गणेश झा-
ये ‘न्यूज क्लिक’ को चीन से फंडिंग होने का क्या मामला है भाई। अमेरिका में प्रतिष्ठित अग्रेजी अखबार ‘न्यूयार्क टाइम्स’ में छपा है कि इसको पत्रकारिता के लिए चीन से पैसा आता है। ऐसा हुआ है क्या? तब तो इस वेबसाइट पर लेख लिखने का काफी मोटा पारिश्रमिक मिलता होगा। एसाइनमेंट में किस लाइन पर लिखना है इसका भी इशारा मिलता होगा।
तभी तो कहूं कि लिखनेवालों की भीड़ उस तरफ क्यों जा रही है। और सब एक ही टाइप के लोग। एक ही लाइन पर लिखनेवाले। चीन सबको खरीद सकता है। किसी को भी। पत्रकारों की क्या औकात। बस वह बिकने के लिए तैयार हो और अपनी कीमत तय कर ले कि इसका क्या लेगा।
अब समझ में आया कि देश, मोदी, भाजपा, संघ,और हिन्दू विरोध में लिखा गया मसाला ही बिकता है। बाकी मैटर को कोई नहीं पूछता। और जब मोटा पैसा मिले तो जो मांगा जाए वही लिखने में फायदा भी है। देश को लेकर क्या चाटोगे? या देश का आचार बनाओगे?
मैं भी सोचता हूं फिर से दिल्ली पकड़ लूं और रोज नहा धोकर कान पर कलम खोंसकर निकल पड़ूं। एक ही सिद्धांत हो कि जिसको जो लिखवाना हो लिखवा लो। तभी बेटा-बेटी विदेश में पढ़ेगा और वहीं नौकरी भी पा जाएगा।फिजूल में आज तक इस कंगाल देश को चंदन की तरह सिर-माथे लगाए रहा। लिखकर कम से कम अपनी माली हालत ही सुधार लेता। तब अपने पास भी सबकुछ होता।
आज तो बहुत सारे बड़े-बड़े और नामी गिरामी संपादकों और पत्रकारों ने एक प्रेस रिलीज जारी कर ‘न्यूज क्लिक’ के समर्थन और ‘न्यूयार्क टाइम्स’ के खिलाफ अपनी एकजुटता जाहिर की है। न्यूयार्क टाइम्स को झूठा करार दिया। पर चीन से फंडिंग होती है या नहीं और कभी हुई है या नहीं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का रोना रोते हुए इसपर बडी सफाई से चुप्पी साध ली।
कुछ प्रतिक्रियाएँ-
रामधनी द्विवेदी- अब इनको न्यूयार्क टाइम्स खराब लगने लगा,जब कोविड में जलती चिताओं की फोटो छापता था तो अच्छा था।
गिरिजेश वशिष्ठ- आप न्यूयार्क टाइम्स का वो लेख पढ़ें. मूर्खों की तरह भक्तजन अर्थ का अनर्थ कर रहे हैं. चीन का एक रुपया भी इस पूरे केस में शामिल नहीं है . एक अमेरिकी उद्योगपति है. जिसने कंपनी बेच दी है वो पूंजीवाद विरोधी प्रगतिशील विचारधारा के प्रचार में अपने धन का सदुपयोग कर रहा है. उसने न्यूजक्लिक को भी पैसे दिए है. न्यूयार्क टाइम्स अमेरिकी अखबार है उसने उसे चीन से जोड़ दिया. वो व्यक्ति पूरी दुनिया में प्रचार प्रसार में लगा है. एशिया के साथ भेदभाव के खिलाफ लाबीइंग करता है. इसमें चीन का पैसा अनपढ़ भक्तों ने घुसा दिया क्योंकि अंग्रेजी पढ़नी नहीं आती.
Ajay Verma- Bandhu iska matlab hai ki jitne news channel ya youtubers Modi ke khilaf aag ugalte hain wo kahin na kahin se, China ya West se sponsered hain..aur jo TV news channel, aaj to sabhi, Modi ke favour me bolte Hain ya likhte hain wo kisi aur se sponsered hain..Bhai mere phir patrakarita kahan ho raha hai..ye to sirf dhandha hai iss pure khel mein bewakoof ban rahen hain hum viewers ya kahiye readers
शैलेश श्रीवास्तव
August 18, 2023 at 7:23 am
कितने बेगैरत हैं वह पत्रकार जो चीन की फंडिंग से अपनी दुकान चला रहे हैं, कम से कम एक बार तो सोंच लेते कि सीमा पर खड़ा जवान किसी गरीब पिता की या किसी गरीब किसान की ही संतान है। ये वही पत्रकार हैं जो गाजीपुर और सिंघु बोर्डर व दिल्ली के अन्य बॉर्डर पर जय जवान – जय किसान का घोष लगवाते नजर आ रहे थे।
पूरी एक जमात अब न्यूज़ क्लिक के समर्थन में आ गयी है