Arun Maheshwari : मुंबई के सन ऐंड सैंड होटल के समुद्र तट पर दो अक्टूबर को सारा दिन ढेर सारे वीआईपी स्वच्छ भारत में अपने करोड़ों रुपये का योगदान करते रहे। इनकी अमूल्य बातों की अमृतधारा भारतवासियों के चित्त को निर्मल करते हुए देश के सभी शहरों, गांवों के गली-कूचों को स्वत: स्वच्छ करती जा रही! दुनिया को मंत्रों की शक्ति का महाज्ञान यज्ञ!
किसानों पर डंडे दिल्ली में चलाये गये लेकिन दिल्ली मुख्यालय वाला एनडीटीवी पूरे वक्त मुंबई के लोकेशन पर निगाह गड़ाए रखा. लगता है जैसे दो अक्टूबर का एनडीटीवी का पूरा समय सरकार ने खरीद लिया था। जनता के पैसों पर जश्न ही तो इनको आता है।
प्रोफेसर और साहित्यकार अरुण माहेश्वरी की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं…
Devendra Surjan दो अक्टूबर को ndtv की टीआरपी सबसे कम रही होगी और एबीपी की सबसे ज्यादा. ndtv अपने इस कथित बिज़नेस मॉडल के नाम पर साल में दो चार बार पगला जाता है. हर साल वही लोकेशन और वही पनामा चोर कथित बिग बी. नमो के पंजों से बचने के लिए ndtv को अमिताभ ढाल की तरह नज़र आता है लेकिन उसके काले कारनामे Bhadas4media में Yashwant Singh खूब उजागर करते रहते हैं. आज तक और इंडिया टुडे भी कमोबेश यही सफाई अभियान में लगे रहे और किसानों के दिल्ली में प्रवेश और उनके बर्बर उत्पीड़न की तरफ से आंखें फेरे रहे. वर्धा को कवर करने का सवाल ही नहीं उठता.
Alok Chaube कारपोरेट मीडिया का असली चेहरा एनडीटीवी का भी यही है. रवीश, प्रणव राय का ये सामाजिक सरोकार नही, बल्कि असंवेदनशीलता पेज थ्री आयोजन है. करीब बीस घंटे समाचार नहीं दिखाना कौन सा मीडिया धरम है? देश दुनिया की खबरों से पलायन एक अपराध है. जब अखबारों में कभी कभार मात्र दस फीसदी खबरे हों; बाकी विज्ञापन हो तो ज्ञानबाज आलोचना में लग जाते हैं. आज मौन क्यों? ब्राडकास्ट कौंसिल को संज्ञान लेना चाहिए. सभी चैनलों पर नजर
Manohar Lal Ludhani एनडीटीवी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. वैसे केवल रवीश को छोड़ दें तो वहां भी ज्यादा कुछ बचा नहीं है. पनामा का ठग सुबह से मोदी और एनडीटीवी के साथ लगा हुआ है. हिप्पाक्रेट कहीं का.
Surinder Singh किसानों को दिखाने का वक़्त ही नहीं था एनडीटीवी के पास। चाहते तो 5 मिनट के लिए महायज्ञ रोक कर किसानों की खबर दिखा सकते थे पर इन लोगों ने किसानों की खबर नहीं दिखाई।
Pushpa Tiwari ये ढोंग भारत को सूट नहीं करते। मिठ लबरी बातें न पेट भरते हैं न ढेरों कचरे को साफ करते हैं। अब तो सोच सोच के और लिख लिख के हम ऊब चले हैं लेकिन बेशर्मी बढ़ती जा रही है। किसानों को दिल्ली प्रवेश में कितनी हिंसा।
Neeta Mehrotra महज दिखावा … न जाने ऊबते नहीं ये ऐसा करके…. आज जो दिल्ली में हुआ वो तो डिक्टेटरशिप की हद ही है
Pushpa Tiwari अपने देश में किसानों से हमदर्दी होना चाहिए। बहुत कठिन काम है।
Kavita Pandey मैं भी यही सोचती रही कि यदि स्वच्छ भारत अभियान का आग़ाज़ सन ऐंड सेंड से ही होना है तो सामाजिक गंदगी फैला रही इन शख़्सियतों को वहाँ से हटा दिया जाना चाहिए।
Giriraj Kishore धनपतियों को सफ़ाई भी चाहिए और सरकार को गिरती गुडविल को रोकने का सहारा भी…
Arvind Varun एनडीटीवी का पागलपन