Surya Pratap Singh : सरकार के पास सीबीआई, ईडी व अन्य एजेंसियां हैं, तो नीरव मोदी द्वारा किए गए घोटाले में जो भी राजनीतिज्ञ-नेता सम्मिलित है वह चाहे कोंग्रेस का हो या भाजपा का नाम क्यों नहीं उजागर हो रहे? आरोप-प्रत्यारोप से लोगों को मूर्ख क्यों बनाया जा रहा. तीनों ‘चिरैयाँ’ यानि विजय माल्य, ललित मोदी और नीरव मोदी इसी सरकार के कार्यकाल में देश का ग़रीब का पैसा लेकर फुर्र हो गयी और अब हो रहा है छापेमारी का ड्रामा. यदि मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी , चिदम्बरम या राहुल गांधी आदि कोई भी कोंग्रेसी ज़िम्मेदार हो, उसे पकड़ो. क्यों नहीं पकड़ रहे हैं. जनता के समक्ष नाम उजागर करो, जेल भेजो. यदि आप यह नहीं करते तो वर्तमान सरकार ही नीरव मोदी, ललित मोदी व माल्या को भागने की दोषी कहलाएगी. जनता सब समझती है. मूर्ख न समझा जाए. न भूलो, मित्रों! अंध श्रद्धा भक्ति है खतरा-ए-जान!!
Gurdeep Singh Sappal : कमाल है, कल पूरा दिन सुनते रहे कि नीरव मोदी का मामला 2011 का है। लेकिन जब FIR की कॉपी देखी तो पाया कि सभी मामले 9 फ़रवरी, 2017 और 14 फ़रवरी, 2017 के बीच के हैं! जो दस्तावेज़ पब्लिक स्पेस में हैं, वो यही हैं। इनके अलावा अब तक कोई और दस्तावेज़ औपचारिक या अनौपचारिक रूप से कहीं नहीं दिखे। फिर मीडिया किस आधार पर 2011 की बात कहता रहा। अगर उनके पास कोई अधिकृत सूचना थी तो वो किसी ने सामने क्यों नहीं रखी। बात कांग्रिस या भाजपा की है ही नहीं। जो सरकार में है, जवाबदेही उसी की है। विपक्ष से जवाबदेही माँगने की नई परम्परा आजकल देखने को मिल रही है। सिस्टम तो ये है कि सरकार जाँच करवाती है और न्यायपालिका के सामने रखती है। लेकिन आज कल सिर्फ़ आरोप हैं, और जाँच के नाम पर अफ़वाहें मीडिया की मार्फ़त परोसी जाती हैं। मीडिया आजकल प्रापगैंडा मीडिया हो गया है, कुछ भी चला दो। परसों 5100 करोड़ के हीरे ज़ब्त बता दिए, कल 549 करोड़ राह गए। चार्जशीट आते आते देखेंगे कितना राह जाता है। सिर्फ़ headline management कर रहे हैं.
Mridul Tyagi : मेरे एक मित्र हैं. उन्होंने बैंक से एक करोड़ 25 लाख का लोन लिया. घर गिरवी था. लोन एनपीए हो गया. उन्होंने वन टाइम सेटलमेंट के लिए बैंक को एक करोड़ 42 लाख का प्रस्ताव दिया. बैंक आफ महाराष्ट्र के अधिकारियों की नजर जनकपुरी के उनके मकान पर थी. अधिकारियों ने बिना कारण बताए प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया. फिर इस मकान की नीलामी की बैंक ने सूचना निकाली. बैंक आफ महाराष्ट्र की आसतियां वसूली शाखा, करोलबाग के सहायक महाप्रबंधक के साले की कंपनी की इकलौती बिड एक करोड़ 32 लाख की आई. इकलौती बिड पर मकान नीलाम कर दिया गया. इस पूरे मामले की शिकायत पीएमओ से की गई. जांच चल रही है, लेकिन आसतियां वसूली शाखा के अधिकारी इसी तरीके से भूमाफिया बन गए हैं. ये तो एक उदाहरण है. बैंक अधिकारियों की लूट के तरीके बहुत हैं. लगभग हर बैंक में इसी तरह लूट चल रही है. पहले कर्ज बांटने में लूट, फिर एनपीए में डकैती. अरुण जेटली ने टेक्स पेयर को टेररराइज करने में जितनी मेहनत की, उतनी मेहनत अगर नोटबंदी में बैंक अधिकारियों की मिलीभगत की जांच में की होती, तो पता नहीं कितने नप चुके होते.
Navin Kumar : फिर कहता हूँ, नरेंद्र मोदी इतिहास के सबसे कायर और निकम्मे प्रधानमंत्री साबित होंगे। भारत को रसातल में भेजने वाला प्रधानमंत्री। गरीबों को चूसो और अमीरों का खज़ाना भरो। इतना कुंठित प्रधानमंत्री? नहीं मांगता।
Pushkar Singh Thakur : दिप्ती सलगांवकर धीरू अम्बानी की बेटी है और उनकी बेटी इशिता से निशाल मोदी की शादी हुई है जो 11000 करोड़ PNB घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी के भाई हैं और सहआरोपी भी। अब मीडिया की क्या हिम्मत की इसे बड़ी न्यूज बनाये और मोदी ने तो चुनाव जीतते ही अम्बानी के प्रति कृतज्ञता जाहिर की सम्बोधन मे। नोटबन्दी, 4 साल में 4 गुना NPA, FRDI बिल प्रस्ताव और अब खुल्लमखुल्ला लूट!! बैंकिंग व्यवस्था इतनी अविश्वनीय कभी नही रही।
वरिष्ठ आईएएस रहे सूर्य प्रताप सिंह, हिंद किसान वेब चैनल के एडिटर इन चीफ गुरदीप सप्पल, प्रिंट पत्रकार मृदुल त्यागी, टीवी पत्रकार नवीन कुमार और पुष्कर सिंह ठाकुर की एफबी वॉल से.