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सियासत

पाकिस्तान के महानायक बनने जा रहे हैं नवाज शरीफ

: पड़ोसी मुल्क का आंखों देखा हाल : मुझे पाकिस्तान आए एक हफ्ता हो गया है। हम लोग आए थे, एक भारत-पाक संगोष्ठी में भाग लेने ताकि नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने जो पहल की है, उसे आगे बढ़ाया जा सके, लेकिन इस समय पाकिस्तान की राजनीति में अचानक दो बड़े तहलके मच गए हैं। एक तो सरकार ने आतंकवादियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है और दूसरा लाहौर के मॉडल टाउन में भयंकर रक्तपात हो गया है। यहां सभी टीवी चैनलों और अखबारों में पिछले तीन-चार दिन से लाहौर छाया हुआ है। उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी फौज जिस बहादुरी से आतंकवादियों को खदेड़ रही है, यह ऐतिहासिक और अपूर्व घटना भी फिलहाल हाशिए में चली गई है।

<p><img class=" size-full wp-image-15055" src="http://www.bhadas4media.com/wp-content/uploads/2014/06/images_kushal_vpvaidik.jpg" alt="" width="829" height="394" /></p> <p>: <strong>पड़ोसी मुल्क का आंखों देखा हाल</strong> : मुझे पाकिस्तान आए एक हफ्ता हो गया है। हम लोग आए थे, एक भारत-पाक संगोष्ठी में भाग लेने ताकि नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने जो पहल की है, उसे आगे बढ़ाया जा सके, लेकिन इस समय पाकिस्तान की राजनीति में अचानक दो बड़े तहलके मच गए हैं। एक तो सरकार ने आतंकवादियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है और दूसरा लाहौर के मॉडल टाउन में भयंकर रक्तपात हो गया है। यहां सभी टीवी चैनलों और अखबारों में पिछले तीन-चार दिन से लाहौर छाया हुआ है। उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी फौज जिस बहादुरी से आतंकवादियों को खदेड़ रही है, यह ऐतिहासिक और अपूर्व घटना भी फिलहाल हाशिए में चली गई है।</p>

: पड़ोसी मुल्क का आंखों देखा हाल : मुझे पाकिस्तान आए एक हफ्ता हो गया है। हम लोग आए थे, एक भारत-पाक संगोष्ठी में भाग लेने ताकि नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने जो पहल की है, उसे आगे बढ़ाया जा सके, लेकिन इस समय पाकिस्तान की राजनीति में अचानक दो बड़े तहलके मच गए हैं। एक तो सरकार ने आतंकवादियों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है और दूसरा लाहौर के मॉडल टाउन में भयंकर रक्तपात हो गया है। यहां सभी टीवी चैनलों और अखबारों में पिछले तीन-चार दिन से लाहौर छाया हुआ है। उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी फौज जिस बहादुरी से आतंकवादियों को खदेड़ रही है, यह ऐतिहासिक और अपूर्व घटना भी फिलहाल हाशिए में चली गई है।

ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा इसलिए कि ऐसा होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं थी। सारा पाकिस्तान मियां नवाज शरीफ और फौज का दीवाना हो रहा था कि उन्होंने आखिरकार आतंकवादियों को खत्म करने के लिए बाकायदा युद्ध छेड़ दिया है। लगभग सभी पार्टियों और संसद ने शरीफ के इस कठोर निर्णय पर मुहर लगा दी थी। शरीफ खुद इतने आश्वस्त थे कि इस युद्ध की घोषणा करके वे ताजिकिस्तान-यात्रा पर चले गए, लेकिन लाहौर के प्रसिद्ध मोहल्ले मॉडल टाउन में शरीफ का पुराना घर है और उनके पास ही डॉ. ताहिरुल कादिरी का भी घर है। कादिरी के घर के आस-पास सड़कों पर कुछ बाड़ लगी हुई थीं, जैसी कि अन्य बड़े लोगों के घर के आस-पास लगी हुई हैं।

