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पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस का बायकाट और पीएम मोदी का शुभकामना संदेश साथ-साथ!

अखबारों में प्रधानमंत्री के संदेश की दबी-छिपी चर्चा

इंडियन एक्सप्रेस के पहले पन्ने पर लीड

आज के अखबारों में जो बड़ी खबरें हैं उनमें एक है – सरकार ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम का बायकाट किया। यह बायकाट इतना गंभीर था कि द टेलीग्राफ ने प्रेस ट्रस्ट की खबर छापी है जिसके मुताबिक, दिल्ली में पाकिस्तान स्थित उच्चायोग में आयोजित समारोह में भाग लेने वालों को पुलिस ने रोका और संपर्क विवरण लेने के बाद ही जाने दिया। मैं भारत सरकार के निर्णय और जो कुछ हुआ – उसे खबर के रूप में देख रहा हूं और आज के अखबारों में उनकी प्रस्तुति की चर्चा कर रहा हूं। हालांकि, मेरी सूचना का स्रोत भी कोई खास नहीं है। मैं अखबारों में छपी खबरों और सोशल मीडिया की चर्चा के आधार पर ही सूचनाएं दे रहा हूं और बता रहा हूं कि किस अखबार ने इसे कैसे प्रस्तुत किया है।

आप इसकी तुलना अपने अखबार से करके समझ सकते हैं कि इन दिनों अखबार कैसे आपकी राजनीतिक विचारधार बदलने में लगे हुए हैं। मुझे उम्मीद थी कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस के बायकाट की खबर आज के अखबारों में प्रमुखता से होगी। पर रात में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का ट्वीट दिखा जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उन्हें नरेन्द्र मोदी से संदेश मिला है जिसमें मोदी ने पाकिस्तान को उसके राष्ट्रीय दिवस पर शुभकामना दी है। द टेलीग्राफ के मुताबिक इमरान खान का यह ट्वीट तब आया जब भारत ने दिल्ली और इस्लामाबाद में इस मौके पर आयोजित समारोह का बायकाट करने की घोषणा कर रखी थी।

एक तरफ बायकाट, पाकिस्तान को सबक सीखाने का माहौल और नरेन्द्र मोदी का संदेश भेजना। निश्चित रूप से सामान्य नहीं है और यकीन नहीं होगा। अखबारों और अब सरकार की ओर से सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों समेत सरकारी सूचना तंत्र जिसमें रेडियो, दूरदर्शन, पीआईबी सब शामिल हैं – का काम यही है कि आम जनता को सही और भरोसेमंद सूचना दें। निजी तौर पर मैं यह दावा नहीं कर सकता कि किसी ने इस मामले में स्थिति स्पष्ट नहीं की। लेकिन मुझे पता नहीं चला कि असल में मामला क्या है। इस संबंध में टेलीग्राफ ने लिखा है, (अनुवाद मेरा) देर रात तक भारत ने प्रधानमंत्री के कथित संदेश की पुष्टि नहीं की थी।

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आमतौर पर प्रधानमंत्री ऐसी सूचनाएं ट्वीट करते हैं पर कल ऐसा भी नहीं था। ऐसे में क्या इमरान खान का दावा गलत हो सकता है? जाहिर है, आधिकारिक जवाब के बगैर कुछ नहीं कहा जा सकता है। टेलीग्राफ ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह एक बिना हस्ताक्षर वाला पत्र है जो ऐसे मौकों पर भेजा जाता है। अखबार ने ऐसे मौकों के संबंध में कुछ नहीं लिखा है पर मुझे ऐसे मौकों का मतलब भी समझना है। आगे अखबार ने लिखा है कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने (ये एनडीटीवी वाले नहीं हैं) दोपहर में एलान किया था कि समारोह में हुर्रियत को आमंत्रित करने के पाकिस्तान उच्चायोग के फैसले के खिलाफ भारत ने इस कार्यक्रम के बायकाट का निर्णय किया है।

टेलीग्राफ ने लिखा है कि इससे पहले मोदी ने पाकिस्तान पर हवाई हमले से संबंधित सैमपित्रोदा के ट्वीट पर हमला करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था और लिखा था, (अनुवाद) कांग्रेस अध्यक्ष के सबसे भरोसेमंद सलाहकार और गाइड ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस समारोह की शुरुआत कर दी है …। इस माहौल में इमरान खान का दावा क्या नजरअंदाज करने लायक है? क्या आपके अखबार ने इस बारे में कुछ छापा है। स्थिति स्पष्ट की है? मुमकिन है आप इस मामले को गंभीरता न दें या छोटी घटना या कुछ गलतफहमी मानकर छोड़ दें या तवज्जो नहीं दें। पर अखबारों और मीडिया संस्थानों के साथ सरकार और उसके प्रचारतंत्र की क्या यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह इसम मामले में स्थिति स्पष्ट करे। मेरा मानना है कि सरकार जनता को इस लायक नहीं समझती है या इसकी जरूरत नहीं समझती है जबकि लोकतंत्र में सरकार अपनी कार्रवाई के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी है।

