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बिहार

नीतीश राज में दारू पीकर बेटा-बहू ही नहीं बेटियां भी बुजुर्गों का काल बनने लगी हैं!

अमरेन्द्र किशोर-

बुजुर्ग सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा के शिकार हो रहे हैं। यह बात हैरतअंगेज है कि बेटे और बहू ही नहीं अब तो बेटियां भी मां-पिता की ज़िंदगी को नारकीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। बच्चों के सहारा के बदले उन्हें मानसिक और शारीरिक यातना मिल रहा है।

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बिहार के गया जिले की श्रीमती कमला देवी और नीरा सिंह के सामने ज़िन्दगी का संकट आ गया है। आरोप है कि कमला देवी के दो बेटे विजय प्रसाद और अजय प्रसाद उनके साथ मारपीट करते हैं और उनकी चल अचल संपत्ति हड़पने के लिए षडयंत्र कर रहे हैं। आरोप है कि दोनों बेटेऔर एक बेटे की पत्नी सुषमा देवी ने कमला देवी के साथ सरेआम मुहल्लेवालों के सामने मारपीट की थी जिसमें उनकी गर्दन पर चोट के निशान थे और खून भी निकला हुआ थाI जिन दो बेटों ने मारपीट की थी, उनमें से एक शराब के नशे में था I

पुलिस वालों को जब यह बात पता चली तो वो एक भाई को पकड़कर थाने लेकर चले गए और शराब पीने के आरोप में रात भर थाने में रखा और इसके लिए लाचार और बीमार कमला देवी को भी रात के लगभग 12 बजे तक थाने में बैठा कर रखा गया I शराब के मामले में करवाई की गयी जुर्माना लगाया गया, लेकिन बुजुर्ग की प्रताड़ना के लिए कोई सजा नहीं दी गयी. दोनों बेटे, बहु के आलावा इनका बड़ा इंजीनियर पोता अंकुर कुमार और बड़ी बेटी अनीता कुमारी और दामाद भी इस साजिश में मिले हुए हैं. साजिश के तहत बैंक आफ बड़ौदा के बैंक मैनेजर दीपक कुमार के साथ मिलकर कमला देवी के खाते तक को फ्रीज करा दिया गया और बैंक से बुजुर्ग महिला को सूचना तक नहीं दी गई।

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सिविल लाइन थाने में पुलिस से शिकायत की जाती है तो इसे घरेलू मसला बताकर टाल दिया जाता है।

वहीं दूसरी महिला 86 वर्षीय नीरा सिंह की है, जो अपने छोटे बेटे संदीप सिंह और उनकी पत्नी से प्रताड़ित हो रही हैं. पूरी संपत्ति इनकी होने के बावजूद बेटे-बहू द्वारा सबकुछ छीन लिया जा रहा है, जिसके कारण भूखे मरने की नौबत आ गयी है. ज्ञात हो कि केंद्र तथा राज्य दोनों ही सरकारों द्वारा वरिष्ठजनों को प्रताड़ित करने वालों पर सख्त कार्यवाही करने के निर्देश हैं, साथ ही ऐसे लोगों पर सज़ा, जुर्माना और संपत्ति से बेदखली तक का प्रावधान हैI

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बावजूद इसके बिहार के सुशासन में वृद्धों पर इस तरह का अत्याचार होना आम बात हो गयी है, जो पुलिस और प्रशासन की असंवेदनशीलता और निष्क्रियता का परिचायक है। सबसे शर्मनाक बात यह है कि इस बावत कई महीनों से कमला देवी न्याय और नीरा सिंह की आस में अनुमंडल अधिकारी (किशलय श्रीवास्तव) के कार्यालय का चक्कर काट रही हैं। किंतु, अनुमंडल अधिकारी द्वारा सिर्फ तारीख पर तारीख दिया जाता रहा, लेकिन इन बुजुर्गों की प्रताड़ना के खिलाफ दोषी पक्षों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। सिर्फ इतना ही नहीं दूर-दूर से आये असहाय बुजुर्गों को तारीख देकर सुनवाई के लिए बुलाया जाता है और दिनभर सुनवाई के नाम पर बैठाकर रखा जाता है, फिर अचानक से बोल दिया जाता है कि अगली तारीख पर सुनवाई होगी।

मामले की गंभीरता को बिना समझे अनुमंडल अधिकारी अधिकांश मामले को सिर्फ मेंटेनेंस के दायरे तक ही सीमित करके देखते हैं, ऐसा पीडि़तों द्वारा अनुभव किया जा रहा है। अनुमंडल अधिकारी का साफ-साफ कहना है कि मेरा अधिकार सिर्फ मेंटेनेंस दिलाने तक सीमित है और कुछ नहीं। जबकि वरिष्ठ नागरिक अधिनियम में साफ-साफ उल्लेख है कि किसी भी प्रताड़ना, दुर्भव्यहार आदि की शिकायत आने पर जेल और जुर्माना की सजा दी जा सकती है, साथ ही हस्तांतरित और उपहार में दिये गये चल-अचल संपत्ति को भी वापस लिया जा सकता है।

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कमला देवी और नीरा सिंह का कहना है कि यदि एसडीओ साहब के अधिकार क्षेत्र में न्याय दिलाना नहीं है तो फिर पहली ही सुनवाई पर क्यों स्पष्ट नहीं किया जाता, तारीख पर तारीख देकर परेशान क्यों किया जाता हैॽ सिर्फ इतना ही नहीं प्रक्रिया ख़त्म करने के उद्देश्य से,आदेश के नाम पर जो खोखले दस्तावेज दिए जाते हैं, उसे भी निकालने के लिए चिरकुट फाईल कराया जाता है जिसमें बुजुर्गों को बेहद परेशानी और खर्च झेलनी पड़ती है। वन स्टॉप सेंटर, एसपी, डीएम सब तरफ शिकायत की गयी, लेकिन सब तरफ निराशा ही हाथ लगी। अंततः इन्होंने इच्छा मृत्यु के लिए कलेक्टर साहब को गुहार लगाई है, लेकिन अब तक ये लोग न्याय से वंचित हैं।

कमला देवी और नीरा सिंह की प्रताड़ना और पुलिस के ऐसे रवैये से एक बात तो साफ़ है कि जंगल राज आज भी बिहार में है और सुशासन महज जुमला हैI

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