रांची एक्सप्रेस का नया प्रबंधन अपने स्टाफ के साथ तानाशाही भरा रवैया अपना रहा है. यहां के स्टाफ को दो माह बाद सेलरी दिया जाना आम बात हो गयी है. दो माह बाद भी कुछ स्टाफ को सेलरी दी जाती है, कुछ को नहीं. शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती है. स्टाफ को प्रबंधन द्वारा न तो कोई आईडी दिया गया है, न ही पीएफ की सुविधा. ऐसे में कई स्टाफ लेबर कोर्ट में जाने वाले हैं.
समय पर वेतन न मिलने के कारण स्टाफ के लिए अपना परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. कई अच्छे स्टाफ पिछले तीन माह का वेतन न मिलने के कारण प्रबंधन को जवाब देकर चले गये हैं. ऐसे में बाकी बचे लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. प्रबंधन उनसे तानाशाही भरा रवैया अपना कर काम ले रहा है, मगर सैलरी मांगने पर आग-बगूला हो जाता है. दूसरी तरफ प्रबंधन के लोग अखबार के प्रोपेगंडा के लिए बड़े-बड़े होटलों में प्रोग्राम कर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं. साथ ही प्रबंधन अपनी नाकामियों का ठीकरा संपादकीय स्टाफ पर फोड़ रहा है, जबकि इस अखबार के संपादकीय विभाग में ज्यादातर मेहनती व अनुभवी लोग हैं जो विभिन्न प्रतिष्ठित अखबारों में काम कर चुके हैं.
गौरतलब है कि रांची एक्सप्रेस अखबार झारखंड का काफी पुराना समाचारपत्र है. एक समय था जब इस प्रदेश में इस अखबार की तूती बोलती थी. इस अखबार को सरकार के आईपीआरडी से अन्य अखबारों की तरह ऐड मिलता है. मगर स्टाफ को वेतन देने में यह अखबार कंजूसी कर रहा है. वस्तुस्थिति यह है कि जून माह बीतने के बावजूद ज्यादातर स्टाफ को अप्रैल माह का वेतन भी नहीं नसीब नहीं हुआ है.
Santosh kumar
May 19, 2018 at 1:58 am
ताज़ा अपडेट है कि एक्सप्रेस में जब से नया सम्पादक आया है तब से सभी को तंग किया हुआ है अपने ड्राइवर जिसको ठीक से लिखने भी नही आता हैं उसको 35000 की सैलरी पर सन्थाल का एडिटर बना दिया है । मौजुदा स्टेट संवाददाता सत्यप्रकाश प्रसाद , पटना से दैनिक जागरण छोड़कर आये सुधीर कुमार , क्राइम संवाददाता एस कुमार शिक्षा संवादाता आर कुमार को बिना नोटिस के 4 से 5 महीने काम कराकर बिना किसी सूचना के हटा दिया । 4 से 5 महीने का सेलेरी भी नही दिया है अभी तक । नए सम्पादक मधुकर श्रीवास्तव को न ऑफिस में बैठने का ढंग हैं । ना सम्पादकीय लिखने का । केवल मालिक का चमचई कर अपने लोग को भर रहा है । उप सम्पादक सुधीर जी ने कहा है कि रांची एक्सप्रेस में नक्सलियों का पैसा लगा है । एवम चतरा से इसका मालिक सुधांशु रंजन राजद के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहता है ।
Santosh kumar
May 19, 2018 at 2:14 am
ताज़ा अपडेट है कि रांची एक्सप्रेस में जब से नया सम्पादक आया है तब से सभी को तंग किया हुआ है ।अपने ड्राइवर जिसको ठीक से लिखने भी नही आता हैं उसको 35000 की सैलरी पर सन्थाल का एडिटर बना दिया है । मौजुदा स्टेट संवाददाता सत्यप्रकाश प्रसाद , पटना से दैनिक जागरण छोड़कर आये सुधीर कुमार , क्राइम संवाददाता एस कुमार शिक्षा संवादाता आर कुमार को बिना नोटिस के 4 से 5 महीने काम कराकर बिना किसी सूचना के हटा दिया । 4 से 5 महीने का सेलेरी भी नही दिया है अभी तक । नए सम्पादक मधुकर श्रीवास्तव को न ऑफिस में बैठने का ढंग हैं । ना सम्पादकीय लिखने का । केवल मालिक का चमचई कर अपने लोग को भर रहा है । उप सम्पादक सुधीर जी ने कहा है कि रांची एक्सप्रेस में नक्सलियों का पैसा लगा है और अपने ब्लैकमनी को छिपाने के लिए अखबार को चला रहा है । एवम चतरा से इसका मालिक सुधांशु रंजन राजद के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहता है । हजारीबाग का कोयला का व्यवसाय है । सुधांशू रंजन का बेबी डीपीएस बरियातू में पड़ता है इसलिए डीपीएस बरियातू के प्रिसिपल का इंटरव्यू राजद के किसी न किसी नेता का इंटरव्यू बराबर छपता रहता है । इसकी मालकिन अपर बाजार के बैंक ऑफ इंडिया में मालिकिन निभा रंजन हाल ही में 1 महीने पहले से 5 लाख रुपये कर्ज के रूप में मांगने गई थी । मैनेजर ने बैंक में निभा रंजन का नाटक देख एवम उसे फ़्रॉड समझकर पल्ला झाड़ कर उसे घर भेज दिया । किसी स्टाफ का ईएसआई एवम पी एफ भी नही बर्षो से कुत्ता है । पूरा रांची एक्सप्रेस में अपने परिवार के लोग को भरकर अखबार का केवल ऑफिस कॉपी निकाल कर झारखंड आईपीआरडी में पैसा खिलाकर हर महीने 70 से 80 लाख रुपये विज्ञापन का उसूल रहा है । इसलिए जांच करके राची एक्सप्रेस को बंद कर देना चाहिए ।