Priyabhanshu Ranjan : नोटबंदी से कितना काला धन पकड़ में आया, उस पर ऐसा आंकड़ा दिया जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। RBI तो अब तक नोट गिन ही नहीं सका है। ऊपर से मोदी ने एक निजी संस्था के आंकड़े बताए हैं। नोटबंदी से तबाह हुए छोटे और मझौले व्यापारियों की समस्या सुलझाने पर कुछ नहीं बोला। गोरखपुर में बच्चों की मौत और गुंडे गौरक्षकों के आतंक पर गोल-मोल बोल कर निकल लिए। पर ‘तीन तलाक’ पर खुलकर बोलना नहीं भूले, जैसे कि तलाक दिलवाना ही सरकार की प्राथमिकता हो।
कर्ज पर ब्याज दरें घटने की बात तो बताई, पर ये नहीं बताया कि बचत खाते से लेकर PPF, RD, NSC etc. जैसी छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें घटा दी गई जिससे आम आदमी अब इन बचत योजनाओं में पैसे लगाना बेकार समझने लगा है। मंगलयान मिशन नौ महीने में पूरे होने पर सफेद झूठ बोला। वैसे भी मंगलयान मनमोहन सरकार की उपलब्धि है।
ISRO की ‘नाविक’ परियोजना को अपनी उपलब्धि बता दी, जबकि काम मनमोहन सरकार ने शुरू कराया था। सिर्फ ‘नाविक’ नाम रखने का श्रेय मोदी को जाता है। डोकलाम के मुद्दे पर देश को ताजा स्थिति से अवगत नहीं कराया। खुद को भ्रष्टाचार से लड़ने वाले मसीहा के तौर पर पेश किया, लेकिन ये नहीं बताया कि लोकपाल का गठन कब कर रहे हैं और RTI कानून को कमजोर करने की कोशिश क्यों हो रही है। GST की सफलता का सर्टिफिकेट खुद ही ले लिया, लेकिन इससे महंगे हुए सामानों पर कुछ नहीं बोला। ‘आधार’ पर भी श्रेय लेने की कोशिश की। फिर भी कुछ लोग इस भाषण को 10 में 10 नंबर दे रहे हैं।
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Sadhvi Meenu Jain : देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि देश का प्रधानमंत्री एक प्रायवेट संस्था ‘मार्ग’ के आंकड़े पेश करके बता रहा है कि नोटबंदी से कितना कालाधन बाहर आया, वह भी स्वाधीनता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में! प्रधान मंत्री जी, रिज़र्व बैंक क्यों बिल में छिपा बैठा है? क्यों नहीं बताता क़ि नोटबंदी से कितना काला धन बाहर आया? जनता को बिलकुल ही मूर्ख समझ रक्खा है क्या!
पत्रकार प्रियभांशु रंजन और साध्वी मीनू जैन की एफबी वॉल से.