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हमारी आपकी ओर से सरकार से यह सवाल पूछने का काम मीडिया का है और सरकार ने विज्ञापनों के दम पर या अपनी दूसरी ताकतों का डर दिखाकर अखबारों को नियंत्रण में कर लिया है और एक मामूली से सवाल का जवाब नहीं दिया जाता है या देने की जरूरत नहीं समझी जाती है क्योंकि वह मानती है कि सब कुछ ठीक चल रहा है और आप माने बैठे हैं कि हवाई हमले में 300 मार दिए गए अजहर भी मर गया पर चीन उसे वैश्विक आतंकवादी की सूची में नहीं डालने दे रहा है इसलिए चीनी सामान का विरोध करना है भले ही उसने खुद 3000 करोड़ की मूर्ति चीन से बनवाई है। कुलमिलाकर आपको लड़ा भिड़ाकर सरकार निश्चित है आपको सूचना देने की जिम्मेदारी निभाने की बजाय चौकीदार होने का दंभ भर रही है।

आइए देखें आज दिल्ली के अखबारों में यह खबर कैसे छपी है। मैंने सबसे पहले हिन्दुस्तान टाइम्स देखा। इसमें पाकिस्तान से जुड़ी बाईलाइन वाली एक खोजी खबर लीड है। आजकल की खोजी खबरें भी सरकारी हित साधने वाली होती हैं। हमारे आपके काम की नहीं। इस खपर का शीर्षक है, 27 फरवरी को भारत पाकिस्तान मिसाइल दागने के काफी करीब आ गए थे। इसके साथ सूचना है कि मोदी ने पाकिस्तान को उसके राष्ट्रीय दिवस पर बधाई दी और यह खबर अंदर के पन्ने पर है।
इंडियन एक्सप्रेस ने इसी खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, सरकार ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस का बायकाट किया, प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के लोगों को संदेश भेजा। ऊपर आप पढ़ चुके हैं कि ऐसे मौकों पर बिना हस्ताक्षर वाला संदेश भेजा जाता है।

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इंडियन एक्सप्रेस ने इसी संदेश के अंश को उपशीर्षक बनाया है और इसका दावा इमरान खान ने भी अपने ट्वीट में किया है। उपशीर्षक है, मोदी ने आतंक हिंसा से मुक्त माहौल में शांतिपूर्ण … क्षेत्र की अपील की। एक तरफ सार्वजनिक भाषणों में घुसकर मारूंगा और पाताल से निकाल लाउंगा दूसरी ओर यह गुपचुप संदेश? निश्चित रूप से यह सामान्य नहीं है पर यही है। इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में स्पष्टीकरण दिया है कि प्रधानमंत्री ने कूटनीतिक दरवाजा खुला रखा है। मुझे लगता है कि सरकारी स्टैंड यही है। पर चुनावी माहौल में इससे फायदा कम नुकसान ज्यादा होना था इसलिए इसे दबा छिपा रहने दिया गया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की आज की लीड से लगता है कि यह योजना का हिस्सा भी हो सकता है। संयोग होने में तो कोई शक ही नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में उसकी एक्सक्लूसिव खबर लीड है और यह भी पाकिस्तान से संबंधित है तथा बाईलाइन वाली है। खबर का शीर्षक है, सरकार ने यासिन (मलिक) के जेकेएलएफ पर प्रतिबंध लगाया, 1989 में पंडितो के संहार के लिए जिम्मेदार ठहराया। कहने की जरूरत नहीं है कि आचार संहिता लागू होने के बाद 1989 की घटना के लिए प्रतिबंध लगाना दोहरे मकसद वाला काम भी हो सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर आज पर ऊपर से नीचे तक चार कॉलम का विज्ञापन है। लीड के साथ यह तो छपा है कि भारत ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस का बायकाट किया पर इमरान खान के दावे या मोदी के संदेश की चर्चा पहले पन्ने पर नहीं है।

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वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।

https://www.youtube.com/watch?v=ieM6mxKHRqM
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