राजस्थान पत्रिका समूह अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड देने में आनाकानी कर उनका हक मार रहा है तो बदले में पत्रिका वालों का हक किसी दूसरे ने मार दिया है. किसने हक मारा, और कितना मारा, यह विस्तार से खुद पत्रिका अखबार ने बताया है, अपने यहां लंबा चौड़ा विज्ञापन छापकर… आप भी पढ़िए और दुआ करिए कि पत्रिका प्रबंधन को बुद्धि आ जाए जिससे वह दूसरों का हक खुद मारना बंद करे…..
Comments on “राजस्थान पत्रिका को लगा चूना”
पत्रिका को कोई चूना नहीं लगा है. दरअसल यह उसकी दादागिरी है. अपना सर्क्यूलेशन अधिक बताने के लिए प्रसार विभाग में बैठे लोग एजेंटों को मनमानी कापियां भेजते रहते हैं. वह बेचारा कापियां बेच नहीं पाता और उसके पास रद्दी का ढेर लगता रहता है. एजेंट अनसोल्ड कापियां वापस लेने और कम भेजने के लिए कहता रहता है और ये बढ़ा-बढ़ाकर भेजते रहते हैं. उसके बाद उस पर बिल जमा करने का दबाव डालते हैं और वसूली के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं. कई लोग पत्रिका की एजेंसी लेकर बर्बाद हो चुके हैं. सभी एजेंट अगर एकजुट हो जाएं तो प्रबंधन की अकल ठिकाने आ जाए.