदालत व हाई कोर्ट के स्थगन आदेश यानी स्टे ऑर्डर छह महीने बाद अपने आप रद्द हो जाने चाहिए अगर उस स्टे ऑर्डर को विशेष तौर पर बढ़ाया न गया हो।

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