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टेलीग्राफ की सामान्य खबरें और चुनाव कवरेज की दैनिक भास्कर की तैयारियां

द टेलीग्राफ की आज की लीड और शीर्षक पेज चार देखें ऊपर लाल रंग में लिखा है।

चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है। पहली बार चुनाव सात चरणों में होंगे। द टेलीग्राफ ने इसपर सात कॉलम के शीर्षक के साथ (अंदर के पन्ने पर) खबर छापी है। शीर्षक यही है कि भारतीय जनता पार्टी को इसमें फायदा नजर आ रहा है। कश्मीर में विधान सभा चुनाव भी होने हैं। उम्मीद की जा रही थी कि दोनों चुनाव साथ-साथ होंगे पर अभी उसे छोड़ दिया दिया गया है। इस बारे में जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है, प्रधान मंत्री (नरेन्द्र) मोदी ने पाकिस्तान, आतंकवादियों और हुर्रियत के आगे समर्पण कर दिया है। यही नहीं, इस बार पहली दफा ऐसा हो रहा है और यह सुनने में भी अजीब लगता है कि एक ही लोकसभा चुनाव क्षेत्र के लिए मतदान तीन चरणों में हो। पर यह होगा और यह चुनाव क्षेत्र है अनंतनाग।

द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार यह लोकसभा क्षेत्र दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में फैला हुआ है – अनंतनाग, शोफियां, कुलगाम और पुलवामा। इनमें पुलवामा वही है जो पिछले दिनों खबरों में था। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा है कि इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां चुनाव कराना कितना जटिल है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा चुनाव आम चुनाव के साथ-साथ क्यों नहीं होंगे। अखबार ने लिखा है कि 1989 में आजादी आंदोलन के पहले चरण की शुरुआत हुई तो आतंकवादियों की चुनाव का बायकाट करने की अपील के कारण सिर्फ एक उम्मीदवार मोहम्मद शफी भट ने श्रीनंगर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत की थी। और निर्विरोध जीत गए थे।

हालांकि, घाटी के दो अन्य लोकसभा क्षेत्रों- अनंतनाग और बारामूला के लिए एक से ज्यादा उम्मीवार थे। और यहां चुनाव हुए थे। उस समय भी हरेक सीट के लिए एक ही चरण में मतदान हुआ था। अनंतनाग से महबूबा मुफ्ती ने 2014 का चुनाव जीता था पर 2016 के शुरू में अपने पिता, मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद जब मुख्यमंत्री बनीं तो इस सीट से इस्तीफा दे दिया था। सुरक्षा कारणों से यहां उपचुनाव नहीं कराए जा सके थे। अनंतनाग को 2015 में भाजपा से जुड़ने से पहले पीपुल्स डेमोक्रैटिक फ्रंट का मजबूत क्षेत्र माना जाता था। यहां मई 2017 में उपचुनाव निर्धारित हुए थे पर चुनाव के दौरान भारी हिंसा के बाद टाल दिया गया था। इसमें सिर्फ 7 प्रतिशत मतदान हुआ था।

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इसपर कांग्रेस के प्रवक्ता सलमान अनीस सोज ने ट्वीट किया है, अनंतनाग में हम इतने लंबे समय तक चुनाव नहीं करा पाए। इस बार चीन चरणों में करा रहे हैं। बिल्कुल असामान्य है। केंद्र / राज्य सरकार का कुप्रबंध स्पष्ट है। एक तरफ राज्य में विधानसभा चुनाव साथ-साथ नहीं कराने को समर्पण कहा गया है और दूसरी ओर एक लोकसभा क्षेत्र पर तीन चरण में मतदान – आप समझ सकते हैं कि हालात कैसे हैं। आपके अखबार ने बताया? दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर छापा है, महाभारत -2019, सबसे बड़ा चुनाव, सबसे बड़ी कवरेज। इसके तहत बताया गया है कि चुनाव कवरेज के लिए अखबार की क्या तैयारी है। हालांकि, चुनाव की घोषणा से संबंधित उपरोक्त सूचनाएं तो मुझे नजर नहीं आईं। देखिए, आपके संस्करण में है क्या?