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कादिरी ‘पाकिस्तान अवामी तहरीक’ पार्टी के नेता हैं। कनाडा में रहते हैं और जबर्दस्त वक्ता हैं। उनकी सभाओं में लाखों लोग जमा हो जाते हैं, जैसे कि अन्ना हजारे के अनशन में होते थे। वैसे अन्ना और कादिरी की कोई तुलना नहीं है। कादिरी 23 जून को पाकिस्तान आने वाले हैं। पता नहीं क्यों, पंजाब सरकार ने कादिरी के घर के सामने की बाड़ें हटाने का फैसला किया और रात दो बजे पुलिस टूट पड़ी। कादिरी के सैकड़ों समर्थकों ने विरोध किया। पुलिस ने बेरहमी से गोलियां चलाईं। अब तक 14 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए हैं। लाहौर रामलीला मैदान से भी बदतर बन गया। अब यहां सबको चिंता है कि 23 जून को क्या होगा?

यदि 23 जून का दिन शांतिपूर्वक निकल गया तो नवाज शरीफ और उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ (मुख्यमंत्री, पंजाब) का सितारा फिर बुलंद होते देर नहीं लगेगी, क्योंकि सारे देश का ध्यान वजीरिस्तान पर लगा हुआ है। शरीफ ने हामिद करजई से भी बात की है। करजई से पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चैधरी और प्रधानमंत्री के विशेष दूत महमूद अचकजई भी मिल आए हैं। यदि ये दोनों देश एकजुट हो जाएं तो दहशतगर्दों का सफाया संभव है। उन्होंने हिंदुस्तान से कहीं ज्यादा पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाया है। अब तक वे 53 हजार बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार चुके हैं। सारी दुनिया में पाकिस्तान आतंकवाद के अड्डे के तौर पर कुख्यात हो चुका है। यदि शरीफ अपने इस अभियान में सफल हो गए तो वे पाकिस्तान के महानायक बन जाएंगे। उन्हें मोहम्मद अली जिन्ना के बाद सबसे बड़ा नेता माना जाएगा। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक बन जाएंगे।

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इस अभियान से उन्हें कई अन्य ठोस फायदे भी होंगे। पहला, इधर पिछले कुछ माह से फौज और  शरीफ के बीच दूरियां बढऩे लगी थीं। फौज को यह पसंद नहीं था कि शरीफ तालिबान से बातचीत करें। फौज उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कुलबुला रही थी। अब फौज और शरीफ एक ही पायदान पर खड़े हैं। सूचना मंत्री परवेज़ रशीद ने आज साफ-साफ कहा है कि फौजी कार्रवाई का फैसला सरकार ने किया है और फौज उस पर निष्ठापूर्वक अमल कर रही है। दूसरा, इस दौर में सिर्फ पंजाब प्रांत में शरीफ की मुस्लिम लीग की सरकार है। शेष तीन प्रांतों में तीनों अलग-अलग पार्टियों की सरकार है। यदि यह फौजी अभियान सफल हो गया तो इन तीनों प्रांतों- सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वाह में भी शरीफ की लोकप्रियता बढ़ेगी। तीसरा, यदि आतंकवादियों का सफाया होता है तो तालिबानी कमजोर पड़ेंगे। इसका सीधा लाभ अफगान-सरकार को मिलेगा। अमेरिकी वापसी के बाद वहां अराजकता फैलने का डर कुछ कम हो जाएगा। चैथा, शरीफ की इस पहल का अंतरराष्ट्रीय महत्व भी कम नहीं है। इस अभियान से चीन और भारत भी खुश होंगे, क्योंकि चीन के सिंच्यांग प्रांत और भारत में आतंकवादियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है। ईरान और मध्य एशिया के पांचों मुस्लिम गणतंत्रों में भी पाकिस्तान की छवि सुधरेगी। पांचवां, यदि आतंकवाद को काबू किया जा सका तो भारत-पाक सहयोग बढ़ेगा, मध्य एशिया तक थल-मार्ग खुलेगा और क्षेत्रीय व्यापार में अपूर्व वृद्धि होगी। नरेंद्र मोदी ने जैसी पहल अभी की है, उसे देखते हुए मैं कह सकता हूं कि ये सब राष्ट्र अगले पांच साल में साझा बाजार खड़ा कर सकते हैं। कुछ ही वर्षों में हम यूरोप की तरह साझी संसद भी बना सकते हैं।

