नई दिल्ली : सेबी के साथ लंबे समय से कानूनी विवाद में उलझे सहारा ग्रुप ने अमेरिकी अदालत के सामने नियामक के समक्ष संकट ग्रस्त समूह की कॉर्पोरेट जेट बेचने से मिली करीब 1.3 करोड़ डॉलर की राशि वापस लाने के दावे का समर्थन किया है। समूह ने इस मामले में सेबी के सक्रिय योगदान की भी प्रशंसा की, जो भारत में एक मुकदमे के बाद सहारा समूह के स्वामित्व वाले कॉर्पोरेट जेट की बिक्री के अदालती अदेश से जुड़ा है और एस्क्रो खाते में रखी राशि के वितरण पर विचार के लिए रिसीवर (मुकदमे से जुड़ा संपत्ति का सरकारी प्रबंधक) नियुक्त किया गया था।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कोष के दावे के साथ पिछले महीने इंडियानापोलिस अदालत की अदालत का दरवाजा खटखटाया था जिसे सेबी-सहारा रिफंड खाते में हस्तांतरित करने की जरूरत है ताकि भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश का अनुपालन किया जा सके। अमेरिकी अदालत ने यह मांग खारिज कर दी क्योंकि यह दावा तय समयसीमा के बाहर किया गया था और यह इसके आदेश के अनुरूप नहीं था।
अदालत ने रिसीवर को दावे की वैधता की जांच करने और इसके आधार पर फैसला करने के लिए कहा था। इस घटनाक्रम पर सहारा समूह के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि सहारा समूह की एक कंपनी, हॉस्पिटैलिटी बिजनेस लिमिटेड ने एक नया एयरबस ए319 विमान खरीदा था। प्रवक्ता ने कहा, ‘यह विमान ब्रिटेन के परिचालक को दीर्घकालिक पट्टे पर निजी चार्टर के लिए लग्जरी कार्यकारी जेट के तौर पर चलाने के लिए दिया जाना था। हॉस्पिटैलिटी ने इस विमान को आंतरिक सज्जा और केबिन के काम के लिए इंडियानापोलिस की ‘कॉम्लेक्स’ के पास भेजा। हॉस्पिटैलिटी, कॉम्लेक्स को अनुबंध राशि का भुगतान नहीं कर सकी क्योंकि सहारा समूह विदेशी मुद्रा में सौदे नहीं कर सकता था। कॉम्लेक्स ने इंडियानापोलिस में हॉस्पिटैलिटी के खिलाफ एक मामला दायर किया जिसमें उसके पक्ष में फैसला दिया गया।’