सबसे अच्छी बात यह है कि श्री रवीश कुमार जी ने अख़बार पढ़ना शुरू कर दिया है। चाहे जो भी मजबूरी हो, ये अच्छी बात है। वरना लगभग चार या पाँच साल पहले प्रेस क्लब में मिल गए थे। शुरूआती नमस्कार के बाद उन्होंने पूछा था कि कहाँ काम रहे हो आजकल।
मैंने कहा था कि दैनिक जागरण में और उन्हें यह भी बताया कि मेरी बाईलाईन ख़बरें लगातार छपती हैं। उनका उत्तर सुनकर मैं सदमे में आ गया था, जिससे आजतक उबर नहीं पाया हूँ। मुझे अच्छी तरह याद है, उन्होंने कहा था कि माफ़ करना मैं कोई भी अख़बार नहीं पढ़ता हूँ।
शायद उन्होंने न्यूज़ चैनल नहीं देखने की बात की थी। उसके बाद से मैंने आजतक एनडीटीवी पर उनकी इल्हामी पत्रकारिता का दीदार करने से परहेज़ किया। लगता है अब उन्हें इल्हाम होना कम हो गया है, इसीलिए ज़मीनी पत्रकारिता की ओर रूख किया है। ज़ाहिर है इल्हाम और हक़ीक़त का अंतर कुछ दिनों तक उन्हें परेशान करेगा। वे हक़ीक़त में तमाम खोट ढूँढने की कोशिश करते नज़र आएँगे।

नीलू रंजन
विशेष संवाददाता, दैनिक जागरण
दिल्ली
मूल खबर…
One comment on “सबसे अच्छी बात यह है कि श्री रवीश कुमार जी ने अख़बार पढ़ना शुरू कर दिया है : नीलू रंजन”
रवीश कुमार और मोदी में कई समानताएं हैं
मसलन, दोनों ही अधजल गगरी हैं। सीधी सादी भाषा में शर्मनाक स्तर तक एरोगेंट हैं
दोनों ही पब्लिक को मूर्ख समझते हैं
दोनों ही इस गलतफहमी में हैं कि भारतवर्ष की प्रजा के पालनहार ये ही हैं
दोनों का ही अध्ययन बहुत सीमित है, किंतु अभिनय ऐसा करेंगे कि ये सर्वज्ञानी हैं
दोनों ही धर्म विशेष को लेकर खतरनाक स्तर तक कट्टर हैं
विरोधियों की ओर से लतियाए जाने के बाद दोनों ही पब्लिक से भावनात्मक अपील करते हैं कि देखो फलों मुझे गाली दे रहा है
दोनों का ही भविष्य अधिकतम पांच साल है, उसके बाद दोनों क कोई नामलेवा नहीं होगा
अन्य बहुत सारी समानताएं भी हैं, उनके बारे नें फिर कभी।