मोदीजी के गुजरात में पानी को तरसती प्रजा! देखें तस्वीर

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श्रीप्रकाश दीक्षित-

यह तस्वीर गुजरात के गाँव की है जहां गर्मी के कारण कुएं सूख गए हैं.महिलाएं पानी के लिए जेठ की तपती गर्मी मे कलसे लिए लाइन मे खड़ी हैं. यह उस गुजरात की हकीकत है जहाँ मोदीजी प्रधानमंत्री बनने से पहले तेरह बरस मुख्यमंत्री रहे हैं.यह उस गुजरात की भी हकीकत हैं जहाँ के धनपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी देश दुनिया मे अमीरी के नए रिकार्ड बना रहे हैं.

सवाल है कि तेरह बरस के लम्बे कार्यकाल मे मोदीजी पानी जैसी मूलभूत जरूरत की उपलब्धता भी सुनिश्चित नहीं करा सके.?लगता यही है की पानी के बजाए विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा और क्रिकेट के विशाल स्टेडियम का निर्माण उनकी प्राथमिकताओं मे सबसे ऊपर रहा है.

सरदार पटेल की मूर्ति का शिलान्यास मोदीजी ने मुख्यमंत्री रहते 2013 मे और उदघाटन 2018 मे किया था.उनके प्रधानमंत्री बनने पर केंद्र ने इसके लिए अरबों रुपये दिए.अरुण शोरी ने एक इंटरव्यू में बताया की मूर्ति पर तीन हजार पांच सौ करोड़ रुपये खर्च हुए. उधर टीवी पर डेढ़ साल से यूनीसेफ और साइट सेवर्स के विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं जो बताते हैं कि भारत में 80 लाख लोग देख नहीं पाते जिनमे से साठ लाख के आँखों की रोशनी वापस लाई जा सकती है. हर 53 सेकेंड में एक नवजात दम तोड़ देता है याने 1600 बीमार बच्चे रोज मर जाते हैंन जिन्हें मेडिकल मदद से बचाया जा सकता है. इनके लिए जनसहयोग मांगा जा रहा है.

जेरा सोचिए, अगर विशाल मूर्ति पर अरबों खर्च करने से पहले मोदीजी गुजरात मे पानी पर ध्यान देते तो महिलाओं को ऐसे नहीं तरसना पड़ता. इसी प्रकार नेत्रहीनों को रोशनी दिलाने और नवजात बच्चों की मेडिकल सुविधाएं जुटाने के लिए राशि दे दी जाती तो उनके लिए गैर सरकारी संस्थाओं को हाथ नहीं पसारने पड़ते. इसके बरक्स मूर्ति के लिए जनसहयोग लिया जा रहा था. आँखों को रोशनी मिलने पर साठ लाख नेत्रहीन निहाल हो जाते और मोदीजी का यशगान कर रहे होते. मोदी सरकार मूर्ति की तरह इसके लिए भी मदद देकर सीधे देर से ही सही साठ लाख नेत्रहीनों के आँखों की ज्योति वापस लाकर पुण्य और यश कमा सकती है.



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