24 दिसंबर को सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर के पी एचडी शोध ग्रन्थ “प्रेमचंद साहित्य में धर्मान्तरण की समस्या” पर जवाहर भवन में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉ ठाकुर ने बताया कि प्रेमचंद ने विक्रमादित्य का तेगा, खून सफ़ेद, जिहाद, मन्त्र, क्षमा, मंदिर और मस्जिद सहित कई कहानियों और कायाकल्प उपन्यास में इस समस्या पर दृष्टि डाली थी. आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद इस समस्या की समाज में उपस्थिति से बखूबी वाकिफ थे और वे इसके मानवीय पहलू के प्रति अत्यंत संवेदनशील थे.
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विद्याबिंदु सिंह ने बताया कि लगभग अन्य क्षेत्रों की तरह यहाँ भी प्रेमचंद का मुख्य दृष्टिकोण मानवतावादी था. केकेवी कॉलेज में हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ सविता सक्सेना ने बताया कि किस प्रकार सभी धर्मों के आडम्बरों की कटु निंदा की और अपनी एक कहानी हिंसा परमो धर्मः में दोनों धर्मों के ठेकेदारों को बेनकाब किया था. वरिष्ठ पत्रकार रजा रिज़वी ने प्रेमचंद के ईदगाह का उदाहरण देते हुए उनके धर्म पर मानवतावादी दृष्टि को सामने रखा. कालीचरण डिग्री कॉलेज के डॉ पंकज कुमार, जेएन डिग्री कॉलेज के डॉ कमला शंकर त्रिपाठी, बाल साहित्यकार जाकिर अली सहित पत्रकार डॉ मुकेश मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त किये.