Chandan Srivastava : इजराइल मूल की रीना गोलान ने इस किताब में बताया है कि बॉलीवुड में किस हद तक एक लड़की को सेक्स प्रोडक्ट समझा जाता है. बड़े-बड़े सितारे कितने रीढविहीन होते हैं. चाहे वो नचनिया शाहरुख हो या कोई और. परदेस जैसी फिल्म बनाने वाला सुभाष घई जब इस लड़की को हमबिस्तर करने के लिए राजी नहीं कर पाता तो कैसे उसकी आंखों के सामने ही masturbation करने लगता है.
और तो और, दिन रात भजन गाने वाला अनूप जलोटा अध्यात्म की बात करते हुए लड़की को अपने बिस्तर पर लाना चाहता है जबकि उसकी पत्नी कैंसर से जूझ रही है. इतना बड़ा दोगला है कि पत्नी के कैंसर की बात करके के ही सिम्पैथी गेन करने की कोशिश करते हुए लड़की को अपने हम्बिस्तर करना चाहता है. अनीस बज्मी जैसों की बात ही क्या करना? लड़की सेक्स की ख्वाहिश नहीं पूरी करती तो बनी-बनाई फिल्म में से उसके रोल को काट देता है.
7-8 साल पहले इंडिया टीवी के स्टिंग के बाद से ये मुद्दा शांत है. खोखली नैतिकता के नाम पर ये सड़ी हुई नचनियों की कम्यूनिटी एक अखबार के खिलाफ पिल पड़ती है लेकिन मजाल क्या एक भी आवाज कास्टिंग काउच के खिलाफ उठती हो. चाहे दुनिया भर की राजनीति पर बकबकाने वाली शबाना आजमी हों या बहादुर मानी जाने वाली प्रीती जिंटा, सभी को सांप सूंघ जाता है.
पत्रकार चंदन श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.