उत्तराखंड में नया बखेड़ा खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे पत्र तैर रहे हैं जिसमें उत्तराखंड सरकार से विज्ञापन मांगा गया है और पत्र पर सीएम रावत के हस्ताक्षर से एक निश्चित राशि का उल्लेख करते हुए विज्ञापन देने का निर्देश दिया गया है.
देवभूमि मीडिया नाम से एक कंपनी का संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र जोशी करते हैं. उन्होंने एक अप्लीकेशन दिया हुआ है जिसमें कोविड-19 से बचाव व सुझाव पर स्मारिका प्रकाशन की बात कहते हुए विज्ञापन की डिमांड प्रदेश सरकार से की गई है. पत्र में 11 वर्षों से संचालित देवभूमि मीडिया डाट काम का उल्लेख किया गया है.
इस पत्र में सीएम त्रिवेंद्र रावत की तरफ से पांच लाख रुपए का विज्ञापन देने का आदेश करते हुए हस्ताक्षर दर्ज में हैं.
राजेंद्र जोशी का पत्र पंद्रह मई 2020 का है. सीएम रावत द्वारा पांच लाख रुपये का विज्ञापन देने का आदेश 19 मई 2020 का है.
सबसे खास बात तो ये है कि राजेंद्र जोशी खुद विज्ञापन अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष हैं. ये महोदय दूसरों को विज्ञापन दिलाने की बजाय खुद ही भरपेट विज्ञापन लेने को तत्पर दिख रहे हैं.
देखें दोनों पत्र-
सवाल उठ सकता है कि ये पत्र और ये खबर ग़लत कहां से है? ये सब कुछ तो लिखत-पढ़त में है और पत्रिका स्वामी या पोर्टल स्वामी का काम विज्ञापन मांगना है और सरकार का काम पत्रकारों को विज्ञापन देना है. ऐसे में गल्ती कहां है?
जवाब इसका ये है कि सारा मामला नैतिकता का है. एथिक्स का है. जिन जिन को त्रिवेंद्र रावत सरकार की तरफ से विज्ञापन दिया गया है, उनने सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं लिखा. उल्टे सरकार के बचाव में उतर आए और जिन जिन ने सरकार से सवाल किए उन उन पर निजी हमले शुरू कर दिए. तो सारा खेल बस ये है कि आप सरकार से खूब विज्ञापन लीजिए लेकिन कम से कम सच को सच और गलत को गलत कहने-लिखने का साहस-रीढ़ तो बचाकर रखिए. वरना पैसे लेकर धंधा करने वाले-वालियों की कमी नहीं है!