राष्ट्रीय सहारा मीडिया समूह के हेड ऑफिस नोएडा में विक्षुब्ध मीडिया कर्मियों की अंगड़ाई और उससे पहले दैनिक जागरण नोएडा में काली पट्टियां बांधकर हठी प्रबंधन की मनमानियों को खुलेआम चैलेंज देना पूरे मीडिया जगत के लिए साफ संकेत है कि आने वाले दिन अब उनके लिए पहले की तरह आसान नहीं होंगे। लखनऊ सहारा में संपादक और जनरल डेस्क इंचार्ज की आपस में झड़प हो गई। देहरादून के सहारा कर्मी भी शनिवार को हड़ताल पर चले गए। वाराणसी, गोरखपुर, पटना से भी सूचनाएं मिल रही हैं कि मीडिया कर्मी काम काज छोड़कर किनारे बैठ गए हैं। कमोबेश सभी यूनिटों में शनिवार शाम तक संपादकीय प्रबंधन के हाथ-पांव फूल चुके थे। चिंता थी कि कल तो अमर उजाला में पेपर छपवा लिया, आज अखबार कैसे निकलेगा।
लखनऊ सहारा में शनिवार देर शाम तक न्यूज रूम का तापमान चरम की ओर था। प्रशांत दीक्षित को कामर्स का पेज बनवाने के लिए संपादक ने कहा तो उनका जवाब मिला कि नोएडा से पेज नहीं आ रहा तो वह कैसे बनवा दें। इस पर संपादक ने कहा कि आधा ही पेज बनवा दीजिए। इसके बाद दोनों में जमकर बहस-मुबाहसा हुआ। संपादक दोबारा प्रस्ताव लेकर आए कि नोएडा से ग्रुप के मीडिया हेड राजेश सिंह से उनकी बात हो गई है। राजेश सिंह ने आश्वासन दिया है कि इस महीने की सेलरी 20 जुलाई से पहले दे दी जाएगी। चलिए, आप लोग काम शुरू करिए। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रुप के मालिक सुब्रत राय से भी उनकी बात हो चुकी है। उन्होंने कहा दिया है कि सहारा कर्मियों को मजीठिया वेतनमान भी दे दिया जाएगा।
संपादक को सुनने के बाद मीडिया कर्मियों ने कहा कि वे तो वही करेंगे, जैसा नोएडा करेगा, कहेगा। हम नोएडा पर निर्भर हैं। वहां से पेज मिलेगा, तभी तो उसमें स्थानीय खबरें लगा कर एडिशन छोड़ा जा सकेगा। देर शाम तक सारे मीडिया कर्मी न्यूज रूम से बाहर जमे हुए थे। कुछ-एक चमचा टाइप ही कर्मी ही न्यूज रूम में देखे गए।
सहारा नोएडा की हड़ताल देहरादून (उत्तराखंड) तक दस्तक दे चुकी है। पटना, वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ सहारा में कल शाम से जारी आंदोलन की सुगबुगाहट ने शनिवार शाम नया मोड़ ले लिया। लखनऊ में मीडिया कर्मियों ने कार्य-बहिष्कार कर दिया। देहरादून में हड़ताल हो गई। पटना, गोरखपुर, वाराणसी में भी मीडिया कर्मी हाथ-पर-हाथ धर लिए। हालात कितने गंभीर हो चले हैं कि कल नोएडा में संपादकीय प्रमुख को किसी तरह अखबार के पेज तैयार कराकर अमर उजाला में छपवाना पड़ा क्योंकि मशीन विभाग के समस्त कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।
सहारा की सभी यूनिटों में वेतन न मिलने से भारी रोष है। एक-दो दिनों में कोई समझौतावादी रास्ता नहीं निकला तो ये हड़ताल सहारा की बाकी यूनिटों में भी पैर पसार सकती है। लखनऊ सहारा में शनिवार शाम जनरल डेस्क के इंचार्ज शशिधर द्विवेदी से स्थानीय संपादक मनोज तोमर की पेज बनाने को लेकर झड़प हो गई। सारे मीडिया कर्मी काम छोड़कर बरामदे में बैठ गए। डेस्क और रिपोर्टिंग सेक्शन दोनों के मीडिया कर्मियों ने नोएडा के हालात से खुद को जोड़ते हुए कार्य बहिष्कार कर दिया। हालात यहां तक पहुंच गए कि अखबार के लिए कोई संपादकीय लिखने वाला नहीं। रिटायर हो चुके रिपोर्टिंग इंचार्ज विजय शंकर पंकज को किसी तरह संपादकीय लिखना पड़ा। मीडिया कर्मी उनकी इस दयनीय हालत पर खिल्ली उड़ाते नजर आए।
prem
July 11, 2015 at 4:11 pm
शाबाश शशिधर ! बधाई ,आल आपने हिजड़ों को करारा ज्बब्व दिया है । जो केवल चापलूसी और दलाली के सहारे सहारा मे तरक्की पाये है वो न केवल बिना वेतन के कम करने को तैयार है बल्कि जूते-चपल्ले खाने को भी तैयार है। सहारा मे हमेशा कामचोर और बुझदिलों को प्रमोशन दिये जाते रहे ताकि वक़्त पड़ने पर उनसे चपरासी की तरह कम लिया जा सके ।
pankaj
July 11, 2015 at 4:45 pm
काश ये हड़ताल पहले हुई होती तो हम भी सहारा छोड के नही गये होते।हम भी आपका साथ देते।पर कोई नहीं साथियों हम आज भी आप लोगों के साथ हो।
sameerkhan
July 12, 2015 at 11:18 am
sahara ne public ka pesa khaliya hai to woh salary kahan se laki dega,
is hadtal ke peche hamari jankari ke anusar sahara urdu kai grup Editor Syed Faisal ka hat hai, kiyon ki woh apni team kai sath logon ko bhadkane main lagai thai , jis men woh kamyab hogai ,
syad faisal ali ka kam hi yehi rah ta hai ki woh ik dosrai ke khelaf kana phusi karta rahai , urdu kai tamam staff is bat ko jantai hain , kisi bhi sahara urdu wale se aap name na batane ki shart per poochlen to doodh ka doodh aur pani ka pani hojega.