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लोकमत कर्मी महेश साकुरे की जीत के बाद अखबार मालिकों के कैंप में निराशा

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के खिलाफ सैकड़ों हथकंडे अपना कर थक हार चुके अखबार मालिकों ने मान लिया है कि वे हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्य अखबार मालिकों को भी हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय के लोकमत अखबार के कर्मचारी महेश साकुरे के पक्ष में आये फैसले के बाद ये स्पष्ट रूप से समझ में आ गया है कि अब उन्हें हर हाल में कर्मचारियों को उनका हक़ यानि मजीठिया विद एरियर के साथ देना होगा।

<p>नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के खिलाफ सैकड़ों हथकंडे अपना कर थक हार चुके अखबार मालिकों ने मान लिया है कि वे हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्य अखबार मालिकों को भी हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय के लोकमत अखबार के कर्मचारी महेश साकुरे के पक्ष में आये फैसले के बाद ये स्पष्ट रूप से समझ में आ गया है कि अब उन्हें हर हाल में कर्मचारियों को उनका हक़ यानि मजीठिया विद एरियर के साथ देना होगा।</p>

नई दिल्ली। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने की मांग कर रहे दैनिक जागरण के कर्मचारियों के खिलाफ सैकड़ों हथकंडे अपना कर थक हार चुके अखबार मालिकों ने मान लिया है कि वे हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। अन्य अखबार मालिकों को भी हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय के लोकमत अखबार के कर्मचारी महेश साकुरे के पक्ष में आये फैसले के बाद ये स्पष्ट रूप से समझ में आ गया है कि अब उन्हें हर हाल में कर्मचारियों को उनका हक़ यानि मजीठिया विद एरियर के साथ देना होगा।

माननीय उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद एक ओर जहाँ कर्मचारियों में बेहद ख़ुशी का माहौल है वहीँ अखबार मालिकों के कैंप में बेहद निराशा का माहौल है। अखबार मालिकों के चमचे भी इस फैसले के बाद बेहद निराश हैं और उन्होंने भी हथियार डाल दिए हैं। आंदोलित कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस बात का पूर्ण विश्वास था कि सत्य की ही जीत होगी और माननीय उच्चतम न्यायालय के इस एतिहासिक फैसले के बाद उनमें ताकत और जोश का संचार हुआ है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें अब बहुत जल्द न्याय मिलेगा और अखबार मालिकों को उनके द्वारा किये गए शोषण और जुल्म का मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा।

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