यूपी के बलरामपुर में पत्रकार राकेश सिंह निर्भीक की उनके घर में जिन्दा जलाकर मार देने की वीभत्स वारदात पर प्रेस कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारी एवं पुलिस कप्तान से रिपोर्ट तलब की है.
प्रेस कॉउंसिल के सदस्य तथा नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) के संगठन सचिव आनंद राणा ने इस घटना के बाद चेयरमैन, प्रेस कॉउंसिल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिखकर इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की थी.
इस वारदात की कड़ी निंदा करते हुए आनंद राणा ने कहा कि पत्रकार राकेश सिंह निर्भीक का कसूर सिर्फ इतना था कि वे सच के साथ खड़े रहकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे. दबंगों को यह मंजूर नहीं था.
धमकी से जब राकेश नहीं डरे तो उनकी हत्या उनके ही घर में जलाकर कर दी गई.
राकेश का कत्ल पत्रकारिता पर गहरा आघात है. यूपी के बलरामपुर में हुई इस वारदात से साफ है कि भारत में निडरता के साथ पत्रकारिता करना लगातार असम्भव होता जा रहा है. दुनिया भर के देशों से तुलना की जाय तो पत्रकारों की सुरक्षा हमारे देश में सिर्फ छलावा मात्र है. चंद हाई प्रोफाइल पत्रकारों पर गाहे बगाहे जब कोई मुश्किल आती है तो सोशल मीडिया से लेकर सरकारी गलियारों में बवाल हो जाता है… पर किसी जिले में… किसी गांव या कस्बे में जब किसी पत्रकार की हत्या कर दी जाती है तो पत्रकारिता पर संकट की दुहाई देने वालों के मुंह में दही जम जाती है.
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