द टेलीग्राफ ने चुनाव की घोषणा और तारीखों की सूचना भी अलग अंदाज में दी है। और इस लिहाज से देखने लायक है। इस संबंध में 16 मार्च 2014 को प्रधानमंत्री ने क्या कहा था और पांच साल में हम कहां पहुंचे और 23 मई को नतीजों के साथ और कुछ पता चलेगा – यह कहना अपने अंदाज में कहना अनूठा है। यही नहीं अखबार ने पहले पन्ने पर यह भी छापा है कि बंगाल जैसे छोटे से राज्य में सातो चरण में मतदान होंगे। सात चरण में मतदान होना एक बात है और एक ही राज्य में सातो चरण के मतदान होना बिल्कुल अलग। इसे हाईलाइट किया जाना चाहिए। इस लिहाज से लगता है कि टेलीग्राफ की प्रस्तुति खास है। आइए देखें इसमें और क्या अनूठा है।

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चुनाव आयोग ने कहा है कि जिन उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड हैं उन्हें चुनाव प्रचार के दौरान टेलीविजन पर और अखबारों में तीन बार विज्ञापन देना होगा। यह नियम गए साल बना था और इस चुनाव में पहली बार लागू किया जाएगा। राजनीतिक दलों को भी अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड बताने होंगे। राजनीतिक दलों को यह सूचना अपने वेबसाइट पर भी रखनी होगी। हालांकि, भाजपा का बेवसाइट 5 मार्च को भारत बंद वाले दिन से नहीं खुल रहा है। किसी अखबार में खबर थी कि साइट नहीं चल रहा है। हैक हो गया है पर पार्टी की ओर से कहा गया था कि खराब है। अगर चुनाव प्रचार के दौरान ऐसा हो तो इसे कैसे देखा जाएगा यह दिलचस्प होगा।

टेलीग्राफ ने अपनी एक विस्तृत खबर में यह भी बताया है कि 2019 का चुनाव अभी तक के सभी चुनावों से अलग होगा। इसका संकेत प्रधानमंत्री की एक फोटो से मिलता है जिसके ऊपर लिखा है, “संयोग? पांच साल में पहली बार दिखे”। इसमें प्रधानमंत्री सीआईएसएफ की टोपी पहने कुर्ता पैजामा बंडी में कुर्सी पर बैठे हैं। लंबे कैप्शन का अनुवाद मैंने इस प्रकार किया है, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गाजियाबाद में सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) डे परेड में हिस्सा लिया। मई 2014 में पदभार संभालने के बाद से यह पहली बार हुआ कि मोदी ने देश के पांच केंद्रीय सशस्त्र सेना में से किसी के भी रेजिंग डे (स्थापना दिवस) समारोह में हिस्सा लिया।

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सीआईएसएफ की टोपी पहने प्रधानमंत्री ने (इस) सेना से कहा, “(आतंकवाद के खिलाफ) किसी को कभी सख्त निर्णय लेना ही था …. मेरे लिए यह सुविधा है कि देश के करोड़ों लोगों के समर्थन से हम कुछ ठोस निर्णय कर पाए।” सात कॉलम के उपरोक्त खबर के साथ टेलीग्राफ ने एक और खबर छापी है, भाजपा 29 सहयोगियों के भरोसे। विपक्ष के गठबंधन को महाठगबंधन और महामिलावट कहने वाली पार्टी खुद 29 दलों के सहयोग से चुनाव लड़ रही है। क्या यह खबर आपके अखबार में है? अमूमन कह दिया जाता है कि पाठक यही पसंद करता है और उसे तमाम सूचनाओं, जानकारियों खबरों से वंचित रखा जाता है।

आज ही, उपरोक्त खबर हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है (गाजियाबाद में मुझे जो मिला है)। यह खबर अंदर के पन्ने पर भी है। लेकिन कहीं भी वह जानकारी नहीं है जो टेलीग्राफ में है। मुझे यह खटकता है। गंभीरता से महसूस करता हूं। इसीलिए मैंने यह कॉलम लिखना शुरू किया ताकि कम से कम मित्रों को बता सकूं कि अखबार कहां कैसे चूक जाते हैं। इसमें काफी समय लगता है और मैं रोज कोशिश करता हूं कि 11 बजे तक इसे पूरा करके अपना दाना-पानी कमाने में लगूं पर कम से कम आज टेलीग्राफ पढ़ने (और मामूली टिप्पणियां) लिखने में ही देर हो गई। मैं भी हिन्दी का पाठक हूं औऱ हिन्दी अखबारों में यह सब मिलता तो मुझे टेलीग्राफ पढ़ने की जरूरत क्यों पड़ती?

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(आज बाकी अखबारों को देखे बिना इतना ही। अगर दूसरे अखबार देख पाया, कुछ और लिखने लायक हुआ तो अलग से लिखूंगा।)

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।

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