गिरिजेश वशिष्ठ-
कल संजय पुगलिया शरद पवार के मनमुताबिक जवाबों के बाद कह रहे थे ये आपने ठीक कहा. जी आप का जवाब बिलकुल सही है. ये इन्टरव्यू की क्या शैली है? क्या हम जवाबों पर मुहर लगाने को बैठे हैं. आपने सवाल किया उसने उत्तर दिया. लेकिन ये क्या उत्तर के बाद आपका एप्रूवल क्या पत्रकारिता के नजरिए से सही है. हालांकि पत्रकारिता के चौधरी युग में ये सवाल बेमानी सा लगता है.
दिलीप ख़ान-
NDTV के लिए संजय पुगलिया ने शरद पवार का इंटरव्यू लिया और दो दिन से NDTV अपने यहां इस ख़बर को तरह-तरह से ताने हुए है। इंटरव्यू में पवार ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन अदाणी के ऊपर JPC गठन को लेकर दिए गए बयान को ही NDTV बेच रहा है।
‘तटस्थ’ दिखने की कोशिश करते हुए कोई मीडिया हाउस कैसे होशियारी करता है, इसे समझने के लिए NDTV की इस कवरेज को देखा जाना चाहिए। पवार ने कहा, “जब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है, तो JPC गठित करने का कोई मतलब नहीं रह जाता।”
NDTV और उसके साथ-साथ बाक़ी मीडिया समूह भी इसी वाक्य को फैला रहे हैं, लेकिन इसी सवाल के जवाब में इसी वाक्य से ठीक पहले शरद पवार ने कहा कि जेपीसी में सत्ताधारी पार्टी के सांसद भी होते हैं और संसद में सत्ताधारी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत है, आरोप ख़ुद सत्ताधारी पार्टी पर है। ऐसे में जेपीसी बहुत कारगर साबित नहीं होगी।
विपक्ष के एक बड़े नेता होने के नाते शरद पवार के इस बयान की अहमियत है, लेकिन NDTV अपनी ख़बरों में सिर्फ़ एक वाक्य लेकर उड़ रहा है। पुगलिया ने अपने सवाल में ही लगभग निष्कर्ष की तरह कह दिया कि हिंडनबर्ग ने ‘पैसा कमाने के उद्देश्य से’ यह रिपोर्ट जारी की। मतलब, अदाणी पर जो आरोप हैं उसके वज़न से ज़्यादा महत्वपूर्ण हिंडनबर्ग का ‘इंटेंट’ हो गया।
इंटरव्यू लेने वालों के सवाल की भाषा ही उसकी लाइन तय करती है। पुगलिया को अदाणी ने NDTV ख़रीदकर इसी काम के लिए संपादक बनाया है। ज़ाहिर है उनकी लाइन स्पष्ट रहेगी।
लेकिन, बीते कई साल से किसी भी एक लाइन के सहारे ‘विपक्ष में दरार’ जैसी बातें शुरू करना ही असली ‘इंटेंट’ है। विपक्ष में बहत्तर बार दरारें आई हैं, 100 बार और आएंगी। हर विपक्ष में ऐसा होता है, लेकिन पुगलिया के लिए यह ‘इंटेंट’ मायने नहीं रखता।
बाक़ी, अदाणी हो अंबानी हो या कोई और, सेठ जब बड़ा हो जाता है तो उसकी ड्रिल में पक्ष-विपक्ष सबके नेता समवेत स्वर में कदमताल करते हैं। पवार का इस मामले में रिकॉर्ड पुराना है। इस पूरे इंटरव्यू का लहज़ा बताता है कि इसी एक बात के लिए इंटरव्यू लिया गया। इंटरव्यू लेने वाले और देने वाले, दोनों को पता था कि क्या कहना है और कैसे कहना है।
इंटरव्यू ये है-