इसको बर्खास्त कर आयोग का हो गठन… तलाकशुदा महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों एवम उनको मुख्य धारा में लाने के अधिकारों की आवाज़ बुलंद कर रहे हुदैबिया कमेटी के नेशनल कन्वेनर डॉ. एस.ई.हुदा ने एक बयान जारी कर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर जाम कर निशाना साधा। डॉ. हुदा ने कहा कि मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं की बदहाली और नरकीय ज़िंदगी का पूरी तरह से ज़िम्मेदार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है।
डॉ हुदा ने मुखर होते हुए कहा कि कुछ तथाकथित क़ौम के रहनुमाओं ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये “अल्लाह के क़ानून” को ही हाई जैक कर लिया है।पर्सनल लॉ बोर्ड अब दलाल और धार्मिक माफियाओं की हाथ की कठपुतली बन चुका है और ये दलाल “अल्लाह के कानून” का सहारा लेकर अपने ज़ाती मफाद के लिए सूबे व मरकज़ी हुक़ूमत को सालों से ब्लैकमेल करने का काम करते आरहे हैं।
डॉ हुदा ने जफरयाब जिलानी पर हमला बोलते हुए कहा कि जब जिलानी जैसे क़ौम के दलाल मुसलमानो के ज़ज्बात से खेलने वाले और सूबे की पिछली सरकारों में क़ौम की दलाली करके ऐश इशरत की ज़िंदगी बसर करने बड़ी-बड़ी गाड़ियों में और एयर कंडीशन कमरों में बैठ कर क़ौम का मुस्तक़बिल तै करने लगेंगे तो मुसलमान ख्वातीनो को मुस्तक़बिल में इससे ज़्यादा बुरे हालात से दो चार होना पड़ेगा। डॉ हुदा ने कहा कि मुस्लिम समाज मे “मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड” का कोई वुजूद नही है ये सिर्फ़ कुछ दलालो और जिलानी जैसे माफियाओं के एक संगठन है जो 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंद्रा गांधी ने मुसलमानो की समस्याओं को देखते हुए बनवा कर इसका पंजीकरण कराया था…इन्द्रजी की इसके पीछे सियासी मंशा क्या रही होगी इस पर मैं कोई टिप्पणी नही करना चाहता।
डॉ हुदा ने आगे कहा कि सूबे की हुक़ूमत को चहिए की फौरी तौर से ऐसे संगठित और दलाल और माफियाओं के गिरोह को प्रतिबंधित करके मुस्लिम मोआशरे की फ़लाह के लिए एक आयोग का गठन करे जो तलाक़ शुदा मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक और शैक्षिक हालात का मुताला कर हुक़ूमत के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करे ताकि इन मज़लूम बेसहारा औरतो को इंसाफ़ मिल सके और समाज मे इज़्ज़त के साथ अपनी ज़िंदगी गुज़र बसर कर सकें।
पेट की भूख और बच्चो की परवरिश के लिए ये बेसहारा औरते अगर ग़ैर सामाजिक कामों में लिप्त हो रही हैं तो उसके पीछे इन्ही स्वम्भू धार्मिक ठेकेदारों का हाथ है जिन्होंने आज तक इनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक दशा सुधारने की कोई सुध न ली बल्कि इससे इतर “शरिया कानून” का हवाला दे कर डराते धमकाते रहे और हुकुमतों को ब्लैकमेल करके मलाई खाते रहे। मगर अब अवाम के सामने इस माफियाओं के असली चेहरा बेनक़ाब हो चुका है।
आयोग का गठन हो जाने से जब सही तस्वीर हुक़ूमत और अवाम के सामने पेश होगी तो जिलानी जैसे माफ़िया मुँह दिखाने लायक़ नही बचेंगे। डॉ हुदा ने कहा कि मैंने ट्वीट के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी जी से आयोग बनाने की पुरज़ोर अपील की है और दरख़्वास्त की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भंग करके एक ऐसे आयोग का गठन हो जिसने अवकाश प्राप्त हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज साहेबान, अवकाश प्राप्त IAS, IPS, शिक्षा, सामाजिक एवम पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ी हस्तियां, मुफ़्ती हज़रात, अलीमे दीन हज़रात को रखा जाए जिससे शरीयत की सही तस्वीर अवाम और व्याख्या अवाम और हुक़ूमत तक पहुँचे।
डॉ. एस.ई. हुदा
नेशनल कन्वेनर
हुदैबिया कमेटी
बरेली
FARHAN AHMAD
April 23, 2017 at 5:28 pm
ज़रा मेहरबानी कर के तालाक का मसला भी लिख देते की किन किन हालात मे तालाक दिया जाता है। तब ही तो आपको रहनुमा समझा जाएगा इस्लाम किसी को इज़ाज़त नही देता है इलज़ाम लगाने की। कही आप का ताआलूक़ात शियाओ से तो नहीं है।