Naved Shikoh-
लखनऊ दैनिक जागरण की हाफ सेंचुरी के किस्सों में दो नाम बार-बार आते हैं। संपादक विनोद शुक्ला और राजू मिश्र। अखबारों की डेस्क में सेवा देने वाले पुराने से पुराने पत्रकार गुमनामी के अंधेरे में गुम रहते हैं। लेकिन राजू मिश्र अपवाद हैं जो अधिकांश समय डेस्क पर रहने के बाद भी पत्रकारिता जगत में विख्यात हैं। इसकी एक वजह नहीं, कई वुजुहात (कई कारण) हैं। दैनिक जागरण में खासकर तत्कालीन संपादक स्वर्गीय विनोद शुक्ला के जमाने में एक धारणा थी कि यहां कोई ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाता।


कम उम्र में बांदा में आज अखबार से पत्रकारिता शुरू करने वाले राजू मिश्र ने 1985 में लखनऊ दैनिक जागरण ज्वाइन किया ओर फिर यहीं के होकर रह गए। करीब चार दशक तक जागरण में नौकरी करने वाले ये पहले शख्स हैं। दैनिक जागरण की बादशाहत का मतलब ये नहीं कि इस अखबार ने बिना संघर्ष, खूबियों और क्रिएटिविटी के अपना रुतबा बरकरार रखा। इसके सामने भी खूब प्रतिद्वंद्वी अखबार आते रहे। इस मुकाबले में राजू की क्रिएटिविटी अखबार का हथियार बनी। उन्होंने “शहर अपना शहर” में लखनऊ की नजाकत,नफासत,तहजीब, खूबियों, अदब, कला-संस्कृति, धर्म-अध्यात्म, अंदाज-ओ-अदाओं, खूबियों और हर हुनर को समेट कर पेश करने की कल्पना को साकार किया। योगेश प्रवीन और उर्मिल कुमार थपलियाल को भी मौका दिया। हर हफ्ते केपी सक्सेना से उनकी बातचीत का पाठक बेसब्री से इंतजार करते थे।
नब्बे के दशक में शुरू हुआ जागरण का “शहर अपना शहर” परिशिष्ट करीब दो दशक तक कामयाबी का मील का पत्थर साबित हुआ।
राजू डेस्क के ही जादूगर नहीं रहे, इनकी रिपोर्टिंग ने भी कयामतें ढाई हैं। मुंबई प्रेस क्लब के प्रसिद्ध राष्ट्रीय सम्मान “रेड इंक” को हासिल करने वाले राजू मिश्र पहले हिन्दी पत्रकार हैं। ये सम्मान उन्हें बुंदेलखंड की हकीकत बयां करने वाली विशेष रिपोर्टिंग के लिए दिया गया। भारत सरकार का प्रतिष्ठित वाटर अवार्ड भी उन्हें मिल चुका है।
एक समय था जब आसाराम बापू को भगवान का अवतार मानने वाले करोड़ों भक्तों की तादाद बढ़ती ही जा रही थी। लखनऊ में उनके आगमन की खबरें भक्तों के दिलों की धड़कने बढ़ा रही थीं। उस वक्त राजू मिश्र ने आसाराम को अप्रत्यक्ष रूप से रावण जैसा बताने वाली उनकी असलियत बया़ं करती खोजी खबर लिखी। राजू की उस वक्त जान बच गई, वजह ये थी जागरण जैसे ताकतवर अखबार ने उन्हें पूरा प्रोटेक्शन दिया। राजू मिश्र के नाम से मशहूर इस अद्भुत पत्रकार का अस्ल नाम राज नारायण मिश्र है।
भगवान के अवतार आसाराम का सबसे पहले असली चेहरा दिखाकर जनजागरण करने वाले राजू इन खूबियों के कारण जागरण मैन बन गए। आज इनका जन्मदिन है।
Comments on “डेस्क के जादूगर और रिपोर्टिंग के उस्ताद राजू मिश्र का आज जन्मदिन है!”
“राज नारायण मिश्र है उनका असली नाम। मेरे कमरे के बाहर ही उनका केबिन है। लंबे ही नहीं ऊंचे व्यक्तित्व भी हैं। जब आपको जरूरत हो मुझसे बात ना हो पाए तो, उनसे बात कीजिएगा।” दैनिक जागरण के निदेशक और संपादक विनोद शुक्ला ने मुझे पहली ही मुलाकात में बताया था।
तब मैंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के सरकारी मीडिया प्रमुख के रूप में ज्वाइन किया था। औपचारिक परिचय वार्ताओं के दौरान सबसे पहले जागरण ही गया था। तभी जागरण हजरतगंज से हटकर नई वर्तमान बिल्डिंग में शिफ्ट हुआ था।
मुख्यमंत्री सचिवालय में करीब एक दशक के कार्यकाल में सभी प्रकार के पत्रकार मेरे पास में आते रहे। किसी न किसी काम के लिए कहते रहे। बताते रहे। लेकिन अकेले राजू मिश्रा ऐसे थे, जिन्होंने मुझे कभी कोई काम लिया नहीं। यह बात और है कि बहुत सी परेशानी की स्थितियों में उन्होंने हमेशा मेरे काम बनाए।
निर्मल, सहज, सरल, भोलेनाथ और एकदम धरती पकड़ प्रकार की खांटी भारतीय पर्सनैलिटी वाले इस महान अजात शत्रु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरे पास में उनका मोबाइल नंबर बहुत वर्ष रहा। लेकिन न जाने कैसे अब खो गया है। यदि मेरे परिचय किसी भी पत्रकार को यह टिप्पणी नजर आए, तो कृपया मुझे राजू मिश्रा जी का नंबर देने की अनुकंपा करें। वैसे मुमकिन है मैं उन तक पहले जा पहुंचूं।
राजनारायण मिश्र अपनी कार्यशैली व कर्मठता के सच्चे साधक हैं प्रत्यक्ष भेंट नहीं हुई लेकिन लखनऊ में पत्रकारिता का शुरूवाती दौर आपके नाम को प्रतिदिन स्मरण कराता जब सहारा जैसे अखबार अपनी नई प्रस्तुति से पाठकों को लुभा रहे थे संपादकीय में अपनी बेहतर छाप पंडित विनोद शुक्ल और समर्पित सहयोगी राजू मिश्र ने जागरण का स्तर कायम रखा ! सम्मानीय राजू जी मैं आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ ! ….
आदरणीय श्री राजू भाईसाहब को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।