
हिंदी टीवी पत्रकारिता के कुछ एक सरोकारी व तेरवदार पत्रकारो में शामिल नवीन कुमार को लेकर किसिम किसिम की अफवाहें तैर रही हैं. पर कुछ बातें सच हैं. जैसे ये कि वे अब आजतक के हिस्से नहीं रहे. नवीन कुमार को अचानक आजतक से मुक्त होना पड़ा. ये जो ‘अचानक’ शब्द है, इसकी व्याख्या हर कोई अपने अपने तरीके से कह रहा है.
नवीन के करीबियों का कहना है कि सत्ता शासन को नवीन कुमार की स्क्रिप्ट और आवाज़ चुभने लगी थी. उनका सवाल उठाना खलने लगा था. जैसे पुण्य प्रसून बाजपेयी नौकरी न कर पाए. कई चैनलों से हटाए जाते रहे. कुछ उसी किस्म का नवीन कुमार के साथ हुआ है. एक शो में उन्होंने देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से सवाल किए. एक गरीब की इलाज के अभाव में मौत को लेकर. सवाल किए कि क्या इसे एयरलिफ्ट नहीं किया जा सकता था?
बस, सत्ता को यह कहां मंजूर कि कोई मीडियावाला सीधे आका पर उंगली उठा दे!
सत्ता से आया फोन. आजतक प्रबंधन घुटनों पर आ गया. पत्रकारिता गई तेल लेने. आनन-फानन में नवीन कुमार को कार्यमुक्त कर दिया गया.
ज्ञात हो कि नवीन कुमार ने फेसबुक पर कुछ रोज पहले मीडियाविजिल नामक एक घपले-घोटाले का पर्दाफाश करना शुरू किया था. इसकी ज़द में कई चेहरे आ रहे थे. कुछ लोगों का कहना है कि उन चेहरों ने भी नेपथ्य में बैटिंग की और नवीन कुमार को लेकर आजतक प्रबंधन तक शिकायतें पहुंचाई गईं.
उपरोक्त दोनों बातें कितनी सच कितनी ग़लत है, ये भड़ास को तो नहीं पता लेकिन ये सच है कि इस पूरे प्रकरण पर न तो नवीन कुमार मुंह खोल रहे हैं और न ही आजतक प्रबंधन कुछ कहने बताने को इच्छुक दिख रहा है.
फिलहाल नवीन कुमार अपना फेसबुक और ट्विटर एकाउंट डीएक्टिवेट कर लंबे मौन व्रत में चले गए हैं.
उम्मीद है नवीन की आजतक से विदाई पर खुद नवीन या आजतक प्रबंधन स्पष्ट करेगा कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई जो अचानक छुट्टाछुट्टी की नौबत आ गई.