जहां तक भारत-पाक संबंधों का सवाल है, पिछले 40-45 साल में मेरा यह पहला अनुभव है कि भारत-पाक संगोष्ठी में किसी भी वक्ता ने कोई भी अप्रिय बात नहीं कही। मेरे साथ पूर्व मंत्री सलमान खुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के अलावा कुछ पत्रकार और प्रोफेसर भी थे और पाकिस्तान की तरफ से तीन पूर्व मंत्री, पूर्व सेनापति, पूर्व गुप्तचर, प्रमुख नेतागण और पत्रकार भी थे। सभी पाक जनरलों और नेताओं का मानना था कि दोनों देशों के बीच युद्ध का विकल्प खत्म हो चुका है। अब तो बातचीत ही एक मात्र विकल्प है। भारत की यह मांग कि पाकिस्तान उसके खिलाफ आतंकवाद बंद करे और पाकिस्तान की यह मांग कि भारत पहले कश्मीर उसके हवाले करे, तभी दोनों देशों के बीच बात होगी, अव्यावहारिक है। दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रहे और व्यापारिक तथा जनसंपर्क बढ़ते चले जाएं, जैसे कि सीमा-विवाद के बावजूद भारत और चीन के संबंध बढ़ते चले जा रहे हैं। यह संगोष्ठी पूर्व विदेशमंत्री खुर्शीद कसूरी की संस्था ‘रीजनल पीस इंस्टीट्यूट’ ने आयोजित की थी।

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज अजीज के साथ भोजन और लंबी बात हुई। वे मेरे पुराने मित्र हैं। अन्य पार्टियों के शीर्ष नेताओं और बड़े अफसरों से भी भेंट हुई। यहां लोग यह महसूस कर रहे हैं कि हमारी विदेश सचिव सुजाता सिंह ने मोदी-शरीफ भेंट पर अजीब-सा ‘आक्रामक’ और ‘असत्य’ बयान तत्काल जारी कर दिया, जिसके कारण पाकिस्तान में यह छवि बनी कि मोदी से शरीफ दब गए। शरीफ ने संयम रखा व वहीं जवाब नहीं दिया, लेकिन वे अपनी भारत-यात्रा से संतुष्ट हैं। आतंकवादियों से निपटने के बाद शरीफ भारत-पाक मोर्चे पर जमकर काम करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।

लेखक डॉ. वेदप्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार हैं. उनका यह लिखा दैनिक भास्कर अखबार में प्रकाशित हो चुका है.

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0 Comments

  1. सिकंदर हयात

    June 21, 2014 at 11:15 am

    पाकिस्तान में अच्छे लोगो की कोई कमी नहीं हे और वो अपनी आवाज़ मुखर भी करते हे लेकिन मसला यही हे की पाकिस्तान की बुनियाद ही झूठ पर रखी गयी थी वो झूठ ये था की पाकिस्तान इसलिए बना की भारत में मुसलमानो पर अत्याचार होता हे ऐसी कोई बात कतई नहीं थी महात्मा गांधी के शब्दों में ” ऊपर से लेकर नीचे तक जातियों में बटे हिन्दू समाज में इतना दम ही नहीं हे की वो चाहे भी तो मुसलमानो का शोषण या अतयाचार कर सके ” पाकिस्तान कई सारे झूठ पर बना खेर बन गया तो बन गया लेकिन मुसीबत पाकिस्तान के अछे भले ईमानदार बौद्धिक बुद्धिजीवियों की हो गयी वो बेचारे जितना सच बोलते हे तो यही लगता हे की वो पाकिस्तान की जड़े खोद रहे हे उन्हें गद्दार इंडिया हिन्दुओ का पिट्ठू कहा जाता हे और जो जितना झूठ बोलता हे ऐसा भरम होता हे की वो सच्चा पाकिस्तानी हे और पाकिस्तान की नीव मज़बूत कर रहा हे इसलिए पाक न्यूज़ चैनेलो पर बैठ कर ज़ैद हामिद ओरिया मक़बूल जान हामिद गुल फरहा हुसैन वगेरह वगेरह इतना बड़े झूठ बोलते हे की इतने बड़े झूठ शायद ही कोई और बोलता हो पाकिस्तान का एक मकबूल सामाजिक हास्य प्रोग्राम हे हस्ब ए हाल इसमें भारत की हर बात हर एक बात जैसी की एजुकेशन लोकतंत्र सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग आर्थिक इस्तिति हर बात के लिए बढ़ चढ़ कर तारीफ की जाती हे लेकिन जैसे ही बात भारत के सेकुलरिज़म और मुसलमानो की बात होती हे तो बढ़ चढ़ कर झूठ बोले जाते हे क्योकि अगर य कह दिया की भारत सेकुलर हे और भारत के मुसलिमो और अकलियतों के हालात सही हे तो ये मन जाएगा की य बात पाकिस्तान के खिलाफ हे लोहिया जी ने सही कहा था की ”या तो पाकिस्तान भारत से लड़ता रहेगा या भारत में मिल जाएगा ” अब हमें करना ये चाहिए की जोर शोर से महासंघ की बात उठाय और विलय की बात का बकौल गुजराल साहब बिलकुल जिकर ही न करे जितना हम विलय की बात करेंगे महासंघ भी दूर होता जाएगा इसलिए पहले जोर शोर से महासंघ और कश्मीर की खुली सीमा ( कश्मीरियों के लिए ) की बात करनी चाहिए

  2. सिकंदर हयात

    June 21, 2014 at 11:16 am

    पांच साल के लिए हम तय कर ले की चाहे कुछ भी हो जाए हम न पाकिस्तान से बातचीत तोड़ेंगे न पाकिस्तानियो को भारत आने से काम करने से रोकेंगे तो पांच साल में पाकिस्तान के इन कठमुल्लाओं और सड़ चुके दिमाग के कटटरपन्तियो और पाकिस्तान की बदमगज फ़ौज़ की पोल पूरी तरह से खुल जायेगी और शान्ति हो जायेगी लेकिन याद रखिये मुंबई फिर से होगा जिसे हमें सयम से डील करना होगा मोदी ऐसा कर और करवा सके तो उनका नोबेल शांति पुरूस्कार पक्का हे 5 साल

  3. jitenda yadav

    June 21, 2014 at 3:59 pm

    pakistaan ek aisa desh hai, jiska buniyaad nafrat , jhut, hinsha, khun -kharaba ,islaam jaise gande aur ghatiya chijo ke chalte banaa hai..waha par rahne waale logo ki maanshikta aur soch ko badla naamumkin hai…
    marna maarna jin logo ke khun me aa jaaye unse shanti aur development ki baat kaarna bemaani hai..
    bharat ke neta pakistaan se shanti ke chakkar me naa pade…
    pakistaan ne apne ghat me aatanwaadi paale the bharat ko barbaad karne ke liye, aaj khud barbaad ho raha hai…
    bharat me musalmaano ko jyada hi pakistaan se prem hai to wo khud waha chale jaaye…
    hum pakistaan ko apna dusman maante the aur hamesha maante rahenge….
    duniya me 50 se jyada islaamic countries hai,, aur har jagah khun -kharaba aur jihad ho raha hai…
    puri duniya me hinsa aur khun khaaraba failane ka jimeddar sirf islaam dharm ko jaata hai…
    agar puri duniya me shanti lana hai to wakt aa gaya hai ki bharat sahit puri duniya me islaam dharm par ban lagana chahiye…
    kuraan par ban lagana chahiye….
    isko maanne waalo ka virodh karna chahiye….
    shanti aur prem ko badaawa dena chahiye….
    tabhi hum sabhi khud ko aur apni aane waali generation ko ek pyara se duniya de sakte hai…

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